Find the Latest Status about आधो मुख नीलाम्बर from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, आधो मुख नीलाम्बर.
Rakesh frnds4ever
White मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि शब्दों के अर्थ हर कोई अपनी अपनी समझ के हिसाब से लगता है,, किस व्यक्ति ने कहे है किस जगह कहे हैं किस विषय पर कहे हैं किसलिए कहे हैं क्यों कहे हैं,, इन आधारों पर हर कोई हर प्रकार से अलग अलग अर्थ मतलब निकाल कर सुनता तो है पर उनके अर्थों को समझता कोई नहीं,,, और दिल से जो शब्द निकलते हैं उनको समझना तो दूर किसी को सुनाई तक नहीं देते हैं,, ©Rakesh frnds4ever #मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह
#मुख से जो शब्द निकलते हैं उनको तो सभी अपने अपने हिसाब से सुन लेते हैं क्योंकि #शब्दोंकेअर्थ हर कोई अपनी अपनी #समझ के हिसाब से लगता ह #दिल #मतलब #nojohindi #सुनाई #कोट्स #rakeshyadav #rkyfrnds4ever
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये
मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के #कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । मुख मण्ड़ल के आप , नही सोहे लाचारी ।। कैसे तुमसे दूर , कहीं राधा रह पाती । सुन कर वंशी तान , दौड़ राधा नित आती ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी ।
कुण्डलिया :- आती होंगी राधिका , सुनकर वंशी तान । मुरलीधर अब छोड़ दो , अधरो की मुस्कान ।। अधरो की मुस्कान , बढ़ाये शोभा न्यारी । #कविता
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ढूंढ रही हैं नजरे शायद अभी दिख जाएं। आया है फिर राखी का त्यौहारकहीं किसी बहन को बिछड़ा भाई तो किसी भाई को बिछड़ी बहन मिल जाएं। माना राखी महंगी और रिश्ते सस्ते हों गए है। पर कभी तो बाहरी दिखावा छोड़ मन की आंखों से मेल हटा कर मिल लिया करो। जानें कब किसी की अगली सुबह आंख न खुले इसलिए जब याद आए तब ही बात कर लिया करों। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ #कविता
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
सर्वेभ्यः स्वातन्त्र्यदिवसस्य शुभकामना🇮🇳🙏 आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वरचित संस्कृत रचना शीर्षक अस्माकं प्रियं भार #Trending #indianwriter #कविता #भारत #15अगस्त #स्वतंत्रतादिवस #indepandanceday #tarukikalam
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।। निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप । कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप । बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास- अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।। कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे । फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे । कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो- मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवर
मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवर #कविता
read moreDevesh Dixit
उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो
#उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi #nojotohindipoetry उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो #Poetry #sandiprohila
read moreMukesh Poonia
White वाणी शीतल चन्द्रमा, मुख-मण्डल सूर्य समान, गुरु चरनन त्रिलोक है, गुरु अमृत की खान। गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई! ©Mukesh Poonia #guru_purnima #वाणी #शीतल #चन्द्रमा, #मुख-मण्डल #सूर्य समान, #गुरु चरनन #त्रिलोक है, #गुरु अमृत की खान। गुरु #पूर्णिमा की हार्दिक बधाई!” आज
Devesh Dixit
मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।। मेरा अनुभव कह रहा, ऐसा दो पैगाम। खुशियों की भरमार हो, मुख पर तेरा नाम।। मेरा अनुभव कह रहा, क्यों करते तुम बैर। संकट भी फिर घेरता, मने नहीं तब खैर।। मेरा अनुभव कह रहा, है कैसा यह दौर। मानवता को छोड़ते, करे नहीं अब गौर।। मेरा अनुभव कह रहा, सच की छोड़ें डोर। ऐसे ही गर यह चला, कैसे होगी भोर।। मेरा अनुभव कह रहा, हो सबका सम्मान। मन तेरा यह खुश रहे, दूजे का भी जान।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मेरा_अनुभव #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।।
#मेरा_अनुभव #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।। #Poetry #nikita #sandiprohila
read more