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#काव्यार्पण
White 1222 1222 122 है आलीशान घर आँगन नहीं है , दुपट्टा है मगर दामन नहीं है । पहुँचना चाहती हूं उस खुदा तक ,पहुँचने का कोई साधन नहीं है। हमें बाहों में लेने से क्या होगा, जिसम तो है हमारा मन नहीं है। महज सिंदूर ही तो भर रखा है, सुहागन कर दे जो साजन नहीं है। हमें यूं देख कर तन्हा वो जालिम, सुकूं से है कोई शिकवन नहीं है। सिले हैं होंठ मैंने जब से अपने, किसी से अब कोई अनबन नहीं है। बड़े चैन- ओ- सुकूं से रहती हूं अब,है दिल लेकिन मेरी धड़कन नहीं है। उसे शर्माना अब आता कहां है ,तवायफ है कोई दुल्हन नहीं है। मेरी तकदीर में ही वो लिखा है , जिसे पाने का कोई मन नहीं है। रकीबों की कहानी तुम कहो बस,वो बहना है मेरी सौतन नहीं है। हमारे पास हैं जज्बात केवल, हमारे पास काला धन नहीं है। वो कैसा है बता पाना है मुश्किल ,जुबां तो है मगर वरनन नहीं है। हमारे प्यार के हम ही हैं दुश्मन, अऔर दूजी कोई अर्चन नहीं है । दुआओं की तलब होती है अक्सर, दुआओं से भरा दामन नहीं है। प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर ©#काव्यार्पण दुपट्टा है मगर दामन नहीं है : प्रज्ञा शुक्ला #गजल #kavyarpan #काव्यार्पण #Sad_Status poetry for kids Extraterrestrial life urdu poetry h
दुपट्टा है मगर दामन नहीं है : प्रज्ञा शुक्ला #गजल #Kavyarpan #काव्यार्पण #Sad_Status poetry for kids Extraterrestrial life urdu poetry h #Poetry
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म
मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म #कविता
read morePrakhar Tiwari
White झंडा ऊँचा रहे हमारा, सदा ही ऊँचा रहे हमारा। हम इसको प्रणाम करते हैं, राष्ट्र की शान बना रहे हमारा। स्वतंत्रता के रंगों में रंगा, गौरव की ध्वजा लहराए। हर दिल में उमंग जगे, देशभक्ति की धारा बहाए। केसरिया साहस की बातें कहे, श्वेत शांति की निशानी। हरा समृद्धि की राह दिखाए, नीला आसमां की कहानी। चक्र हमें आगे बढ़ने का सिखाए, समय के संग चलते रहना। कभी न रुकें, कभी न झुकें, सपनों को सच करते रहना। इस ध्वज के तले हम एक हैं, सभी धर्मों का मेल। एकता और अखंडता में, हम सब का यही है खेल। झंडा ऊँचा रहे हमारा, हम इसका मान बढ़ाएंगे। राष्ट्र की शान में, हर दिन नया परचम लहराएंगे। ©Prakhar Tiwari #Indian_flag देशभक्ति कविताएँ झंडा ऊँचा रहे हमारा, सदा ही ऊँचा रहे हमारा। हम इसको प्रणाम करते हैं, राष्ट्र की शान बना रहे हमारा। स्वतंत्
#Indian_flag देशभक्ति कविताएँ झंडा ऊँचा रहे हमारा, सदा ही ऊँचा रहे हमारा। हम इसको प्रणाम करते हैं, राष्ट्र की शान बना रहे हमारा। स्वतंत्
read moreLalit Shihir
White चलो मैं जाता हूँ उस ठहराब की गली जहाँ ना दुख हो ना कोई तिकलीफ जहाँ ना खुदा हो और ना कोई शैतान जहाँ ना कोई मुझे जाने, ना पहचाने जहाँ मै गुमनाम रहूँ.... जहां ना धोखा और ना ही फेरेब देखूं वहाँ चाहे जहाँ इनसान ना ही कहीं एक बड़ी सी जमीन हो, जमीन पे घास और नीला आसमान, आसमान में वादल हो, वादल में सूरज हो और सूरज में धूप हो, धूप में किरण हो और वहती नदी के पानी से टकराकर, एक झोपड़ी की खिड़की पर गिर रही हो, दूर जमीं' के एक हिस्से से बकरी के बच्चों के खेलने की आवाज आ रही हो , ठंडी हवा अपनी धुन में वह रही हो, और मुझे बार-बार छू कर अपने होने का एहसास दिला रही हो, जहां ना टेंशन हो और ना Anxiety जहाँ जाकर में खुद की खो जाऊँ और नींद अगर तो मैं सो जाँऊँ, खुले जो आंख तो मैं अपने घर ही खुद को पाऊ, हाये मेरे सपने भी मेरी तरह अजीब है। ©Lalit Shihir #weather_today चलो मैं जाता हूँ उस ठहराब की गली जहाँ ना दुख हो ना कोई तिकलीफ जहाँ ना खुदा हो और ना कोई शैतान जहाँ ना कोई मुझे जाने, ना पहचान
#weather_today चलो मैं जाता हूँ उस ठहराब की गली जहाँ ना दुख हो ना कोई तिकलीफ जहाँ ना खुदा हो और ना कोई शैतान जहाँ ना कोई मुझे जाने, ना पहचान #SAD #शायरी #LalitShihir #Shihirlalit #LalitShihirPoetry
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