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कवि प्रभात
मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात हिंदी कविता कविता कोश कविता
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read moreAzaad Pooran Singh Rajawat
White "ए चांद मेरे बता मुझे किस कदर सजूं संवरू मैं तेरे लिए नख से शिख तक नज़र ठहर जाए तेरी मुझ पर तेरी सोलह कलाओं सा श्रृंगार करूं मैं करवा चौथ माता से दुआ है बस यही मेरी मेरा प्यार तुझे मिले,तेरा प्यार मुझे मिले जन्मों जन्मों के लिए। "करवा चौथ के सिंजारे की आजाद शुभकामनाएं।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #Sad_Status श्रृंगार दिवस की शुभकामनाएं
#Sad_Status श्रृंगार दिवस की शुभकामनाएं
read moreShiv Narayan Saxena
White किसी को भी भाते नहीं, तीखे कड़वे बोल। सम्बन्धों को ठीक नहीं, स्वार्थ में डूबे बोल।। पछताये कुछ बोल के, समझै न जो मोल। मनमुटाव को खत्म करैं, रस में डूबे बोल।। ©Shiv Narayan Saxena #Buddha_purnima रस में डूबे बोल.....
#Buddha_purnima रस में डूबे बोल.....
read morebina singh
मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh #devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश
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read moreAmrendra Kumar Thakur
तरक्की का मतलब क्या? चूल्हे पर जलती धीमी लौ, कुनकुनाती आग में यादें बुनती जो। झुर्रियों में छिपी कितनी कहानियाँ, जीवन की उतार-चढ़ाव की निशानियाँ। सालों के सफ़र में ये हाथ थके, ख़्वाब बुने जो अब धुंधले दिखे। इस घर की नींव में उनके पसीने, आज अकेले, बिन किसी साए के जीने। तरक्की का मतलब क्या हुआ? अगर माँ-बाप का सहारा ना बना। जिन्होंने हर मुश्किल सह ली, उनके बुढ़ापे में, हम दूर चल दिए। दुनिया आगे बढ़ती जाती, पर ये उम्र ठहर सी जाती। सफलता का क्या मतलब है अगर, उनकी देखभाल से हम हट गए, कहीं दूर जाकर? ना हो उनकी उम्र में कोई दर्द, ना झलके आँखों में कोई सर्द। तरक्की वो नहीं जो प्यार ना दे, जो अपने बुज़ुर्गों का साथ ना रहे। ©Amrendra Kumar Thakur #oldage हिंदी कविता कविता कोश कविता हिंदी कविता
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read morePriya Gour
White किसी भी वत्त-त्यौहार पर अक्सर सजने वाली लड़की को यही तंज कंसा जाता हैं कभी हँसी में छेडा़ जाता हैं की किसके लिए तैयार हुई? जैसे नारी को अपनी खुशी से अपने लिए सजने संवरने का अधिकार ही नहीं है बस सज संवरी हैं तो किसी के लिए श्रृंगार का संपूर्ण अर्थ पुरुष से ही है ? माना किसी भी नारी के श्रृंगार की पूर्णता भी उसके प्रियतम को भाना है परंतु प्रश्न ये है प्रियतम के आगमन से पूर्व श्रृंगार की शुरुआत भी नहीं कर सकती कोई नारी इस प्रश्न के अतिरिक्त एक अन्य आवश्यक प्रश्न उठता है जिनका प्रियतम छोड़ जाये हमेशा के लिए श्रृंगार करने का उनका अधिकार भी नहीं रहता हैं? ©Priya Gour ❤🌸 #25aug 3:51 #श्रृंगार #Tulips
vineet kumar sharma
#HeartfeltMessage प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता हिंदी कविता कविता कोश कविता
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