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Pagal shayer
हम कहा आपके लिए खास है।। खास तो बो है जो आपके दिल के पास है।। ©Pagal shayer जो आपके दिल के पास है।।
जो आपके दिल के पास है।। #Shayari
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अक्सर वही लोग सबसे खास होते है।। जो जिंदगी से दूर.... पर दिल के पास होते है।। ©Pagal shayer दिल के पास होते है।।
दिल के पास होते है।। #Shayari
read moreDevesh Dixit
White रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो, कि भैया उसका आ गया। करके तिलक बांध के राखी, भेंट भी भैया से पा लिया। वचनों से बंधा ये बंधन प्यारा, रिश्तों को मजबूत बनाता है। भाई बहन का रिश्ता ये प्यारा, रिश्तों को अनमोल बनाता है। हमने भी ये पर्व मनाना है, बहना से राखी बंधवाना है। खुशी के पल को जताना है, तिलक भी फिर करवाना है। देकर वचन उसकी सुरक्षा का, अपना फर्ज भी तो निभाना है। छूकर चरण प्यारी बहना का, प्यारा सा आशीष फिर पाना है। .............................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #raksha_bandhan_2024 रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो,
#raksha_bandhan_2024 रक्षा बंधन का ये त्यौहार, अब फिर से है आ गया। राखी लेकर बहना बैठी, भाई भी उसका आ गया। खुशी के मारे झूम उठी वो, #Poetry
read moreMohan Sardarshahari
आज राखी है बहन - भाई के अटूट स्नेह की साक्षी है। भाई रक्षा सूत्र बंधवाकर बहन को रक्षा का संकल्प देता है यह रस्म पीढ़ियों से चलती आ रही है । घर से बाहर निकाल कर शायद भाई यह संकल्प भूल जाते हैं तभी कार्यालय हो, सफर हो , या हो अस्पताल बहनें लूटी जाती हैं । उसने भी बांधी होगी किसी को राखी, दिया होगा संकल्प फिर भी खत्म कर दिया गया उसके जीने का हर विकल्प । कोलकाता, मेरठ या हो जोधपुर हर जगह राखी तोड़ी गई एक बहन की गर्दन नृशंस रूप से मरोड़ी गई । आज हर एक राखी रो कर कह रही होगी बंद करो यह उपहास नहीं होता रक्षा संकल्प पर विश्वास । राखी में भी आज स्वार्थ की बू आती है सरकारें मुफ्त यात्राएं करवा कर बहनों के वोट लेती हैं जब बारी आती इंसाफ की वही सरकारें एक दूसरे को दोष देती हैं पर इंसाफ करने से कतराती हैं । क्यों राखी के धागों को अब बदनाम करते हो मन के धागों को क्यों नहीं मजबूत करते हो? ©Mohan Sardarshahari आज राखी है
आज राखी है #Poetry
read moreShalini Nigam
केवल "रेशम की डोर" नहीं~ प्रेम का अहसास है~"राखी" केवल "रक्षा का वचन" नहीं~ लम्बी उम्र की दुआ है~"राखी" ©Shalini Nigam #राखी #रक्षाबंधन #भाई_बहन #Nojoto #Love #yqbaba #yqdidi #Shayari
Vikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
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