Find the Latest Status about आकस्मिक भय विकार from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, आकस्मिक भय विकार.
आगाज़
कभी किसी को ,, इतना भी नही डराना चाहिए , कि उसके अंदर का डर ही खत्म हो जाए । और वह महाविनाश का तांडव शुरू कर दे,,। नसीहत है रख लीजिए 😊 श्रद्धा ' मीरा' ✍🏻 ©आगाज़ भय से निर्भय
भय से निर्भय #Quotes
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी है जिंदगी जरा मुस्करा दे दौड़ तेरे मन की खत्म ना होगी ईश्क ही सब मर्ज की दवा है जरा अपने को अच्छे से समझा ले बेहतर जिंदगी ,हर हाल में खुश रहने में है दौड तेरी कभी खत्म नही होगी सजे है मेले आकर्षण के जग में इन मे रमने से,तृप्ति कभी पुरी नही होगी छोड़ दिये तूने अंहकार में अपने रिश्ते गरीबी अमीरी अवस्थाओं के अधीन है धन लोलुपता भय और बीमारी है इससे हक किसी का छीनता जरूर है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes धन लोलुपता भय और बीमारी है #nojotohindi
#sad_quotes धन लोलुपता भय और बीमारी है #nojotohindi #कविता
read moreMysterious Girl
हे माँ! जब-जब मैं अंधेरों से डरी, तब-तब तूने इससे लड़ने की शक्ति दी..! इस अंधेरी दुनिया में जब भी मैं भय से सिमटी, तूने साया बन मेरे इस भय क #Poetry #Trending #nojotohindi #nojotoapp #viral #Phalsafa_e_zindagi
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} दुर्गेसमृता हरसि मथि मशेषा जनथो स्वस्थै स्मृता मथि मथेवा शुभं ददासि दारिद्र्य दुखा भय हरिणी कथवदन्या सर्वोपकार कारणाय सदार्थ चित्त" - यह श्लोक इस बात पर प्रकाश डालता है, कि कैसे देवी दुर्गा उन लोगों से भय दूर करती हैं, जो जरूरत के समय उन्हें पुकारते हैं, और जो खुश हैं, उन्हें पवित्र मन प्रदान करती हैं। ©N S Yadav GoldMine #hindi_diwas {Bolo Ji Radhey Radhey} दुर्गेसमृता हरसि मथि मशेषा जनथो स्वस्थै स्मृता मथि मथेवा शुभं ददासि दारिद्र्य दुखा भय हरिणी कथवदन्या
#hindi_diwas {Bolo Ji Radhey Radhey} दुर्गेसमृता हरसि मथि मशेषा जनथो स्वस्थै स्मृता मथि मथेवा शुभं ददासि दारिद्र्य दुखा भय हरिणी कथवदन्या #मोटिवेशनल
read moreperson
इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा , लालची स्वभाव , नास्तिक व्यवहार , असत्य ,झूठ , अपशब्द , दुष्टता, यह सब नरक के द्वार खोलते हैं और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं ©person इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके
इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके #Motivational
read moreperson
गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं ©person पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,
पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव , #Motivational
read moreDevesh Dixit
नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को ले रहे, समझे अपनी शान। सभी जगह पर थूकते, खोते अपना मान।। मदिरा भी शामिल वहीं, होश गँवाते लोग। अपशब्दों से तौलते, दिखता उसमें रोग।। डगमग-डगमग पैर हों, मन में भरे विकार। रिश्तों की चिंता नहीं, डालें खूब दरार।। कहती है सद्भावना, नशा करे बरबाद। छोड़ सको तो छोड़ दो, हो जाओ आबाद।। क्यों करना अब है नशा, कर दो इसका त्याग। मुक्ति केंद्र भी हैं खुले, ले लो इसमें भाग।। जीवन यह अनमोल है, मत करना उपहास। सुखमय भी यह तब रहे, हो उसमें उल्लास।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #नशा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को
#नशा #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry नशा (दोहे) नशा करे कोई कभी, उसको घेरे रोग। मन से भी विचलित नहीं, हैं कैसे ये लोग।। तम्बाकू को #Poetry #sandiprohila
read moreDevesh Dixit
जीत-हार (दोहे) जीत-हार परिणाम है, क्यों होता हैरान। वश मे तेरे कुछ नहीं, मत बन तू नादान।। गीता में उपदेश है, होती उसकी जीत। कर्म करे जो ध्यान से, सफल वही है मीत।। जीत-हार की सोचना, करते हैं वो लोग। बिना परिश्रम के यहीं, मिल जाए अब भोग।। जीत-हार का भय यही, रोके सबके काम। मंजिल भी मिलती नहीं, होते हैं बदनाम।। जीत-हार में जो पड़ा, होता उनको कष्ट। अहम् भरा व्यवहार में, हो जाता वो नष्ट।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीत_हार #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindipoetry जीत-हार (दोहे) जीत-हार परिणाम है, क्यों होता हैरान। वश मे तेरे कुछ नहीं, मत बन तू नाद
#जीत_हार #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindipoetry जीत-हार (दोहे) जीत-हार परिणाम है, क्यों होता हैरान। वश मे तेरे कुछ नहीं, मत बन तू नाद #Poetry #sandiprohila
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।। घर की इज़्ज़त पे वार मत करना जान भी माँग ले अगर भाई । तो यक़ीं तार तार मत करना ।। जो न समझे यहाँ वफ़ा तेरी । तू कभी उससे प्यार मत करना ।। माफ़ इस बार हो ख़ता मेरी । बाद बेशक दुलार मत करना ।। क़समों वादों को जो भुला डाले उसका फिर इंतजार मत करना ।। कितना कुछ है खाने को दुनिया में । देख अब तू शिकार मत करना ।। खुद को खुद की नज़र न लग जाये । इस तरह से शृंगार मत करना ।। सबका सम्मान हो बराबर से । मन में पैदा विकार मत करना ।। प्रेम अनमोल है प्रखर गहना । इसका तू कारोबार मत करना ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।। घर की इज़्ज़त पे वार मत करना
ग़ज़ल भाई-भाई से रार मत करना ।। घर की इज़्ज़त पे वार मत करना #शायरी
read more