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नवनीत ठाकुर
तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ। राहें कठिन हो, फिर भी रुकता नहीं , गिरते हुए भी खुद को सम्भालता हूँ, हार नहीं मानता कभी, हर हाल में जूझता ज़रूर हूँ। हर चोट ने मेरी पहचान बनाई है, जो गिरा, उसने उठने की कहानी सुनाई है। राख से उगने की आदत है मुझमें, जलकर भी खुद को जलाता ज़रूर हूँ। मुश्किलें मुझसे हार मान जाती हैं, मेरे इरादे हर मोड़ पर मुस्कुराते हैं। ज़िंदगी के हर तुफ़ान को मैंने देखा है, पर ख़ुद को हर बार आज़माता ज़रूर हूँ। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।
#नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।
read moreनवनीत ठाकुर
लफ्ज़ों का शोर किसी को भी देता है सुनाई, मगर खामोशी में जो बात छुपी हो, वही होती है सच्चाई। ताकत अपनी दिखाने के लिए जो मचाते हैं शोर, वो अंदर से खोखले और होते हैं कमजोर। ©नवनीत ठाकुर #लफ्ज़ों का शोर किसी को भी देता है सुनाई, लेकिन खामोशी में जो बात छुपी हो, वही होती है सच्चाई। ताकत अपनी दिखाने के लिए जो मचाते हैं शोर, व
#लफ्ज़ों का शोर किसी को भी देता है सुनाई, लेकिन खामोशी में जो बात छुपी हो, वही होती है सच्चाई। ताकत अपनी दिखाने के लिए जो मचाते हैं शोर, व
read moreIG @kavi_neetesh
White एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों देश तोडना चाहते है?। --- सत्ता किसी की स्थायी नहीं होती, समय की धार में बहती रहती, फिर क्यों उसे अपनी निजी सम्पत्ति समझते हों? क्यों सत्ता के लिये धर्म जाति के, तुष्टिकरण की राजनीति करते हों ?। ---- क्यों देश को अगड़े पिछड़े और भी कई टुकड़ों में में बाँट रहें हों? क्यों देश के अपराधियों, आतंकियों की ढाल बन रहें हों ?। ---- आखिर क्यों नहीं सोचते, ज़ब देश रहेगा,तभी हम आप रहेंगे, आज जिन्हें सत्ता के लिये पनाह दें रहें, वही कल हमें विकट संताप देंगे, हमारी धर्म संस्कृति को निगल जायेगे, हमारे निशान भी सिर्फ इतिहास में नजर आयेंगे। ---- जिन जातियों की राजनीति कर रहें, उन जातियों के निशान भी न रहेंगे, हमारे धर्म संस्कृति संस्कार सब नष्ट होंगे। ---- अभी वक़्त हैं, संभल जाओ, महा विनाश को न बुलाओ आतंकी दस्तक आज,हर तरफ सुनाई दें रहीं हैं, चेतावनियो के स्वरों की अग्नि प्रज्जवलित हों रहीं हैं, अराजकता की आग फैलने के पहले ही बुझाओ, तुष्टिकरण की राजनीति छोड़ राष्ट्र रक्षा में जुट जाओ। ©IG @kavi_neetesh #love_shayari एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों दे
#love_shayari एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों दे
read moreRakesh frnds4ever
White मैं जो जी रहा हूं ,,,,ऐसे तो,,,,, तुम कभी एक पल भी न जी पाओगे मुझको जो तड़पा रहे हो,,सता रहे हो,,, मेरे बाद किसको सताओगे मैने अपना ,, ,, तन मन दिल दिमाग शरीर कलेजा ,,,, सब कुछ तो तुमको सौंपा है तुम्हारे सामने रखा है फिर ,, भी,,, क्या तुम सब को मैं दिखता नहीं क्यों,,,मेरा ,,,, ऐसा हाल कर रखा है क्यों मैं आखिर ,, क्या तुमको मैं सुनाई नहीं देता ,,,, मेरे बाद किसको सताओगे मेरे बाद ,,,,,,,,,,,किसको सताओगे,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #मेरे_बाद_किसको_सताओगे #मैं जो जी रहा हूं ,,,,ऐसे तो,,,,, #तुम कभी एक पल भी न जी पाओगे #मुझको जो तड़पा रहे हो,,सता रहे हो,,,
#मेरे_बाद_किसको_सताओगे #मैं जो जी रहा हूं ,,,,ऐसे तो,,,,, #तुम कभी एक पल भी न जी पाओगे #मुझको जो तड़पा रहे हो,,सता रहे हो,,,
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
White बड़ी मुद्दत के बाद आज चांद को देख रहा हूं एक बात कभी कभी सुनी सुनाई बात पर भरोसा मत करो जब तक उस को अपनी आंखो से न देख लो विश्वास न करो मगर आजकल के लोग अफवाह को ही जिंदगी की सच्चाई मान लेते है! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Sad_Status बड़ी मुद्दत के बाद आज चांद को देख रहा हूं एक बात कभी कभी सुनी सुनाई बात पर भरोसा मत करो जब तक उस को अपनी आंखो से न देख लो वि
#Sad_Status बड़ी मुद्दत के बाद आज चांद को देख रहा हूं एक बात कभी कभी सुनी सुनाई बात पर भरोसा मत करो जब तक उस को अपनी आंखो से न देख लो वि
read moreRakesh frnds4ever
White मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि शब्दों के अर्थ हर कोई अपनी अपनी समझ के हिसाब से लगता है,, किस व्यक्ति ने कहे है किस जगह कहे हैं किस विषय पर कहे हैं किसलिए कहे हैं क्यों कहे हैं,, इन आधारों पर हर कोई हर प्रकार से अलग अलग अर्थ मतलब निकाल कर सुनता तो है पर उनके अर्थों को समझता कोई नहीं,,, और दिल से जो शब्द निकलते हैं उनको समझना तो दूर किसी को सुनाई तक नहीं देते हैं,, ©Rakesh frnds4ever #मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह
#मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह
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