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हिमांशु Kulshreshtha
White यूँ ही हर किसी के लिए नहीं तड़पते हम, बावजूद तुम्हारी बेरुखी के तुम वाहिद एक शख्स हो जिससे बेइंतहा मोहब्बत है मुझे ©हिमांशु Kulshreshtha तुम...
तुम...
read mores गोल्डी
आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में" पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में. ©s गोल्डी आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में" पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में.
आकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन में" पायल छनकाती तुम "आ जाओ ना दिवाली में.
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White मेरे जीवन में फूल-फूल, तेरे मन में कलियाँ-कलियाँ रेशमी शरम में सिमट चलीं, रंगीन रात की अठखेलियाँ चंदा डूबे, सूरज उगता, अल्फाजों से प्रेम रचता हूँ पढ़ती हो तुम कविता मेरी , मैं कविता में तुमको गढ़ता हूँ हिमांशु Kulshrestha ©हिमांशु Kulshreshtha तुम...
तुम...
read moreDev Rishi
मैंने उससे से ......... अपना न कह पाया... बहुत मलाला है इस दिल में..., ......आज भी तो नहीं कह पाया..!! ©Dev Rishi #तुम
seema patidar
White तुम आना ..... जब ऊंची उड़ान से पर थक जाए तुम्हारे तुम तब आना जब जगत की चमक से आंखे भर जाए तुम्हारी तुम तब आना जब भीड़ में तन्हाई महसूस हो तुम्हे तुम तब आना जब शोर में सुकून की चाह हो मन में तुम तब आना पर तुम आना उस वक्त...... जब तुम्हारा साथ पाकर मैं सारे गम भूल जाऊ तुम्हे गले लगाकर मैं झूम उठू तुम आना उस वक्त ...... जब तुम्हारा आना मुझे यथार्थ लगे। ©seema patidar तुम आना .........
तुम आना .........
read moreT4_tanya_
White तमन्ना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ ये मौसम भी बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ मुझे ग़म है कि मैं ने ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया ये ग़म दिल से निकल जाए अगर तुम मिलने आ जाओये दुनिया-भर के झगड़े घर के क़िस्से काम की बातें बला हर एक टल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ नहीं मिलते हो मुझ से तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे ज़माना मुझ से जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ ©T4_tanya_ #Thinking बस आरजू है कि तुम मिलने आ जाओ.....
#Thinking बस आरजू है कि तुम मिलने आ जाओ.....
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था। तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।" जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे। फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?" लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ ChatGPT can make ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे
read moreAnjali Singhal
shayari status hindi shayari love shayari "कब चाहा मैंने कि, तुम मेरे बन जाओ, बँधकर मेरी प्रीत में, किसी बंधन में तुम जकड़ जाओ। हाँ...एहसास
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