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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
#nojotoहम आज अपनों को बेगाना बनाए बैठे है,तभी तो रिश्तों को जख्मो का दवाखाना बनाए बैठे है//१ अक्सर अपनों को मनाने से बिगड़ी बात बन गई है,तभी #shayarilover #shamawritesBebaak
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} इस संसार में जहाँ भी विलक्षणता, विशेषता, सुन्दरता, महत्ता, विद्वत्ता आदि या कुछ भी अजीब, कुछ भी विशेष, या कुछ भी अदभुत हैं, उसको केवल और केवल भगवान् श्री कृष्ण जी का ही मानकर भगवान् का ही चिन्तन करना चाहिये, केवल भगवान श्री कृष्ण जी का चिंतन ही हम सब को पार कर सकता है।। ©N S Yadav GoldMine #International_Chess_Day {Bolo Ji Radhey Radhey} इस संसार में जहाँ भी विलक्षणता, विशेषता, सुन्दरता, महत्ता, विद्वत्ता आदि या कुछ भी अजीब,
#International_Chess_Day {Bolo Ji Radhey Radhey} इस संसार में जहाँ भी विलक्षणता, विशेषता, सुन्दरता, महत्ता, विद्वत्ता आदि या कुछ भी अजीब, #मोटिवेशनल
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीबी को मेरी । रोक कर रस्ता खड़ी है हर तरफ़ ।।३ दिख रही है आदमी में बुज़दिली । इसलिए तो खुदकुशी है हर तरफ़ ।।४ अब भरोसे का नही है आदमी । ये खबर भी तो छपी है हर तरफ़ ।।५ मानकर बातें सभी दिलदार की । जान की बाजी लगी है हर तरफ़ ।।६ दो निवालों के लिए है भागता । तिलमिलाती ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।७ उसके गदराये बदन को देखकर । बोली ऊँची ही लगी है हर तरफ़ ।।८ जान की कीमत नही बाजार में । गोश्त की कीमत बढ़ी है हर तरफ़ ।।९ किसलिए मायूस होना दुनिया से । हौसला रख ज़िन्दगी है हर तरफ़ ।।१० ज़िन्दगी में अब यही बाकी प्रखर । आज आँखों में नमी है हर तरफ़ ।।११ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीब
ग़ज़ल :- आप आये हैं खुशी है हर तरफ़ । आज घर में रोशनी है हर तरफ़ ।।१ इस जहाँ की भीड़ से आगे निकल । भूल जा तू बेबसी है हर तरफ़ ।।२ देख तो ले बदनसीब #शायरी
read moreParul (kiran)Yadav
White #मेरा बचपन मेरा बचपन न जाने कहाँ छूट गया , खुशियों का दामन जैसे रुठ गया , अब तो बस यादों में बसेरा है , न जाने आज कितनी यादों ने आ घेरा है ,... क्यों चले गए वो मेरे बचपन के अच्छे दिन , वो मासूमियत , वो भोलापन ,वो दो पल की लड़ाई , पल में तोला पल में माशा , लो हो गए कट्टी , चल फिर कर ले पुच्ची , खत्म हो गई लड़ाई कहा गया वो खट्टी मीठी यादों वाला मेरा बचपम , खेलकूद मस्ती में बिता न जाने कब दिन, मेरा बचपन बहुत याद आता है . फिर से बच्चा बन जाने को जी ललचाता है .... Parul yadav ©Parul (kiran)Yadav #sad_shayari मोटिवेशनल कोट्स हिंदी मोटिवेशनल कोट्स फॉर वर्क मोटिवेशनल कोट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स 'हिंदी मोटिवेशनल कोट्स'#मेरा बचपन म
#sad_shayari मोटिवेशनल कोट्स हिंदी मोटिवेशनल कोट्स फॉर वर्क मोटिवेशनल कोट्स प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स 'हिंदी मोटिवेशनल कोट्स'#मेरा बचपन म #bachpn #meri_rachna #swlikhit
read moreभारद्वाज
White पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी? आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था? शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी। लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था। वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं! आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था? भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी? किसने आपके कपड़े धोये? डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे। किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी? कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था? कौन फसल लाता था? कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं? जाट समाज से होली थाम एव मकान निर्माण से ईंट रखवाना। जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे। . . . *और कहते है कि छुआछूत था।* *यह छुआछूत की बीमारी अंग्रेजों ने देश को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।* *जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।* *अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,* *बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,* *कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!* जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये.. देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं! *सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...* * एक भारत, श्रेष्ठ भारत।*. ©भारद्वाज #love_shayari #पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श कर
#love_shayari #पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था, मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श कर #Life
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