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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
पहला संस्कृत संस्करण हमारी पहली पुस्तक विचारों का आशियाना अर्थात विचाराणाम् गृहम् हमरुह पब्लिकेशन के सौजन्य से संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा #Poet #Trending #पहलीपुस्तक #wellwisher_taru #कवितावाचिका
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे, प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े शीश चरणों में उनके झुका दीजिए जख़्म जितने सहे हैं तुम्हारे लिए फूल दामन में उतने ख़िला दीजिए बाप का फर्ज जो भूल पाये नही मान सम्मान उनका बढ़ा दीजिए हैं बहन बेटियाँ सबकी साझीं यहाँ बात बेटों को इतनी बता दीजिए घर में आई बहू है हमारे नई आप नज़रे न उसको लगा दीजिए इस जहाँ में पिता परमेश्वर ही यहाँ । जाके चरणों में सब कुछ लुटा दीजिए मोल जिनका यहाँ पर चुका ना सको उनकी सेवा में जीवन बिता दीजिए साथ लाये थे क्या जो हुआ दुख तुम्हें बात इतनी तो जग को बता दीजिए हैं दुवाएँ प्रखर साथ माँ बाप की आप राहों में रोड़े लगा दीजिए महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े शीश चरणों में उनके झुका दीजिए जख़्
ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े शीश चरणों में उनके झुका दीजिए जख़् #शायरी
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक धन का मोल विधा विचार मन के भाव वास्तविक भाषा शैली हिन्दी #tarukikalam #कवितावाचक #tarukashayaranaandaaz emo #Emotions #Trending #femalerealvoice
read moreFuck off nojoto
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके, वो चले जा रहे है.. हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े अभी से ये तारे, जिस्म पिघला रहे हैं.. गले से लगा लो, या मुझको मार डालो वसवसे तन्हाइयों के, दिल दहला रहे हैं.. किया ये अहद है, फिर ना होगी मुहब्बत लाचारगी तो देखो, ख़ुद को बहला रहे हैं.. लगाते है वो मोल, उदासियों का मिरी हूँ परेशां बे-मतलब, ये दोहरा रहे हैं.. आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें रहमत ये किस ख़ुशी में, वो बरसा रहे हैं.. इक शराब ही है, ग़म-ए-फुरक़त समझती मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं.. वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की हम भी हैं इंसा, हम भी पछता रहे हैं.. तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं.. दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है.. किनारे लग गए हैं, मिरे ख़्वाब सारे देखकर मिरा हस्र, ये भी घबरा रहे है.. मेरा अज़ीब होना, ही है मेरी जरूरत छोटे मोटे ग़म तो, आने को शरमा रहे है.. ©Arshu.... नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके
नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके #Shayari
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक धन का मोल विधा विचार मन के भाव वास्तविक भाषा शैली हिन्दी #tarukikalam #कवितावाचक #tarukashayaranaandaaz e #Emotions #Trending #poetrycommunity #femalerealvoice
read moreVandana Rana
White माँ की ममता का सारे जग में कोई मोल नहीं होता, माँ का प्रेम वह समंदर है जिसका कोई छोर नहीं होता। ©Vandana Rana माँ की ममता का सारे जग में कोई मोल नहीं होता, माँ का प्रेम वह समंदर है जिसका कोई छोर नहीं होता।
माँ की ममता का सारे जग में कोई मोल नहीं होता, माँ का प्रेम वह समंदर है जिसका कोई छोर नहीं होता। #Quotes
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप बने , खुशियाँ मनाइये । नेक चार बुआ फूफा , पाये हैं खूब तोहफ़ा , खुशी-खुशी बिटिया पे, प्यार तो लुटाइये । मंगल ही मंगल हो , न अब अमंगल हो , बिटिया को ऐसा सब , आशीष दे जाइये ।।१ नहीं मोल भाव कर , व्यर्थ न सवाल कर , आँख मूँद रिश्तें यहाँ, चलिये निभाइये । कौन गोरा कौन काला , कौन धनी कौन ग्वाला यह तो संसार प्यारे , हमें न बताइये । स्वार्थ से तू परा नहीं , किसमें ये भरा नहीं, राम जी की नैय्या यह , खेव के दिखाइये । आप हम और नहीं , निश्चित ही ठौर नहीं, चलते रहिये फिर , नही भरमाइये ।।२ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप
मनहरण घनाक्षरी :- खूब गीत गाओ सब , ढोल भी बजाओ सब गुडिय़ा रानी घर आयी , लड्डू बटवाइये । देख मग्न भाई सभी , दादी-दादा ताई सभी , मम्मी पापा आप #कविता
read moreParul (kiran)Yadav
White #बोझ जिन्दजी को ऐसे जियो के न बन पाए ये बोझ , बहुत कीमती है ये जीवन , इतना अनमोल , समय रहते जानो इसकी कीमत , इन सांसो का है बहुत मोल, ये सूंदर कृति मानव की दी ईश्वर ने , उतनी सुंदर आंखे दी , निहारो सारी दुनिया को , निखारो अपनी छवि , दिए है दो हाथ , अब मेहनत करके देनी है हर परेशानी को मात, इस जीवन के तले साँसे न बोझ लगे, खुद के श्रम से सवारों जिन्दजी , मत लो किसी का एहसान भी , जिम्मेदारीयो का बोझ तो है आसान , मगर बहुत दूभर है अहसानों के तले जीना , ©Parul (kiran)Yadav #sad_shayari कविताएं हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता #बोझ जिन्दजी को ऐसे जियो के न बन पाए ये बोझ , बहुत कीमती है ये जीवन , इतना अनमोल , समय
#sad_shayari कविताएं हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता #बोझ जिन्दजी को ऐसे जियो के न बन पाए ये बोझ , बहुत कीमती है ये जीवन , इतना अनमोल , समय
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