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Khushi Kandu

White (दोहा)
जिन्ह मन तजि कुटिलाई,‌ जीवन सुखमय होय।
मन की माया से मुक्त, तन आनंदित होय।।

©Khushi Kandu #GoodMorning 
#khushikandu 
#doha 
#दोहा 
#छंद 
#जीवन

tripti agnihotri

दोहा छंद #विचार

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White तृप्ति की कलम से
दोहा छंद 17

जुड़ा भाव का कारवाॅं, लिया शब्द ने रूप।
शब्द - शब्द मुखरित हुआ,ज्यों सरदी की धूप।।

स्वरचित मौलिक
तृप्ति अग्निहोत्री 
लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश

©tripti agnihotri दोहा छंद

kavitri vibha prabhuraj singh

#कुड़लियां छंद #राधा तकती श्याम की #मन के भाव अपनी कविता #कावित्री विभा प्रभुराज सिंह

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kavitri vibha prabhuraj singh

#अपनी कविता #मन के भाव #विधाता छंद @kavitri VibhaPrabhu Raj Singh

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kavitri vibha prabhuraj singh

#जय सिया राम जय हनुमान 🙏🌹 #दोहा छंद अपनी कविता #मन के भाव #विभा प्रभुराज सिंह ✍️ #भक्ति

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tripti agnihotri

#shrirammandir स्वरचित रोला और कुंडलियां भक्ति

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जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)

#26janrepublicday "जागो भारती के वीर "त्रभंगी छंद #कविता

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Ghumnam Gautam

White ज़मीं हरसी गगन हरसा, गरज सावन-सघन बरसा
नयन बरसे जो विरहन के तो कवि-मन छंद बन बरसा
हुई अबके बरस है फिर वही ख़ुदरंग-सी बारिश―
कहीं पे कमसिनी बरसी,कहीं है बाँकपन बरसा

©Ghumnam Gautam #sad_shayari #सावन 
#ghumnamgautam 
#कवि #छंद

tripti agnihotri

जय सिया राम रामचरितमानस के छंद #भक्ति

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज #कविता

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रोला छन्द :-


राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी ।
मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।।
कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी ।
ऐसी लीला आज , दिखाये घट-घट वासी ।।

                                                   जन्म-मृत्यु का देख , एक मैं ही हूँ कारण ।
                                                हर जीवन अनमोल , नहीं कोई साधारण ।।
                                             सबमे मेरा वास , समझ ले यह ही प्राणी ।
                                             तेरे मुख से नित्य , निकलती मेरी वाणी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रोला छन्द :-


राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी ।
मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।।
कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी ।
ऐसी लीला आज
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