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ANKIT SAINI
तू जब जब निकले कॉलेज को मैं तेरे पीछे आता हूँ तू देखे पीछे मुड़के जब , मैं जल्दी से छुप जाता हूँ । तू जल्दी से हाँ कह दे, मैं कॉलेज बंक करवा दूँ फ़िल्म तुझे दिखा के, कोई गीत तुम्हे सुना दूँ । ना कर चिंता घर वालों की, जा के उन्हें मनाऊंगा हाँथ तुम्हारा माँगूँगा, चाहे लात भले ही खाऊँगा पैर पकडूँगा मैं उनके , और हाथ तुम्हारा माँगूँगा ना माने घर वाले तो तुमको लेकर भागूँगा ।। हास्य व्यंग्य ।।
हास्य व्यंग्य ।।
read moreAmir Hamja
सेब में स्वाद चाहिए अंगूर की तरह पत्नी भी उसको चाहिए हूर की तरह आलिया जैसी काया हो दहेज मिले भरपूर भले खुद का चेहरा हो लंगूर की तरह हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य
read moreVirendra Parmar Thakur
नोटिस आप सभी से निवेदन है के 2-4 दिन के भीतर Groupखाली कर दे 😳 पुताई करवानाी है 😆😆 Dipawali आने वाली है । हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य
read moreराजेश तिवारी "रंजन"
मौसम ए इश्क़ में..वो इस कदर मगरूर हो गए, पल भर में दिल दे बैठे और मेरे हुजूर हो गए, मेरा लाखों का सावन बीत ना जाए..तो दो टकिये की नौकरी छोड़कर अभी आ ही रहे थें, पर तीखी,चमकती धूप ने ऐसा सेंका कि वापस चले गए और फिर से दूर हो गए 😂 ©राजेश तिवारी "रंजन" हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य #कॉमेडी
read moreAaradhana Anand
(" बाबू ", " सोना ") नामक शब्दों की उत्पत्ति कहां से हुई और कैसे हुई कृपया शुद्ध विचार प्रस्तुत करें । हास्य व्यंग्य
हास्य व्यंग्य
read moreRamesh Lakshkar लक्ष्यभेदी
चार गधों को घोडे़ के साथ दौड़ लगाने का विचार आया विचार करके चारों गधों ने घोडे़ के सामने यह फरमाया- मानी जाएगी चारों की जीत जो एक भी आगे निकल आया यह अजीब शर्त सुनकर भी घोडे़ ने ' हाँ ' में सिर हिलाया । देखकर गधे मुस्कुराने लगे सुखद ध्वनि निकालने लगे जैसे उनके सोये भाग जगे दूसरे ही दिन तैयारी पर लगे । गधों को सम्मिलित शक्ति का दम्भ हुआ जैसे-तेसे, घोडे़-गधे की दौड़ का आरम्भ हुआ । तब तक नहीं रूके जब तक नहीं थके । जैसा कि परिणाम भी तय था इसमें न कही कोई संशय था । आखिरकार 'गर्दभ-दल' हार गया अश्व विजय-रेखा के पार गया । जीत का जश्न मनाते हुए घोडे़ का मन बदला चुप नहीं बैठेंगें 'गधे' लेंगे हार का बदला । क्या कीमत हो सकती है ? यह सोचते हुए वह घर आया दूसरे ही दिन गधा कागज लाया समझ गया, ट्रांसफर आॅर्डर आया । -रमेश 'लक्ष्यभेदी' चित्तौड़गढ़ हास्य-व्यंग्य
हास्य-व्यंग्य #कविता
read moreकमलेश
आसान मंज़िल पहले दोस्तों के साथ घूमने जाने के लिए घर में झूठ बोलते थे अब गर्लफ्रेंड के साथ घूमने जाने के लिए झूठ बोलते हैं ©expresslove हास्य व्यंग्य #shyari #व्यंग्य #Love