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Qaseem Haider Qaseem
New Ghazal अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं जबान रखता भी हूं गूंगा नहीं हूं तेरी हर गलतियों को देखता हूं नकाब आंखों पर है अंधा नहीं हूं तू कह के कर तुझे जो भी हो करना तेरी परवाज को रोका नहीं हूं गलत कामों से है तकलीफ मुझको' गलत राहों प मैं चलता नहीं हूं अगर है प्यार तो रुसवाई मत कर झुका हूं इश्क में डरता नहीं हूं ©Qaseem Haider Qaseem #Sad_Status New Ghazal अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं जबान रखता भी हूं गूंगा नहीं हूं तेरी हर गलतियों को देखता हूं नकाब आंखों पर है अंधा न
#Sad_Status New Ghazal अभी खामोश हूं बोला नहीं हूं जबान रखता भी हूं गूंगा नहीं हूं तेरी हर गलतियों को देखता हूं नकाब आंखों पर है अंधा न
read moreMahesh Chekhaliya
White उदास मत होना क्योंकि मैं साथ हूं सामने ना सही पर आसपास हूं पलके बंद करके दिल में देखना मैं हर पल तुम्हारे साथ हूं..!! ©Mahesh Chekhaliya #Sad_Status उदास मत होना क्योंकि मैं साथ हूं सामने ना सही पर आसपास हूं पलके बंद करके दिल में देखना मैं हर पल तुम्हारे साथ हूं..!!
#Sad_Status उदास मत होना क्योंकि मैं साथ हूं सामने ना सही पर आसपास हूं पलके बंद करके दिल में देखना मैं हर पल तुम्हारे साथ हूं..!!
read moreAnjali Singhal
"हम उनके देखने की अदा देखते हैं, कि भरी महफ़िल में वो हममें क्या देखते हैं! झुका लेते हैं अपनी नज़रों को वो फ़ौरन, जब देखते हैं वो कि हम उन
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े शीश चरणों में उनके झुका दीजिए जख़्म जितने सहे हैं तुम्हारे लिए फूल दामन में उतने ख़िला दीजिए बाप का फर्ज जो भूल पाये नही मान सम्मान उनका बढ़ा दीजिए हैं बहन बेटियाँ सबकी साझीं यहाँ बात बेटों को इतनी बता दीजिए घर में आई बहू है हमारे नई आप नज़रे न उसको लगा दीजिए इस जहाँ में पिता परमेश्वर ही यहाँ । जाके चरणों में सब कुछ लुटा दीजिए मोल जिनका यहाँ पर चुका ना सको उनकी सेवा में जीवन बिता दीजिए साथ लाये थे क्या जो हुआ दुख तुम्हें बात इतनी तो जग को बता दीजिए हैं दुवाएँ प्रखर साथ माँ बाप की आप राहों में रोड़े लगा दीजिए महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े शीश चरणों में उनके झुका दीजिए जख़्
ग़ज़ल :- यूँ न माँ बाप का दिल दुखा दीजिए । बृद्ध हैं तो उन्हें आसरा दीजिए ।। थाम हाथों को जिनके हुए हो बड़े शीश चरणों में उनके झुका दीजिए जख़्
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