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mayank
निकले थे जो देश छोड़ कर पैसे कमाने को... रो रहें है खाली बैठे, फिर से घर में आने को... मेरे वतन से अच्छा कोई, वतन नही है..हो... कहते थे जो देश को गंदा Hygiene बताने को.... सोच रहें है बैठे, देश की धूरी सिर लगाने को..... मेरे वतन से अच्छा कोई, वतन नही है... हो... घर में जो मेहमान से आते, त्योहार मनाने को.... सोच रहें है बैठे फिर से, घर के हो जाने को.... मेरे वतन से अच्छा कोई, वतन नही है... हो... निकले थे जो गाँव छोड़ कर, नाम कमाने को... हो रहें हैं, व्याकुल वो भी कैरी-अमिय खाने को.... मेरे वतन से अच्छा कोई, वतन नहीं है... हो... ~ मयंक #देशप्रेमी #देश #स्वदेश
#देशप्रेमी #देश #स्वदेश #कविता
read moreShivam Sapdhare
◆हे भारत ◆ मत भूल, तेरे नारीत्व का आदर्श सीता, सावित्री और दमयन्ती है। मत भूल कि तेरे उपास्यदेव देवाधिदेव सर्वस्वत्यागी, उमापति शंकर है। मत भूल कि तेरा विवाह, तेरी धन-संपत्ति, तेरा जीवन केवल विषय- सुख के हेतु नहीं है, केवल तेरे व्यक्तिगत सुखोपभोग के लिए नहीं है। मत भूल कि तू माता के चरणों में बलि चढ़ने के लिए ही पैदा हुआ हैं। मत भूल कि तेरी समाज - व्यवस्था उस अनन्त जगज्जननी महामाया की छाया मात्र हैं। मत भूल कि नीच, अज्ञानी, दरिद्र, अनपढ़, चमार, मेहतर सब तेरे रक्त मांस के है, वे सब तेरे भाई है। ओ वीर पुरुष ! साहस बटोर, निर्भीक बन और गर्व कर कि तू भारतवासी है। गर्व से घोषणा कर कि "मैं भारतवासी हूँ, प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है। " मुख से बोल, "अज्ञानी भारतवासी, दरिद्र और पीड़ित भारतवासी, ब्राह्मण भारतवासी, चाण्डाल भारतवासी सभी मेरे भाई है।" तू भी एक चिथड़े से अपने तन की लज्जा को ढँक ले और गर्वपूर्वक उच्च-स्वर से उद्धोष कर, "प्रत्येक भारतवासी मेरा भाई है, भारतवासी मेरे प्राण हैं, भारत के देवी-देवता मेरे ईश्वर है। भारत का समाज मेरे बचपन का झूला, मेरे यौवन की फुलवारी और मेरे बुढ़ापे की काशी है।" मेरे भाई, कह : "भारत की मिटटी मेरा स्वर्ग है, भारत के कल्याण में ही मेरा कल्याण है।" अहोरात्र जपा कर, "हे गौरीनाथ ! हे जगदम्बे ! मुझे मनुष्यत्व दो। हे शक्तिमयी माँ ! मेरी दुर्बलता को हर लो; मेरी कापुरुषता को दूर भगा दो और मुझे मनुष्य बना दो, माँ !" ~ स्वामी विवेकानन्द स्वामी विवेकानंद स्वदेश मंत्र
स्वामी विवेकानंद स्वदेश मंत्र #विचार
read moreSK Poetic
writing quotes in hindi पेशवा नारायणराव की पुत्री सुनंदा ने अपनी बुआ रानी लक्ष्मीबाई की तरह अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती देकर निर्भीकता का परिचय दिया। सुनंदा को अंग्रेजों ने त्रिचनापल्ली की जेल में बंद कर दिया ।वहाँ से मुक होते ही वे एकांत में भक्ति-साधना करने नैमिषारण्य जा पहुँचीं। वहाँ वे परम विरक्त संत गौरीशंकरजी के संपर्क में आईं। संतजी सत्संग के लिए आने वालों को स्वदेशी व स्वधर्म प्रेम के लिए प्रेरित करते थे। सुनंदा उनकी शिष्या बन गईं। साध्वी सुनंदा ने साधु-संतों से संपर्क कर उन्हें स्वदेशी व स्वधर्म के लिए जन-जागरण करने के लिए तैयार किया। नैमिषारण्य में लोग ‘साध्वी तपस्विनी’ के नाम से उन्हें पुकारने लगे। वे साधुओं की टोली के साथ गाँवों में पहुँचतीं और ग्रामीणों को विदेशी सत्ता के विरुद्ध विद्रोह की प्रेरणा देतीं। अंग्रेजों को जब साधु-संतों के इस अभियान का पता चला, तो सीतापुर के आस-पास के अनेक साधुओं को गोलियों से उड़ा दिया गया । तपस्विनी सुनंदा चुपचाप नेपाल जा पहुँचीं। वहाँ से गुप्त रूप से पुणे पहुँचकर उन्होंने लोकमान्य तिलक से आशीर्वाद लिया। वे स्वामी विवेकानंदजी से भी बहुत प्रभावित थीं। उन्होंने कलकत्ता में महाकाली कन्या विद्यालय की स्थापना की ।सुनंदा ने बंग-भंग के विरोध में हुए आंदोलन में भाग लिया। 16 अगस्त, 1906 को कोलकाता में रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में हुंकार भरते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि हम रक्षाबंधन के पवित्र दिन विदेशी वस्तुओं के पूर्ण बहिष्कार का संकल्प ले लें, तो अंग्रेजी सत्ता की जड़ें हिल जाएँगी।’ अगले ही वर्ष 1907 में राष्ट्रभक्त तपस्विनी ने कोलकाता में स्वदेशी का प्रचार करते हुए अंतिम सांस ली । ©S Talks with Shubham Kumar तपस्विनी की स्वदेश निष्ठा
तपस्विनी की स्वदेश निष्ठा #प्रेरक
read moreBharat Bhushan pathak
चप्पलों से हुए शुरू, वही साइबर गुरु, अजी कुछ और सीख, देश को बढ़ाइये। सुनो जो कमाई हुई, जग में हँसाई हुई, एटीएम खोज नहीं, दिमाग सढ़ाइये। बड़ा वरदान पाया, हैंकिंग है जो बताया, यूं बेकार चीज छोड़, देश में लगाइये। फेसबुक हैक करो, एकाउन्ट ब्रैक करो, फेक वाली आईडी की, फ़ितूर भगाइये। याद बस यही रखो, स्वदेश से नहीं ठगो, देश का खाकर ही, छुरा नहीं घोंपिए। ©Bharat Bhushan pathak #स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद
#स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #कविता
read moreBharat Bhushan pathak
चप्पलों से हुए शुरू, वही साइबर गुरु, अजी कुछ और सीख, देश को बढ़ाइये। सुनो जो कमाई हुई, जग में हँसाई हुई, एटीएम खोज नहीं, दिमाग सढ़ाइये। बड़ा वरदान पाया, हैंकिंग है जो बताया, यूं बेकार चीज छोड़, देश में लगाइये। फेसबुक हैक करो, एकाउन्ट ब्रैक करो, फेक वाली आईडी की, फ़ितूर भगाइये। याद बस यही रखो, स्वदेश से नहीं ठगो, देश का खाकर ही, छुरा नहीं घोंपिए। ©Bharat Bhushan pathak #स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद
#स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #कविता
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चप्पलों से हुए शुरू, वही साइबर गुरु, अजी कुछ और सीख, देश को बढ़ाइये। सुनो जो कमाई हुई, जग में हँसाई हुई, एटीएम खोज नहीं, दिमाग सढ़ाइये। बड़ा वरदान पाया, हैंकिंग है जो बताया, यूं बेकार चीज छोड़, देश में लगाइये। फेसबुक हैक करो, एकाउन्ट ब्रैक करो, फेक वाली आईडी की, फ़ितूर भगाइये। याद बस यही रखो, स्वदेश से नहीं ठगो, देश का खाकर ही, छुरा नहीं घोंपिए। ©Bharat Bhushan pathak #स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद
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चप्पलों से हुए शुरू, वही साइबर गुरु, अजी कुछ और सीख, देश को बढ़ाइये। सुनो जो कमाई हुई, जग में हँसाई हुई, एटीएम खोज नहीं, दिमाग सढ़ाइये। बड़ा वरदान पाया, हैंकिंग है जो बताया, यूं बेकार चीज छोड़, देश में लगाइये। फेसबुक हैक करो, एकाउन्ट ब्रैक करो, फेक वाली आईडी की, फ़ितूर भगाइये। याद बस यही रखो, स्वदेश से नहीं ठगो, देश का खाकर ही, छुरा नहीं घोंपिए। ©Bharat Bhushan pathak #स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद
#स्वदेश से नहीं ठगो #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #कविता
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