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Aakansha shukla
India quotes शीर्षक:- भारत एक स्वर्ग एक प्यारा सा नाम भारत, हमारी आँखों का तारा भारत। आओ हम सहयोग करे, भारत का नवनिर्माण करे। वृक्ष लगाए, हरियाली फैलाए, प्रदूषण को हम दूर भगाए। पशु पक्षियों पर प्यार जताए, रेयर स्पेसीज को हम बचाए। नदियों को स्वच्छ बनाए जलजीवन को हम बचाए। संस्कृति की धरोहर सजाए, भारत को अपने स्वर्ग बनाए। ©Aakansha shukla #India देशभक्ति कविताएँ हिंदी कविता
#India देशभक्ति कविताएँ हिंदी कविता
read moredilip khan anpadh
चारपाई ****** एक दिन बड़े भाव से बोली मेरी चारपाई भोजन थोड़ा कम करो मैं टूट परूँगी भाई। मैंने पांव पसारा बोला माँ लेती है मेरी बलाई तुम ही थोड़ी चौरा हो लो क्यों देती है ये दुहाई? थोड़ा चूं-चाँ करके बोली दुस्सासन बोल मुझे वो तौली भारी हो तुम टन भर ऐसे बंद करो ये भाषण बोली। एक तो तेरे काम मैं आऊं भीतर से खटमल कटबाउं सेहत मेरी बिगड़ गई है बृद्धा सी मैं लटक गई हूँ तझको कोई ध्यान नही है सिवा पेट सम्मान नहीं है तीन मन हो खाना खाते लटक मुझी में हो सो जाते। आने दो तेरी घरवाली वो होगी जो नखरे वाली देखेगी मुझको नफरत से तब होगी मेरी रखवाली। मैं भी जरा तुनक के बोला खून मेरा थोड़ा था खौला कल ही तुझको बेच मैं आता पलंग लगा फिर मैं सो जाता। चारपाई का मान घटा फिर सेवा का अरमान घटा फिर करवट लेते ही चर्राई धम्म से गिरा वो मोटा भाई। बोली कमर न होगी सीधी वैद्य बुलाओ, करो कोई विधि तुमने जो अपमान किया है मैंने भी दम साध लिया है चारपाई ने सुसाइड कर ली चारो पांव बिखड़ के चल दी मैं निगोड़ा हांफ रहा था दर्द के उसको भांप रहा था उस रात मैं सो ना पाया पौवे से लिपट चिल्लाया ताऊ जी दौड़े से आए देख खटिया दो लात जमाए। दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #alone #चारपाई #हास्य #हिंदी
@the soul of love and laughter
वो बरसात का दिन था मैं रोता हुआ घर आया था, मुझे याद है उस दिन उसने पटियाला पेग मुझे पिलाकर बहुत ही बुरी तरह धोया था #हास्य #कविता #हिंदी #रात
Tarun Vij भारतीय
हेलमेट नहीं लगाएंगे, बाइक को खूब भगाएंगे। टेढे मेढ़े कट मारकर, फर से फुर हो जाएंंगे।। रोके फिर चाहे थानेदार, मुंशी हो या हवादार। रोके से भी रुके ना हम, विधायक हमारे चचा का यार।। डंडा जो दिखाइस हमको, शायद ना पहचाने हमको। निकाल के चालान की कापी, पुलिसगिरी दिखाए हमको।। फिर अपना टोर दिखाया हमने, फट से फोन लगाया हमने। हैलो होते विधायक जी सू, दरोगा के कान पर लगाया हमने।। इससे पहले के चचा कुछ बोले, दरोगा लिए चालान बुक खोले। जैसे जैसे आए फोन से आवाज, मुंशी लगा भरने खुद गोले।। देख के ये हमको गश आए, निकाल हरी पत्ती चेले को बढाए। चेला भी निकला इमानदार, बाइक से महंगा चलान बनाए।। अब का करे कुछ समझ ना आया, के तभी दिमाग में आइडिया आया। चला के फोन हुए फ़ेसबुक लाइव, चालान होते का वीडियो बनाया।। कमेंट मे जब देखा रोष, हम में भी फिर आया जोश। कैमरा के आगे फिर हम जो दहाड़े, पास खड़ो के उड गए होश।। देख दारोगा बढता बवाल, मुंशी को बोले इसे जीप मे डाल। दो लोग पकड़ हमें जीप मे डाले, थाने ले जा किए कूल्हे काले। बदन हो गया लाल नीला, हाल कर दिया एक दम ढीला। मार मार जो भूत उतारा, मानो जैसे कोई फ्रूट छीला।। आखिर में हमको समझ मे आया, उस रोज बाद हैलमेट लगाया। कागज भी अब रखता हूं सारे पूरे, एक भूल ने आखिर ये सब सिखलाया।। "चालान" एक हास्य कविता #कविता #हास्य_व्यंग्य #हास्य #हिन्दीकविता #हिंदी #चालान #tarunvijभारतीय
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read moreNC
White आज़ादी आसान नहीं थी कुर्बानियां दी थी उन्होंने क्यों इसको सस्ता समझ गुलामी से मुक्त नहीं हो सोच लालच स्वार्थ संकीर्णता वासना के गुलाम हो आज भी भ्रष्टाचार भरा है इस देश के कोने कोने खुद की स्वार्थपूर्ति से क्या पाओगे आखिर काल की भेंट चढ़ जायेंगे हो अमीर या फकीर कैसे उनसे नज़र मिलाओगे सर्वस्व लुटाया जिन्होंने ।। ©NC #happy_independence_day कविताएं हिंदी कविता देशभक्ति कविताएँ कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी
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read morealka mishra
White आजादी सोच कर न दूसरों को कैद करें आचार-विचार व व्यवहार से नई पीढ़ी को लैस करें स्वतंत्रता के मकसद को तिरंगे संग लहराने दें गर्व से हमेशा भर कर देश का परचम लहराने दें। ©अलका मिश्रा ©alka mishra #happy_independence_day कविता कोश कविताएं देशभक्ति कविताएँ हिंदी कविता
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read moreThe Aghori
White मेरा देश आजाद हुआ है मगर आजाद कहां हूं में आज भी में डरता हूं रात को अकेले घर लौटने से आज भी में पिसता हूं अमीरों के पैरो के जूतों में आज भी मुझे सारे आम बे इज्ज़त किया जाता है । मुझे मेरा हक मांगने का हक नहीं आज मुझे मेरे बच्चे छोड़ आते है बृधाश्रम के दर पर, आज भी सोता हूं में सड़क के किनारे छत मिला नही है सर पर । अगर यही आजादी है तो अच्छा था में गुलामी मे तब मे और आज मे मुझे कोई फरक तो नहीं दिखता । पहले बस लोग अलग थे सोच वोही था आज का आज़ाद करूं में कैसे खुदको बेड़ी पाव में है समाज का । ©The Aghori #happy_independence_day देशभक्ति कविता हिंदी कविता देशभक्ति कविताएँ कविता
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