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Brijendra Singh
कभी जवाब खोजो उन सवालों का जो मन में लिए घूमते हो अगर हो गए सफल इस दिशा में तो समझ लेना तुमसे ज्यादा बुद्धिमान कोई नहीं इस जँहा में ©Brijendra Singh #Buddhiman
Writer_Sonu
*!! बुद्धिमान साधू !!* किसी राजमहल के द्वारा पर एक साधु आया और द्वारपाल से बोला कि भीतर जाकर राजा से कहे कि उनका भाई आया है। द्वारपाल ने समझा कि शायद ये कोई दूर के रिश्ते में राजा का भाई हो जो संन्यास लेकर साधुओं की तरह रह रहा हो! सूचना मिलने पर राजा मुस्कुराया और साधु को भीतर बुलाकर अपने पास बैठा लिया। साधु ने पूछा – कहो अनुज*, क्या हाल-चाल हैं तुम्हारे? “मैं ठीक हूँ आप कैसे हैं भैया?”, राजा बोला। साधु ने कहा- जिस महल में मैं रहता था, वह पुराना और जर्जर हो गया है। कभी भी टूटकर गिर सकता है । मेरे 32 नौकर थे वे भी एक-एक करके चले गए। पाँचों रानियाँ भी वृद्ध हो गयीं और अब उनसे कोई काम नहीं होता… यह सुनकर राजा ने साधु को 10 सोने के सिक्के देने का आदेश दिया। साधु ने 10 सोने के सिक्के कम बताए। तब राजा ने कहा, इस बार राज्य में सूखा पड़ा है, आप इतने से ही संतोष कर लें। साधु बोला- मेरे साथ सात समंदर पार चलो वहां सोने की खदाने हैं। मेरे पैर पड़ते ही समुद्र सूख जाएगा… मेरे पैरों की शक्ति तो आप देख ही चुके हैं। अब राजा ने साधु को 100 सोने के सिक्के देने का आदेश दिया। साधु के जाने के बाद मंत्रियों ने आश्चर्य से पूछा, “ क्षमा करियेगा राजन, लकिन जहाँ तक हम जानते हैं आपका कोई बड़ा भाई नहीं है, फिर आपने इस ठग को इतना इनाम क्यों दिया?” राजन ने समझाया, “ देखो, भाग्य के दो पहलु होते हैं । राजा और रंक। इस नाते उसने मुझे भाई कहा। जर्जर महल से उसका आशय उसके बूढ़े शरीर से था… 32 नौकर उसके दांत थे और 5 वृद्ध रानियाँ, उसकी 5 इन्द्रियां हैं। समुद्र के बहाने उसने मुझे उलाहना दिया कि राजमहल में उसके पैर रखते ही मेरा राजकोष सूख गया… क्योंकि मैं उसे मात्र दस सिक्के दे रहा था जबकि मेरी हैसियत उसे सोने से तौल देने की है। इसीलिए उसकी बुद्धिमानी से प्रसन्न होकर मैंने उसे सौ सिक्के दिए और कल से मैं उसे अपना सलाहकार नियुक्त करूँगा। *शिक्षा:-* मित्रों, इस प्रसंग से हमें ये सीख मिलती है कि किसी व्यक्ति के बाहरी रंग रूप से उसकी बुद्धिमत्ता का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता इसलिए हमें सिर्फ किसी ने खराब कपडे पहने हैं या वो देखने में अच्छा नहीं है; उसके बारे में गलत विचार नहीं बनाने चाहियें। *सदैव प्रसन्न रहिये।* *जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।* ✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️✒️ ©KAVI.SONU KADERA pratiman #buddhiman prasang #OneSeason
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read moreAnil kashyap
बुधिमान वही है जो पुरू संकल्प से कार्य निपटा ना जानता हो ©khushi kashyap #buddhiman bhaiya Jo pure Sankalp
#Buddhiman bhaiya Jo pure Sankalp #शायरी
read moreNeeraj Ojha
क्यों रोकते हो मुझे उस राह पर जाने के लिए , क्यों रोकते हो मुझे उस राह पर जाने के लिए । यही तो उम्र है किसी को टूट कर चाहने के लिए ।। नीर ..... Bhav...
Bhav...
read moreNeeraj Ojha
आज सोचा की , तेरे सिबा सोचों अभी तक यही सोच रहा हूँ , क्या सोचों ।। Neer.bhav Bhav...
Bhav...
read moreSam
किनारे से गहरायी का अंदाज़ा लगाते हो। क्यूँ खिड़की की जग़ह दरवाज़ा लगाते हो। सुना है आजकल प्याज़ सस्ता हो गया है , फिर भी तुम क्यूँ ज़्यादा भाव बताते हो। ©Sam #bhav