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Anjali Singhal
"पढ़ रही थी तेरी यादों का हर्फ़-हर्फ़, लिपट के आया ज्यूँ तेरे एहसासों का पैरहन, दिल ने कहा तू भी चल अपने प्यार की तरफ़, चाहत से भीगने लगे दे #Poetry #lovepoetry #loveshayari #status #shayaristatus #statusvideo #AnjaliSinghal
read moreRakesh frnds4ever
White क्या मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर खुशियों के शोर शराबे में, किसी कोने कचोने में चीखें मेरी दबी पड़ी तुम्हारे उत्सव और त्योहारों में, घर में कभी ना मुझको मिली मौजूदगी,,, क्या मैं हूं कहीं या मैं हूं ही नहीं दिन भर के थके बदन के चूर चूर हालातों में, शामों के कामों व रात भर के दिल,मन,जज्बातों के मरे खून से चकनाचूर हुए बिखरे जर्जर शरीर की , तुम्हारे अरामो, विश्रामों या खिलखिलाकर बतियाती बातों से परे टूटे फूटे बदन की मेरी, नंगे पांव गुजरी जलती हर दोपहरी क्या मैं हूं कहीं,, या मैं हूं ही नहीं,,,, .................१............. ©Rakesh frnds4ever #क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में #
#क्यामैंहूंकहीं या मैं हूं ही नहीं क्या #मैं हूं कहीं, या मैं हूं ही नहीं तुम्हारी हर #खुशियों के #शोर_शराबे में, किसी कोने कचोने में # #दबी #हालातों #दोपहरी #चकनाचूर #चीखें #कोट्स #rakeshyadav
read moreबेजुबान शायर shivkumar
🌸 गजानंद जी चले 🌸 गजानन जी चले अपने धाम चलो सखी झूमे नाचे करें उन्हें प्रणाम। झांकी सजाओ बनाओ मोदक पकवान मूषक पर होके सवार चले गजानन जी आया बुलावा मां पार्वती का गजानन जी चले अपने धाम ©बेजुबान शायर shivkumar भक्ति सागर भक्ति भजन भक्ति संगीत Sethi Ji Santosh Narwar Aligarh (9058141336) poonam atrey puja udeshi Aman Singh #गणेशचतुर्थी #Ganes
भक्ति सागर भक्ति भजन भक्ति संगीत Sethi Ji Santosh Narwar Aligarh (9058141336) poonam atrey puja udeshi Aman Singh #गणेशचतुर्थी Ganes #GaneshChaturthi #खुशी #हिन्दीकविता #प्रभु #भक्तों #गजानंद #बेजुबानशायर #कविता95 #बेजुबानशायर143
read moreChandraprakash Hardeniya
#poetryunplugged सभी सामान्य जाति के भाइयों को एक बड़े आंदोलन की आवश्यकता आन पड़ी है तैयार रहें भारत माता की जय जय #मोटिवेशनल
read morePrabhat Singh
हम जले तो सब चिराग समझ बैठे.!! जब महके तो सब गुलाव समझ बैठे.!! मेरे लफ्जों का दर्द किसी ने नहीं देखा.!! शायरी पड़ी तो शायर समझ बैठे.!! ©Ammu हम जले तो सब चिराग समझ बैठे.!! जब महके तो सब गुलाव समझ बैठे.!! मेरे लफ्जों का दर्द किसी ने नहीं देखा.!! शायरी पड़ी तो शायर समझ बैठे.!! हिंद
हम जले तो सब चिराग समझ बैठे.!! जब महके तो सब गुलाव समझ बैठे.!! मेरे लफ्जों का दर्द किसी ने नहीं देखा.!! शायरी पड़ी तो शायर समझ बैठे.!! हिंद #Feeling #heartbroken💔feel #LO√€
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ढूंढ रही हैं नजरे शायद अभी दिख जाएं। आया है फिर राखी का त्यौहारकहीं किसी बहन को बिछड़ा भाई तो किसी भाई को बिछड़ी बहन मिल जाएं। माना राखी महंगी और रिश्ते सस्ते हों गए है। पर कभी तो बाहरी दिखावा छोड़ मन की आंखों से मेल हटा कर मिल लिया करो। जानें कब किसी की अगली सुबह आंख न खुले इसलिए जब याद आए तब ही बात कर लिया करों। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ #कविता
read moreSandeep Rahbraa
White लोग खुश है बहुत आज आजादी के जीत से खिल गई है फूल चमन में अमन - ए - प्रीति से जो थी घटा छाई हुई अंधेरे की वो छट गई आज बेड़ियां जो पड़ी थी पैरों में गुलामी की कट गई आज कर्ज अदा करे वीरों के कुर्बानियों हम अपने दिलों जान से जब तक जान करते रहे वफादारी हम अपने हिंदुस्तान से ©Sandeep Rahbraa लोग खुश है बहुत आज आजादी के जीत से खिल गई है फूल चमन में अमन - ए - प्रीति से जो थी घटा छाई हुई अंधेरे की वो छट गई आज बेड़ियां जो पड़ी थी प
लोग खुश है बहुत आज आजादी के जीत से खिल गई है फूल चमन में अमन - ए - प्रीति से जो थी घटा छाई हुई अंधेरे की वो छट गई आज बेड़ियां जो पड़ी थी प #कविता #happy_independence_day
read moreVikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
read moreAnkur tiwari
bharat quotes सन सत्तावन में उमड़ी थी जो,सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई गोरों की काले दिल की सब,करतूतें तब असफल हुई जब एक एक रणबांकुर करने को,अपना सर्वस्व न्योछावर कूद पड़े तब अंग्रेजी हुकूमत के तख्तों के,पावदान सब टूट पड़े लाला सुभाष और तिलक की बातें ,जनमानस में गूंज पड़ी अरुणा,सावित्री और चेन्नमा ,भी इस रण में कूद पड़ी जलियांवाला केवल एक बाग नहीं ,वीरों की अमर निशानी हैं बचपन से सुन रहे है हम जो,वो लक्ष्मी बाई की अमर कहानी हैं आजाद,भगत, सुखदेव राजगुरु ,थे सब आजादी के दीवाने बिस्मिल,हमीद के बलिदानों को,हैं कौन यहां जो ना जाने इनके त्याग ही का प्रतिफल है यह,आज़ादी जो हमने पाया है स्वच्छंद हिमालय है खड़ा बुलंद, हम पर भारत मां के आंचल की छाया है अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari सन सत्तावन में उमड़ी थी जो सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई गोरों की काले दिल की सब करतूतें तब असफल हुई जब एक एक रणबांकुर करने को अपना सर्वस्व न्
सन सत्तावन में उमड़ी थी जो सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई गोरों की काले दिल की सब करतूतें तब असफल हुई जब एक एक रणबांकुर करने को अपना सर्वस्व न् #Motivational
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