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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सब जीवों पर करुणा दया ही जीवन की सारभौमिक्ता है शाकाहार पनपे जग में निरीह और मूक प्राणी को मांसाहारीयो से बचाना है नामीबिया के सूखे का संकट घोषणा पशुओं के कत्ल की सरकारी है जैन समाज की पहल,मदद वहाँ पहुँचती है वहाँ की सरकार अपना आदेश वापस करती है उठ खड़े हो जाये सारे समाज और धर्म माँसाहार बंद कर,पशुओं पक्षियों के प्राणों की रक्षा हो सकती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi
#Sad_Status शाकाहार पनपे जग में, मूक प्राणी भी जीवित रह पाये #nojotohindi #कविता
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White 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होता हैं इस पृथ्वी ,सृष्टि ,धरती,🌎🌍 का यही नियम हैं कालचक्र अपना प्रभाव दिखाता हैं जन्म से मृत्यु का सफर चलता जाता हैं प्राणी, इंसान, मनुष्य, को जो शरीर प्राप्त होता हैं वह समय के अनुसार समाप्त होता हैं 🙏 ©person #Shiva 🙏🙏🙏🙏 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होत
Devesh Dixit
अपने ही लोग अपने ही लोग खींचते हैं टांग फिर कहते हैं कि बनो महान जैसे तुम चाहते हो वैसे नहीं खो जाओगे जिंदगी में कहीं हमें तजुर्बा है जिंदगी का हमारे ही फैसले को मानने का टूट कर बिखर जाओगे जिंदगी में जो तुम रहे अगर अपनी जिद्द में कुछ हासिल न कर पाओगे अपने में सिमट कर रह जाओगे हमारी बात मानलो अभी भी वक्त है ये जानलो धरती के प्राणी हो धरती पर रहो जैसे हम चाहते हैं वैसे बनो उड़ने की कोशिश न करो आसमान में मुंह के बल गिरोगे, हंसी कराओगे समाज में तुम्हारी खूबी को क्या हम देखें उससे हासिल क्या होगा क्या हम समझें हमारी भी कुछ उम्मीदें हैं तुमसे तुम वही करोगे जो हम चाहते हैं तुमसे अपने ही लोग खींचते हैं टांग फिर कहते हैं कि बनो महान जैसे तुम चाहते हो वैसे नहीं खो जाओगे जिंदगी में कहीं ................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अपने_ही_लोग #nojotohindi #nojotohindipoetry अपने ही लोग अपने ही लोग खींचते हैं टांग फिर कहते हैं कि बनो महान जैसे तुम चाहते हो वैसे नहीं
#अपने_ही_लोग #nojotohindi #nojotohindipoetry अपने ही लोग अपने ही लोग खींचते हैं टांग फिर कहते हैं कि बनो महान जैसे तुम चाहते हो वैसे नहीं #Poetry #sandiprohila
read moreRimpi chaube
#पढ़नेकेतीनफ़ायदे 📚👩💻 1. दूर हो मन का अंधकार, होते प्राणी के शुद्ध विचार। 2. जागृत हो मन में प्रेम भाव, मन का रुक जाता है भटकाव। 3.बन मित्र यही,करे पवित्र यही, उत्तम करती है चरित्र यही। ©Rimpi chaube #पढ़नेकेतीनफ़ायदे 📚👩💻 1. दूर हो मन का अंधकार, होते प्राणी के शुद्ध विचार। 2. जागृत हो मन में प्रेम भाव, मन का रुक जाता है भटकाव। 3.बन मि
#पढ़नेकेतीनफ़ायदे 📚👩💻 1. दूर हो मन का अंधकार, होते प्राणी के शुद्ध विचार। 2. जागृत हो मन में प्रेम भाव, मन का रुक जाता है भटकाव। 3.बन मि #Motivational
read moreDevesh Dixit
कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान।। खडग काटती एक को, मैं काटूंँ सब साथ। मन में सच मेरे बसा, दुर्जन पीटें माथ।। जिसका जैसा हाथ है, कलम करे वह काम। सच से इसको प्रीत है, जिससे इसका नाम।। वही कलम से काँपते, जिनके मन में चोर। अधिकारी फिर सोचते, कैसे होगी भोर।। जिसको इससे प्रेम है, सुंदर हैं वे लोग। उत्तम वह रचना करें, करते सही प्रयोग।। कलम कहे यह जानलो, करो नहीं नाराज़। मेरी है विनती यही, सभी सुनें आवाज़।। ......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कलम_की_आवाज़ #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindi कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान
#कलम_की_आवाज़ #दोहे #nojotohindipoetry nojotohindi कलम की आवाज़ (दोहे) कलम चीख कर कह रही, सुन प्राणी नादान। बल को मेरे जानकर, बनता है अनजान #Poetry #sandiprohila
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज , दिखाये घट-घट वासी ।। जन्म-मृत्यु का देख , एक मैं ही हूँ कारण । हर जीवन अनमोल , नहीं कोई साधारण ।। सबमे मेरा वास , समझ ले यह ही प्राणी । तेरे मुख से नित्य , निकलती मेरी वाणी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज
रोला छन्द :- राम सिया का रूप , लगे बिल्कुल वनवासी । मुख पे दिखता तेज , दूर सब दिखे उदासी ।। कहे कोई न भूप , कहे सब ही संयासी । ऐसी लीला आज #कविता
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