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ek_tukda_zindgi _12
White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों, लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता। क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम, तुम्हारे चेहरे पर मातम सा अब अच्छा नहीं लगता। तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे, तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता। तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।। पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली ©ek_tukda_zindgi _12 मेरे जीते जी रो लेता..........#कविता #Poetry #gajal
Rakesh frnds4ever
White क्यों न रो पाए कोई कोई न सो पाए कोई दुनिया जिस परिस्थितियों में दम तोड़ दे,, उन हालातों में भी दबा /छुपा किसी अंजान /एकांत /खामोश जगह में चुपके छुपके आहें भर रहा है कोई क्यों न रो पाए कोई क्यों न सो पाए कोई जीवन की तमाम हर उदास / अंधेरी रातों में जहां लोगों को किसी अपने के कंधे ओर साथ के साए मिलते हैं वहीं उन तमाम अंधेरी / उदास / कहर बरपाने वाली रातों में संपूर्ण खामोशी से चीखता है कोई,, क्यों न चंदा है कोई,,,,,,,,,,,,,क्यों न सवेरा है कोई क्यों न रो पाए कोई ,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्यों न सो पाए कोई....१... ©Rakesh frnds4ever #क्यों_न_रो_पाए_कोई #कोई_न_सो_पाए_कोई #दुनिया जिस #परिस्थितियों में दम तोड़ दे,, उन हालातों में भी दबा /छुपा किसी अंजान /एकांत /खामोश जगह
#क्यों_न_रो_पाए_कोई #कोई_न_सो_पाए_कोई #दुनिया जिस #परिस्थितियों में दम तोड़ दे,, उन हालातों में भी दबा /छुपा किसी अंजान /एकांत /खामोश जगह
read moreIG @kavi_neetesh
White चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब पर है। जीवन तो चल रही है यु ही आजकल लोग हों रहें हैं चांद, तारों से दूर जिंदगी जीए जा रहें हैं जैसे कोई हिसाब पर है। शरद की पुर्णिमा तो बरस रही है। कृष्ण से मिलने को राधा तरस रही है। अब न जाने रास क्यों नहीं हो रहा है। दुःख से तड़प रहा इंसान,मानव भगवान से दूर कहीं खो रहा है। इसलिए इंसान रो रहा है। शरद पूर्णिमा की चांद की खुबसूरती जैसे प्रिया मिलन को सजी है। गहरे आकाश के माथे पर बसी कोई दुल्हन की बिंदी है। मंद मंद हवा बह रही है रात शीतल है। पेड़ पौधों के पत्ते डोल रहें हैं। तारों की बारात लेकर शरद की पुर्णिमा की चंद्रमा सुंदर सजी है। शरद पूर्णिमा में मैं बेगाना कवि प्रियसी की याद में रो रहा हूं। कब वो देंगी दर्शन मुझे बस यही चांद को देख सोच रहा हूं। वादियों में आज अजीब सा नशा है। क्यों की इस चांदनी रात में उसकी याद दिल में बसा है। जनम जनम से उसकी ही तलाश है। इस शरद पूर्णिमा में उस प्रभु से मिलन की आस है। ©IG @kavi_neetesh #sunset_time Hinduism प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविताकविता। शरद पूर्णिमा। चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब प
#sunset_time Hinduism प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविताकविता। शरद पूर्णिमा। चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब प
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White खुद को हमेशा दूसरों के लिए खो देने वाला मैं, ,,,,,,,,,,,काश,,,,,,,,, किसी दिन कोई मुझको भी,,,,,, खो दे,,,,,, तो कैसा हो जब से जन्मा रो ही रहा हूं ,,,,,,,,,,,,काश,,,,,,,,,, किसी दिन कोई मेरे लिए भी,,,,,,, रो दे,,,,,, तो कैसा हो जनता हूं कि ऐसा हरगिज़ होगा नहीं फिर भी ,,,,,,,,,,,,,,,,काश ,,,,,,,,,,,,,,,, किसी दिन कभी,,,,,,,,, ऐसा भी हो,,,,,,,, तो कैसा हो ©Rakesh frnds4ever #काश_कभी_हो #खुद_को को हमेशा दूसरों के लिए #खो देने वाला मैं, काश, किसी दिन कोई #मुझको भी खो दे तो कैसा हो जब से #जन्मा रो ही रहा हूं क
#काश_कभी_हो #खुद_को को हमेशा दूसरों के लिए #खो देने वाला मैं, काश, किसी दिन कोई #मुझको भी खो दे तो कैसा हो जब से #जन्मा रो ही रहा हूं क
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White हंसते हंसते रो पड़ते हैं जो आंखे पोछू तो अश्रु फिर उमड़ पड़ते हैं किसी और को क्या कहें किसी अपने ने ही आंख रुलाई है हमारी ऐसी ये हालत बनाई है ये नरकीय दुनिया हमे समझ नहीं आई ,,,,,समझ नहीं आई,,, ©Rakesh frnds4ever #हंसते हंसते #रो पड़ते हैं जो आंखे पोछू तो #अश्रु फिर उमड़ पड़ते हैं #किसी और को क्या कहें किसी #अपने ने ही आंख #रुलाई है हमारी ऐसी
Rameshkumar Mehra Mehra
White गुजार लेते है..... पूरा दिन दिखाबे की हंसी में...! शाम ढलते ही रो पडते है.....!! खुद की बदनसीबी पे..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
# गुजार लेते है,पूरा दिन दिखाबे की हंसी में,खुद शाम ढलते ही रो पड़े है,खुद की बदनसीब पे...
read moreDalip Kumar 'Deep'
Shayer tera ©Dalip Kumar 'Deep' 🥀✍🏿वो हँसते हँसते भी रो पड़ता है😔🍂
🥀✍🏿वो हँसते हँसते भी रो पड़ता है😔🍂
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
White कयामत के आखिरी पल जैसा था वो मंजर जब कोई मुझे हौसला देते हुए खुद ही रो पड़ा #anku ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * कयामत के आखिरी पल जैसा था वो मंजर जब कोई मुझे हौसला देते हुए खुद ही रो पड़ा #मSad_Status one sided love quotes sad for him thoughts abou
कयामत के आखिरी पल जैसा था वो मंजर जब कोई मुझे हौसला देते हुए खुद ही रो पड़ा #मSad_Status one sided love quotes sad for him thoughts abou
read moreBhai Ji