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Writer Vikas Aznabi
टूटना हैं, बिखरना हैं बिखर के फिर से सवरना हैं........ "विकास" इतनी जल्दी तु क्यूँ हार मानता हैं...... अभी तो तुझे अपने सपनो को हकीकत करना हैं........ ------------/!/----------- - विकास ✍️ #विकास के सपने
Ajay Kumar
मोदी सरकार के विकास के एक रूपरेखा।
मोदी सरकार के विकास के एक रूपरेखा। #nojotophoto
read morevikas Mourey
कुछ तो है ऐसा खास जिसे खो रहा हूं मैं। आज एक बार फिर अपनों से ही तनहा हो रहा हूं मैं। ओर ये आईने की मजाल तो देखो, सब जानते हुए भी मुझसे कहता है कि क्यों अपनी पलकों को आंसुओं से भिगो रहा हूं। कुछ तो है ऐसा खास जिसे खो रहा हूं मैं। ©vikas Mourey विकास के अल्फाज कलम के रंग✍✍ #lost
विकास के अल्फाज कलम के रंग✍✍ #lost
read moreEk villain
जाति मजहब की राजनीति दोस्त गोचर शीर्षक से लिखी आलेख में संजय गुप्ता ने चुनावों में जीत और धर्म के सहारे जीतने की परी पट्टी खत्म करने की बात कही गई है विडंबना देखिए कि आजादी के 70 साल से अधिक बीत चुके हैं परंतु आज भी हमारी जातिवाद से ऊपर नहीं उठ सके हमारे यहां विकास की बातें तो बहुत कम होती है किंतु प्रदेश में विकास भी काफी हुआ है परंतु चुनाव के समय विकास का मुद्दा किनारे होकर अतिथि चुनाव जातिगत और धार्मिक समीकरणों पर ही जा जाकर टिक जाते हैं मतदाताओं को सोचना होगा कि आखिर कब तक पुराने रूढ़िवादी सोच और जातियों में उलझन रहेगी हम एक तरफ तो खूब कहते हैं कि जात पात खत्म हो परंतु 5 साल बाद जब चुनाव आते हैं और उस भेद को खत्म करने का शुभ अवसर प्राप्त होता है तो फिर हम जातिगत मोह में पड़कर उसी की ओर चल पड़ते हैं कई बार ऐसा लगता है कि इस देश में सिर्फ विकसित की बदौलत चुनाव नहीं जीता जा सकता हमें राजनीति का यह जो चलन है उसे समाप्त करना होगा इसे खत्म करने का हथियार मतदाताओं के पास ही है हम इन पांच राज्यों में होने वाले चुनाव में इस बार जाति धर्म से ऊपर उठकर ऐसे प्रत्याशी को जिताने जो सिर्फ देश प्रदेश और हमारे शहर के लिए विकास करने के लिए तत्पर हो जब भी यह जातिगत और धार्मिक मुद्दे चुनाव में सिर्फ उठते हैं तो अन्य जरूरी मुद्दे ही पूछने लगते हैं इस पर ध्यान देना जरूरी है ताकि चुनाव विमर्श को सही दिशा में दी जा सके ©Ek villain # विकास के मुद्दों पर हो चुनाव #fog
Ek villain
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में प्रति वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रपति बालिका दिवस की शुरुआत की थी इस दिन शिक्षा में लड़कियों को अधिकार शिक्षा और लैंगिक समानता दूर करने के प्रति जागरूक फैलाई जाती थी आज ऐसे ही कोई क्षेत्र नहीं है जहां लड़कियों के लिए अपने हुनर का लोहा मनवाया हो पर अभी तो बना दी कि आज भी लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है भले ही आज समाज में महिला समानता का ढिंढोरा पीटा जा रहा है वह लेकिन ऐसा कोई भी चीज नजर नहीं आता जहां वीडियो को बराबरी का अधिकार दिया गया है उल्लेखनीय है कि जब आप किसी लड़कियों को स्कूल भेजते हैं तो इससे पहले काम का अवसर हमेशा के लिए रहता है यह पहला पीढ़ी तक जनहित के तमाम कार्य के लिए आगे बढ़ने का काम करती है स्वास्थ्य से लेकर आर्थिक लाभ लेंगे का संबंध था और राष्ट्रीय समिति तक है अगर एक बालिका के स्कूल जाने पर मात्र से इतनी चीजें समृद्ध होती हैं तो फिर आज की शादी में भी हमारी सोच सुनने क्यों है क्यों आज भी अंधकार बच्चियों स्कूलों का मुंह देखने से वंचित रह जाती हैं स्कूल का मूर्ति भी है आगे की पढ़ाई जारी क्यों नहीं रख पाती ऐसे में एक बात तो स्पष्ट है कि 1 दिन दिवस मनाए लेने के लिए स्थित बदलाव नहीं आने वाला है उसके लिए समग्रता स्तर पर और राज सामाजिक चेतना का विकास करना जरूरी है आज विश्व भर में जलवायु परिवर्तन समस्या की गूंज सुनाई दे रही है इससे होने वाले आर्थिक और समाजिक नुकसान की भी चर्चा आम बात हो गई है इस पर भी बड़ी समस्या और आधी आबादी के साथ हो रहे लेकिन इस पर नहीं होते ©Ek villain # संकुचित बेटी के विकास में बाधक #Walk
Ambrish Shukla
हम बुद्धिमान है मूर्खताओं की हद तक विकास कहके विनाश कर रहे अबतक #विकास के#नाम पर #जीवन से #खिलवाड़