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Parasram Arora
Unsplash भूख और प्यास जो न थकती है कभी और न बुझती है कभी बल्कि प्रति पल बढ़ती जाती है ये भूख प्यास छुप जाती हैं पसीनो क़ी परतो मे कभी या फिर कमर मे बंधे गमछे मे जा लटकती है कभी लेकिन ये उफ़ नहीं करती कभी ©Parasram Arora भूख प्यास
भूख प्यास
read moreसाँस लेती hui lash
गरीबी मे पाले हुए बच्चे कभी भी आसमानों की नहीं सोच ते है वो हमेसा 2 रोटी और क्षत की सोच ते है क्यूँ की जी नौ ने क्षत को टपकते हुए देखा है उन्हों ने आसमान को भी बहुत करीब से देखा है ✍️✍️ ©साँस लेती hui lash #Deep #भूख #गरीबी #true #Lines #poatry #sayari #SAD #Love #Dhoka hindi poetry on life urdu poetry poetry in hindi love poetry for her
Anuradha T Gautam 6280
#शेरनी ये पगले शेरनी की भूख और मेरा लुक दोनों ही जानलेवा है..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ २८/१०/२४
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} मेहनत करने वाले व्यक्ति का रास्ता, भले ही लम्बा हो, देर सवेर मंजिल मिलना तय है, लम्बा समय लगना उसके लिए मेहनत, सुभ कर्म करने के लिए मिलता है, ताकि उस तरक्की का अहसास और अनुभव मिल सके। जय श्री राधेकृष्णा जी। ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} मेहनत करने वाले व्यक्ति का रास्ता, भले ही लम्बा हो, देर सवेर मंजिल मिलना तय है, लम्बा समय लगना उसके ल
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} मेहनत करने वाले व्यक्ति का रास्ता, भले ही लम्बा हो, देर सवेर मंजिल मिलना तय है, लम्बा समय लगना उसके ल
read morekhaή s͢͢͢aͥhaͣbͫ
White मैं उस मुल्क में रहता हूं सर जी जहा गोली मारना देहसतगर्दी है। और भूख से मारना जम्हूरियत है ©khaή s͢͢͢aͥhaͣbͫ मैं उस मुल्क में रहता हूं सर जी जहा गोली मारना देहसतगर्दी है। और भूख से मारना जम्हूरियत है Sudha Tripathi –Varsha Shukla Anjali Maurya H
मैं उस मुल्क में रहता हूं सर जी जहा गोली मारना देहसतगर्दी है। और भूख से मारना जम्हूरियत है Sudha Tripathi –Varsha Shukla Anjali Maurya H
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे, भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो। मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं, पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं। ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है, वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं। इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है, सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से
ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से
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