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हेमराज हंस भेड़ा
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल 📱 मा। सुंदर कानी कबरी हिबै मोबाइल 📱 मा।। कोऊ हल्लो कहिस कि आंखी भींज गईं काहू कै खुसखबरी हिबै मोबाइल मा।। अब ता दंडकबन से बातैं होती हैं राम कहिन की शबरी हिबै मोबाइल मा ।। बिश्वामित्र मिस काल देख बिदुरांय लगें अहा! मेनका परी हिबै मोबाइल मा।। क्याखर कासे प्रेम की बातैं होती हैं दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा।। नयी सदी के हमूं पांच अपराधी हन जात गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा।। हंस बइठ हें भेंड़ा भिंड बताउथें बलिहारी जुग कै मसखरी हिबै मोबाइल मा।। बघेली साहित्य
बघेली साहित्य
read moreकुँवर_अजय
मोर करेजा करत है कि एक ठे, पथरा मा लिखी I Miss You. और वा पथरा तोरे कपारे मा मार देई, जऊने तोहू का पता चलय कि तोर याद क्यतनी भयंकर आवत हिबय। खिसियान_आशिक़ बघेली लवर #ajjusquad💓 #Love #bagheli #leftalone
बघेली लवर ajjusquad💓 #Love #bagheli #leftalone
read moreKHATOLA MUSIC
भोजपुरी एवम बघेली गायक प्रदीप कारपेंटर का सॉन्ग बहुत जल्द आरहा है Khatola Music पर #PradeepKarpenter #bagheli #लव
read moreASLAM
मोमबत्तियां बुझ गयी चिराग तले अँधेरा छाया था फांसी के फंदे पर जब तीनों वीरों को झुलाया था सुखदेव,भगत सिंह,राजगुरु के मन को कुछ और न भाया था हँसते हँसते देश की खातिर फांसी को गले लगाया था। ©ASLAM #²³march¹931#bhaghatsinghrajguru@hindkelal *हंसते हंसते फांसी को गले लगाया* मोमबत्तियां बुझ गयी
#²³march¹931#bhaghatsinghrajguru@hindkelal *हंसते हंसते फांसी को गले लगाया* मोमबत्तियां बुझ गयी #शायरी
read moreराजेश कुशवाहा 'राज'
--------- मलकिनिया के पापड़------- -------------भाग-2--------------- ---------बघेली रचना क्रमांक-3------ आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। हर बातिनि में दिनभर उ, चलति हां आपन चाल।। आगे का सुनि लेई हाल, भगन दूर वहां से तत्काल। सोचन पहिले जान बचाई, नही त मचि जई तुरत बवाल।। पै जब उ सामान दिखिन, तब आबा हमरउ खयाल। नाश्ता पानी सब लइ आईं, फेर मत पूछी हाल।। बड़े प्रेम से उ बोलिन, पूछिन एक ठे सवाल । पहिले पापड़ कि चिप्स बनाई, चलिन उ फेर से चाल।। हमहूं त कम नही रहन, समझि गयन तत्काल। सोचन पुनि कुछ बाति बनाई, नही त मची बवाल।। कहन दुनउ क साथे बनाबा, काहे रखबा झंझट पाल। सुखई न त होई बेकार, मौसम बदलत है तत्काल।। हम काटीथे चिप्स लिआबा,पापड़ बनाबा जीरा डाल। दुनहू जने करीथे काम, काहे रखबा झंझट पाल।। फेर दुनहू जन चिप्स बनायन, पापड़ जीरा डाल। रंग डारि रंग-रोगन किन्हन, पीला हरा औ लाल।। "राज" कहिन की राज न राखा, न राखा कउनौ मलाल। इ पावन रिश्ता है आपन, एका रखा संभाल।। नोक-झोक औ राग विराग, सदा हबै इह काल। हमरन क इ जोड़ी राखा, ऐसई गौरा औ महाकाल।। इ कविता है हसै के खातिर, समझी न कउनौ जाल। बस मलकिन के प्यार छुपा है, समझी न कउनौ चाल।। अपनऊ पंचे रखी बनाइके, आपन प्रेम सम्भाल। जउने एक दूसरे के दिल म, रहइ न कउनौ सवाल।। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल।। आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के हाल। -------कुशवाहाजी ©राजेश कुशवाहा --------- मलकिनिया के पापड़------- -------------भाग-2--------------- ---------बघेली रचना क्रमांक-3------ आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के
--------- मलकिनिया के पापड़------- -------------भाग-2--------------- ---------बघेली रचना क्रमांक-3------ आजु बताइथे हमहूं अपने, मलकिनिया के #कविता #standAlone #कुशवाहाजी
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