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Mohan Sardarshahari
आज पंद्रह अक्टूबर राजस्थान के काश्तकारों का दिन है आज के दिन ही काश्तकारी अधिनियम लागू हुआ था काश्तकारी अधिनियम से ही खातेदारी अधिकार मिले हैं कुंभाराम आर्य जैसे किसान मसीहा इस धरती पर किसान हित में लड़े हैं तब जाकर आज कहीं काश्तकर गर्व से खातेदार कहलाते हैं वरना जमीं जमींदार की इस साल तूने जोती अगले साल किसी और की।। ©Mohan Sardarshahari काश्तकारों का दिन #Sunrise
रजनीश "स्वच्छंद"
भाव लिए मैं फिरता हूँ।। भाव लिए मैं फिरता हूँ, मुझे कवि ना कह जाना, काम मेरा भावों के संग बन शब्द है बह जाना। मैं नदी नहीं, मैं सागरतल, कब बांधों ने रोका है, मेरी राह प्रसस्त करे, भाव-समीर का झोंका है। मैं एक बंजारा, मतवाला अल्हड़ और जिद्दी भी, कलम छुपाये बैठा हूँ, पाप पुण्य और सिद्धि भी। ना व्यापारी काश्तकार, ना रचता रचनाकार कोई, मैं विद्रोही अटल रहा, ज्यों मेरा न रहा दरबार कोई। बन पुस्तक मैं बिका नहीं, ना पन्नों ने मुझे समेटा है, ना एकलव्य सा शिष्य हूँ मैं, ना मेरा कोई प्रणेता है। लिए लेखनी निकल पड़ा, पाती ये दुनिया सारी है, लिए पात्र तेरे द्वार खड़ा, भाव का ही तो भिखारी है। ना विद्व हुआ ना मूर्ख रहा, अंतर कैसे परिभाषित हो, आधार बदलते रहते हैं, जैसा शाशक और शाषित हो। लिए लकुटी निकल पड़ा, जबतक पांव ये बोझ उठाएंगे, अवसान मेरा जो आ जाये, तुमको लोग ये रोज सुनाएंगे। ©रजनीश "स्वछंद" भाव लिए मैं फिरता हूँ।। भाव लिए मैं फिरता हूँ, मुझे कवि ना कह जाना, काम मेरा भावों के संग बन शब्द है बह जाना। मैं नदी नहीं, मैं सागरतल, कब
भाव लिए मैं फिरता हूँ।। भाव लिए मैं फिरता हूँ, मुझे कवि ना कह जाना, काम मेरा भावों के संग बन शब्द है बह जाना। मैं नदी नहीं, मैं सागरतल, कब
read morePranav Singh Baghel
#kisan_diwas क्यों क्षुधाहर्ता की क्षुधा हरता नहीं कोई, धमनी में धरा की धारणा धरता नहीं कोई। कृषकों के प्रति संवेदना तो व्यक्त करते हैं, आकर किन्तु खेतों में स्वयं तरता नहीं कोई।। FULL POEM IN CAPTION #NojotoQuote फंदा #kisan_diwas #kshudha #fanda #farmer #nojotohindi #hindi #nojotopoem #hindipoem कोई अन्नदाता कहता है, कोई कहे शान हैं, देश का पेट भरते
फंदा #kisan_diwas #kshudha #fanda #farmer #nojotohindi #Hindi #nojotopoem #HindiPoem कोई अन्नदाता कहता है, कोई कहे शान हैं, देश का पेट भरते
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