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सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
मां विंध्याचल लोकगीत कजरी Trending Poetry कविता Hindi शायरी स्वतंत्र
read moreसिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र
सावन गीत कजरी मां विंध्याचल धाम Trending Hindi Song शायरी स्वतंत्र
read moreActor Tiwari baba
# विंध्याचल धाम में जाना है मैया को #चुनरी चढ़ाना है# आप सबके बीच में मेरा वीडियो आ चुका है आप सभी से रिक्वेस्ट है कि अपना प्यार आशीर्वाद हम #nojotovideo #संगीत
read moreDeepansh Mittal
परसी थाली प्रेम की मोहन भोग लगाओ एक बेर तुम जीमो तो में भी जीमूं बड़ी भयी आने में देर kanha ki gopikaon ka bhaav परसी थाली प्रेम की मोहन भोग लगाओ एक बेर तुम जीमो तो में भी जीमूं बड़ी भयी आने में देर गर रा
kanha ki gopikaon ka bhaav परसी थाली प्रेम की मोहन भोग लगाओ एक बेर तुम जीमो तो में भी जीमूं बड़ी भयी आने में देर गर रा
read morePoetry with Avdhesh Kanojia
जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।। रक्तरंजित कालिका तुम खड्ग खप्पर धारिणी। कालाग्नि भासित शुम्भहन्ती असुरदल संहारिणी।। श्वेत वसना शारदा तुम ब्राम्ही वीनापाणिनी। अति प्रबल अज्ञान रूपी अंधकार निवारिणी।। जय अम्बिका दुर्गा भवानी सकल लोक प्रकाशिनी। जय चंड मुंड विनाशिनी जय मातु घट घट वासिनी।। नवरात्रि पावन व आलौकिक भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। सब पर कृपा हो मातु कर अनूकूल हों कात्यायिनी।। ✍️अवधेश कनौजिया© #नवरात्रि जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।।
Official vishwajeet Yadav
भगवती विंध्यवासिनी के बारे में कुछ खास बातेंः  विंध्यवासिनी को विंध्याचल की देवी भी कहा जाता है. विंध्यवासिनी को आदि शक्ति माना जाता #भक्ति
read morePoetry with Avdhesh Kanojia
जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही सुखदायिनी।। रक्तरंजित कालिका तुम खड्ग खप्पर धारिणी। कालाग्नि भासित शुम्भहन्ती असुरदल संहारिणी।। श्वेत वसना शारदा तुम ब्राम्ही वीनापाणिनी। अति प्रबल अज्ञान रूपी अंधकार निवारिणी।। जय अम्बिका दुर्गा भवानी सकल लोक प्रकाशिनी। जय चंड मुंड विनाशिनी जय मातु घट घट वासिनी।। नवरात्रि पावन व आलौकिक भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी। सब पर कृपा हो मातु कर अनूकूल हों कात्यायिनी।। #नवरात्रि #माँ #navratri #maa #maan #poetry #poem जगदम्ब स्तुति जयति जय अखिलेश्वरी माँ जयति जय वरदायिनी। तिहूँ लोकन की तुम्ही माँ एक ही स
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सरसी छन्द :- विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। पारिजात का पेड़ यहीं पर , बाराबंकी ओर । जो कहीं नहीं देख धरा पर , भटको मत हर छोर ।। नीमसार की पावन धरती , सुन लो इसी प्रदेश । जन-जन का कल्याण करो तुम , आता है संदेश ।। संगम विंध्याचल काशी है , कितने पावन धाम । मथुरा अपने कान्हा जन्में , अवध बसे श्री राम ।। लक्ष्मण नगरी आज बनी है , सुन प्रदेश की शान । है प्रसिद्ध यहाँ की रेवड़ी , दिलवाती सम्मान ।। काशी भोले की है नगरी , चौरासी है घाट । सबकी अपनी अलग महत्ता , सबके अपने ठाट ।। वीरों की ऐसी धरती का , करते कवि गुणगान । जो सत्य अहिंसा की खातिर , किए निछावर प्रान ।। फल के राजा का भी होता , सुनो बहुत ही नाम । मलहियाबाद भंडार भरा , खट्टे मीठे आम ।। २४/०१/२०२४ / महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द :- विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। प
सरसी छन्द :- विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। प #कविता
read moreSimpy Aggarwal
"नवदुर्गा नारी" सुन मेरी देवी ऊँचे पर्वत वासिनी, ज्योतिर्मय मुखमयी,मंद-मंद सुहासिनी, अद्भुत छवि अलौकिक रूप, नारी के सम्पूर्ण जीवन चक्र को, दर्शाती तेरे अवतारों की धूप! जन्म ले कन्या का माता, शैलपुत्री रूप धर पृथ्वी पर आई, प्रथम दिवस शैलपुत्री मैया, कन्या रूप में देवी कहलायी! कौमार्य अवस्था नारी की, ब्रह्मचारिणी का रूप कहलायी, ब्रह्म आचरण का माँ तेरा द्वितीय रूप, आत्म-परीक्षा देती नारी बनी तेरा ही स्वरुप! विवाह पूर्व स्त्री की पवित्रता, चन्द्रमा समान निर्मल शीतलता, माँ का तृतीय रूप चंद्रघंटा, दर्शाये नारी जीवन की सतर्कता! करने को नए जीव को उत्पन्न, प्रत्येक स्त्री करती गर्भ धारण, दर्शाने को रचनात्मक अवस्था नारी की, चतुर्थ दिवस में माँ कूष्मांडा का होता अवतरण! नवीन स्कन्द को देकर जीवन, नारी में पुनः देवी दर्शायी, मोक्षदायिनी कुसुमधारी माता, पंचम दिवस स्कंदमाता रूप में आई! संयम साधना और प्रेम का संगम, नारी संजोती अनेकों बंधन, कात्यायनी है षष्ठ रूप माता का, दर्शाये देवी रुपी नारी का जीवन! आत्म सम्मान पर जब लगती चोट, भयावह रूप में करती विस्फोट, गतिशीलता संग विद्युत रुपी नारी, है कालरात्रि माता के सप्तम रूप की जोत! बुद्धिमता से परिवार का संचालन, परिवार ही जिसका संसार व जीवन, अन्नपूर्णा नारी के इस भाव का वर्णन, है अष्टम दिवस में महागौरी का आगमन! पूर्णता और विवेक की जोत जलाये, सुख-सिद्धि के आशीष का प्रकाश फैलाये, संतान को देने ज्ञान का सागर, नवम दिवस सिद्धिदात्री माँ के रूप में आये! दुर्गा माँ के नौ अवतार, सम्पूर्ण सृष्टि का करते उद्धार, प्रत्येक नारी के आचार-विचार, नवदुर्गा के रूपों का ही है आकार!! ©Simpy Aggarwal "नवदुर्गा नारी" सुन मेरी देवी ऊँचे पर्वत वासिनी, ज्योतिर्मय मुखमयी,मंद-मंद सुहासिनी, अद्भुत छवि अलौकिक रूप, नारी के सम्पूर्ण जीवन चक्र को,