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नवनीत ठाकुर
Unsplash जिंदगी के सफर में जो मौन रहते हैं अक्सर, उनकी खामोशी में कई राज़ छुपे होते हैं। सूरत की जगह, हर किसी की नज़रों से देखो, कुछ जख्म चेहरे पे नहीं, दिल में रहते हैं। राहों में खो जाने वाले, कभी नहीं हारते, वो अपनी तक़दीर खुद से लिखते हैं। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जिंदगी के सफर में जो मौन रहते हैं अक्सर, उनकी खामोशी में कई राज़ छुपे होते हैं। सूरत की जगह, हर किसी की नज़रों से देखो, कुछ जख
#नवनीतठाकुर जिंदगी के सफर में जो मौन रहते हैं अक्सर, उनकी खामोशी में कई राज़ छुपे होते हैं। सूरत की जगह, हर किसी की नज़रों से देखो, कुछ जख
read moreKulvant Kumar
इंसान ने जिंदगी में, प्रेम की ऐसी कल्पना बनाई है जिसे वो सिर्फ दूसरों की "Personality" में ही ढूंढता रहेता हैं
read moreनवनीत ठाकुर
"हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं, जो तूफानों में भी, राह अपनी खुद बनते हैं।" ©नवनीत ठाकुर हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं
हम पंखों से नहीं, हौसलों से उड़ान भरते हैं, मंजिलें मुश्किल हो, उन्हीं तक हम पहुंचते हैं। राहों की धुंध में भी, हम उजाले बनते हैं, हम वो हैं
read moreAbeer Singh
चांदनी रात में तारे टिमटिमा रहे हैं, आसमान की गोद में सपने सजा रहे हैं। इस हसीन रात में तुम्हारी याद आ रही है, दोस्ती की मिठास दिल को भा रही
read moreneelu
White यह तो नहीं पता... दशहरे पर कितने रावण जले थे पर देखते हैं.... दिवाली पर कितने राम बनते हैं ©neelu #sunset_time यह तो #नहीं पता... #दशहरे पर #कितने #रावण जले थे पर #देखते हैं.... #दिवाली पर #कितने #राम #बनते हैं
F M POETRY
White कोई दिए सा जले और कहे है जलता हुँ.. हम तो सूरज सा जले हैँ मगर खामोश रहे.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY #हम तो सूरज सा जले हैँ......
#हम तो सूरज सा जले हैँ......
read moreShashi Bhushan Mishra
जीने की तैय्यारी में, कटती उम्र उधारी में, लेन-देन कारोबारी, गिनती हो संसारी में, बँटे हुए कुनबे अपने, पाण्डे,मिश्र,तिवारी में, हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं, पैदल पाँव सवारी में, मजदूरी की है ताकत, उड़िया,बंग,बिहारी में, जोते बिना बुआई हो, ऊरद, मूँग,खेसारी में, है मिसाल दोस्ती की, कृष्ण सुदामा यारी में, सुने पुकार द्रौपदी की, कृष्ण समाए साड़ी में, भव बाधा काटे गुंजन, रखो आस बनवारी में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra #जीने की तैय्यारी में#
#जीने की तैय्यारी में#
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