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Yusra Kousar
tnovate N Cream in hindi – बेटनोवेट एन क्रीम का एलर्जी, दमा, चर्म रोग, इंफ्लेमेटरी डिजीज, खुजली, डर्माटाइटिस, सोरायसिस, कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटि
read moreAnuradha T Gautam 6280
#शरीर दिल के जख्म को मुस्कुरा कर छुपाई और शरीर के जख्म पर मरहम लगाई..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️
read moreJayesh gulati
सोलह शृंगार । (Read in caption) ©Jayesh gulati *सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
*सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है पिया के नाम का सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की चूड़ियां लाल जोड़े ने भी निखारा है नूर सात जन्मों तक रहेंगे साथ यही वादा निभाएंगे हमेशा एक साथ हर साल मनाएंगे करवा चौथ का त्योहार खास ©बेजुबान शायर shivkumar #karwachouth #Karwachauth #मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है #पिया के नाम का #सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की #चूड़ियां ला
#karwachouth #Karwachauth #मेहंदी लगी है हाथों पर, माथे पर सजाया है #पिया के नाम का #सिंदूर हाथों में पहनी हैं प्यार की #चूड़ियां ला
read moreRakesh frnds4ever
White इस दुनिया कि भीड़ में कोई भी अपना ना मिले कोई भी नहीं जाने हम नगें पाव काटों भरे सफर में हरदम कितना चले कितना जले,,, आंखों से गिरते हुए आसुओं ने कसमें उठाई क्यों मैने ही खामखा सबसे झूठी चाहतें लगाई,, अपनों ने ही हर पल घात लगाई जिससे सीने में दिल नहीं हर पल गम है पले,,, रोया पछताया मैने क्या है कमाया इस दुनिया दारी कि खातिर क्या खोया क्या पाया .......... २ ........... ©Rakesh frnds4ever #रोया #पछताया इस #दुनिया कि भीड़ में कोई भी अपना ना मिले कोई भी नहीं जाने हम #नगें पाव #काटों भरे सफर में हरदम कितना चले कितना #जले ,,
धाकड़ है हरियाणा
MiMi Flix
"शेरू की मेहनत और धैर्य: जंगल की दौड़ में जीत की प्रेरणादायक कहानी | बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा" - शेरू, बबलू, और मोती जंगल के सबसे तेज धावक
read morePrakash writer05
White सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...| कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से, कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंग...l कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझाएँगे सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे...l ©Prakash writer05 सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे...l छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो खुद ही अपना चीर बचा लो द्यूत बिछाए बैठे शकुनि, मस्तक सब बिक जा
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