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Shilpa ek Shaayaraa
गीत : खरा तो एकची धर्म खरा तो एकची धर्म जगाला प्रेम अर्पावे जगी जे हीन अतिपतित, जगी जे दीन पददलित तया जाऊन उठवावे, जगाला प्रेम अर्पावे जयांना ना कोणी जगती सदा ते अंतरी रडती तया जाऊन सुखवावे, जगाला प्रेम अर्पावे समस्तां धीर तो द्यावा, सुखाचा शब्द बोलावा अनाथा साह्य ते द्यावे, जगाला प्रेम अर्पावे सदा जे आर्त अतिविकल, जयांना गांजती सकल तया जाऊन हसवावे, जगाला प्रेम अर्पावे कुणा ना व्यर्थ शिणवावे, कुणा ना व्यर्थ हिणवावे समस्तां बंधु मानावे, जगाला प्रेम अर्पावे प्रभूची लेकरे सारी तयाला सर्वही प्यारी कुणा ना तुच्छ लेखावे, जगाला प्रेम अर्पावे असे जे आपणापाशी असे, जे वित्त वा विद्या सदा ते देतची जावे, जगाला प्रेम अर्पावे भरावा मोद विश्वात असावे सौख्य जगतात सदा हे ध्येय पूजावे, जगाला प्रेम अर्पावे असे हे सार धर्माचे असे हे सार सत्याचे परार्थी प्राणही द्यावे, जगाला प्रेम अर्पावे जयाला धर्म तो प्यारा, जयाला देव तो प्यारा त्याने प्रेममय व्हावे, जगाला प्रेम अर्पावे कवी : साने गुरुजी ©Shilpa ek Shaayaraa खरा तो एकची धर्म.... साने गुरुजी #IFPWriting
खरा तो एकची धर्म.... साने गुरुजी #IFPWriting #कविता
read moretcp
White दस महीने कोख में रख कर जन्म देने वाली माँ । शिशु का पहला आहार देने वाली माँ । शिशु के मुँह से निकलने वाला पहला शब्द माँ । चोट लगने पर पुकारे माँ । जिन्दगी का आखरी शब्द माँ । जिन्दगी भर का साथ है माँ । दूनिया ब साने वाली माँ । देना है तो माँ को सहारा दो। आश्रय दो , धक्का न दो। माँ को दादी माँ ,नानी माँ बनाओ। आय्याम्मा नहीं । माँ माँ माँ सिर्फ माँ हैं जननी है माँ । ©tcp कविता संग्रह
कविता संग्रह
read moreMicku Nagar
जब मेरी आखरी सांसे चल रही होगी जब में इस दुनिया से विदा लूंगा तब मेरे पास भी एक छोटा सा "कविता संग्रह" होगा। जिसमे मैंने ज़िक्र किया होगा.... पेड़ - पोधों , नदियों , पर्वतों , मैदानों का, चांद ,सूरज ,ग्रह ,उपग्रह , ब्रम्हांड, तारों का, फुल , बगीचों , बेलों , और हरियाली का कोयल , चिड़ियां , चकवा , चकोर का सपने ,ख्वाब , हकीकत , ख्वाहिशों का, देह , आत्मा , रूह , जिस्म , जान का औरत , पुरुष , वासना , ज़िद्द , काम का , बचपन, जवानी , पचपन और बुढापे का, उन सारी चीज़ों का जिन्होंने मुझे विचलित किया होगा। और इन सब में सबसे ज्यादा ज़िक्र होगा, तुम्हारा , हां सिर्फ तुम्हारा तुमने मुझे परिभाषित किया है। मेरी रचनाओं का शाश्वत केंद्र हो तुम। **************************** जानती हो तब सबसे अच्छा क्या होगा, तुम्हे पढ़ा जाएगा, कविताओं के माध्यम से। तुम्हें याद किया जाएगा। लोग तुम्हें पढ़कर मोहब्बत करना सीखेंगे। मैं छोड़ जाऊंगा तुम्हें प्रेम की पोटली पर सब्र वाली गांठ लगाकर बहुत यत्न किए जाएंगे , मुझे समझने के लिए, लेकिन बस तुम खोजी जाओगी, हां बस तुम मैं भी तुम्हारे हदय स्पर्श के बाद ही खुद को जान पाया हूं। ***************** #कविता #संग्रह
कविता संग्रह
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White जाने क्यूं है दरार इतना हम दोनों के बीच? जाने क्यूं है दरार इतना हम दोनों के बीच? भले ही मेरे दिल में तुम अब भी करीब हो, और हर पल रहोगे, लेकिन फिर भी, बस एक बार के लिए ही सही मुझे अपने नज़रों से अपने पास तो खींच. तुम्हारी हसी रात को मेरे कानों में गूंजती है, अक्सर तुम्हारी यादें मेरी नींद उड़ा देती है, ये क्या अजीब इम्तेहान है मेरा, मुझे तो नींद से बहुत प्यार था, नींद के आगे कोई नहीं था, लेकिन अब वो भी घबराती है मेरे पास आने से, शायद उसको तुम्हरी भनक लग गई है.... ©tcp कविता संग्रह
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White तू सोचता है कि दुनिया ने दिया क्या है ! किसी ने ताउम्र तेरे वास्ते, किया क्या है ! चाहत तो पाल रखी है हर चीज़ पाने की, मगर दुनिया के वास्ते तूने किया क्या है ! मुफ़्त में ही नाम और सौहरत तो चाहिए, आखिर कमाल ऐसा तुमने किया क्या है ! तेरी दौलत भी तो मिल्कियत है ख़ुदा की, फिर भी कहता है कि हमने लिया क्या है ! ज़रा सा चैन से भी जीना सीखलो "मिश्र", वर्ना तो खुदा पूछेगा कि तूने जिया क्या है ©tcp कविता संग्रह
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Black संकल्प हमारी पहचान है फिसलन विषयों में अब-तक राग है उठना ही जिन्दगी है गिरना शोभा देता नहीं है ।।1।। ---------------------------------------- उठने में परम आनंद है विषयानुराग मौत-ही मौत है जिन्दगी द्वार खड़ी है, दरबाजा खोल, संकल्प तुम्हारी पहचान है ।।2।। ------------------------------------------ गिरेगा कैसे? जब हाथ पकड़े है राम तेरे प्रण टूटेगा नहीं तेरा जब खूद में तु व्यस्त है ।।3।। ------------------------------------ ©tcp कविता संग्रह
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White श्रोता आपस में मरें कटें कवियों में फूट नहीं होगी, कवि सम्मेलन में कभी, किसी की कविता हूट नहीं होगी; कवि के प्रत्येक शब्द पर जो तालियाँ न खुलकर बजा सकें, ऐसे मनहूसों को, कविता सुनने की छूट नहीं होगी। कवि की हूटिंग करने वालों पर, हूटिंग टैक्स लगाने दो, बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो। ठग और मुनाफाखोरों की घेराबंदी करवा दूँगा, सोना तुरंत गिर जाएगा चाँदी मंदी करवा दूँगा; ©tcp कविता संग्रह
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