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Kiran Bala
श्री कृष्ण, एक ऐसे अनूठे व्यक्तितव जो जीवन के सभी विरोधाभास जैसे अंधकार- प्रकाश, शुभ -अशुभ, दुख- सुख इत्यादि को एक साथ स्वीकार करते हैं. परिस्थिति चाहे कोई भी हो, वे जीवन के सभी रंगों को अंगीकार करते हैं. वे पलायनता में विश्वास नहीं रखते, वे ना ही प्रेम से परे हटे हैं और ना ही युद्ध से. करूणा और प्रेम से भरे होने पर भी युद्ध से विमुख नहीं होते. वे कहीं पर भी गम्भीर और उदास प्रतीत नहीं होते अपितु सदैव प्रसन्नचित्त रहते हैं. वे कहीं भी द्वैत में नहीं उलझे,, वे स्पष्टवादिता में विश्वास रखते हैं. वे जीवन में घटित होने वाली सभी घटनाओं को साक्ष्य भाव से देखते हैं. उनके लिए जितना कर्म महत्व रखता है,उतना अकर्म और विकर्म भी. श्री कृष्ण, एक ऐसे अनूठे व्यक्तितव जो जीवन के सभी विरोधाभास जैसे अंधकार- प्रकाश, शुभ -अशुभ, दुख- सुख इत्यादि को एक साथ स्वीकार करते हैं.
श्री कृष्ण, एक ऐसे अनूठे व्यक्तितव जो जीवन के सभी विरोधाभास जैसे अंधकार- प्रकाश, शुभ -अशुभ, दुख- सुख इत्यादि को एक साथ स्वीकार करते हैं. #Krishna #thought #kavishala #nojotohindi #hindinama #TST #kiranbala #KAKAKAKSH #janmashtmi
read moreDivyanshu Pathak
“”कर्मण्यकर्म य: पश्चेदकर्मणि च कर्म य: ! स बुद्धिमान् मनुष्येषु सयुक्त: स युक्त: कृत्स्त्रकर्मकृत् !!”” कर्म में जो अकर्म को देखे और अकर्म में जो कर्म को देखे, उसको बुद्धिमान कह रहे हैं भगवान्। अकर्म नाम ब्रह्म का है, कर्म नाम माया का है। ज्ञान के आधार पर माया रूप कर्म चल रहा है। यह दृष्टि ही कर्म-बन्ध से छुड़ाने वाली होती है ! यहां प्रस्तुत श्लोक ही “कर्मण्येवाधिकारस्ते …” का स्पष्टीकरण है जिसको ईशावास्य के मंत्र के आधार पर भगवान् ने यहां स्पष्ट किया है🔯😊🕉- (कैप्शन देख ही लीजिए 😃)🔯🕉🔯💠 🔯🕉🔯#Good morning🔯🕉🔯💠 अन्धं तम: प्रविशन्ति येउविद्यामुपासते। ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रता: ।।” अर्थात् जो अविद्या रूप कर्म में ही रात
🔯🕉🔯Good morning🔯🕉🔯💠 अन्धं तम: प्रविशन्ति येउविद्यामुपासते। ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रता: ।।” अर्थात् जो अविद्या रूप कर्म में ही रात
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