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Stories related to फुलातील रज कण

Rajkumar Siwachiya

तुम्हें अपना होता पाता काश ऐसा कोई दिन आता में जितना जैसा तुम्हें चाहता हूं उसका मुझे तू कण भी चाता ✨🫀✨🥷🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️Sa

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White तुम्हें अपना होता पाता 
काश ऐसा कोई दिन आता 
में जितना जैसा तुम्हें चाहता हूं 
उसका मुझे तू कण भी चाता
काश में तुमको फुटी आंख भी भाता 
काश ऐसा कोई पल देख पाता 
ना ज्यादा इससे में कण भी चाहता 
बची जिनी में सुख में नाहता 
बता तेरा ओय क्या ही जाता 
काश ऐसा कोई क्षण आता 
में तुमको अपना होता पाता
✨🫀✨🥷🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya तुम्हें अपना होता पाता 
काश ऐसा कोई दिन आता 
में जितना जैसा तुम्हें चाहता हूं 
उसका मुझे तू कण भी चाता
✨🫀✨🥷🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️#Sa

Sonal Panwar

कण-कण में भगवान🌹🙏🏻🙏🏻🌹✨💫 हिंदी कविता हिंदी कविता कविता कोश कविताएं #spiritual #godiseverywhere

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अज्ञानी ये मानव मन है 
इस सत्य से अनजान, 
इस नश्वर शरीर के अंतर्मन में हैं 
🙏🏻🌹श्री हरि भगवान🌹🙏🏻 
जो इस सत्य को ले जान 
मिले उसे दिव्य वरदान, 
कण-कण में प्रभु 
यही सृष्टि के सृजन का विधान ।

©Sonal Panwar कण-कण में भगवान🌹🙏🏻🙏🏻🌹✨💫  हिंदी कविता हिंदी कविता कविता कोश कविताएं #spiritual #godiseverywhere

बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

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White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar 
#मौसम  Sethi Ji  Bhanu Priya  Kshitija  Sana naaz  puja udeshi  हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बा

संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

हमारी वास्तविक आवाज शीर्षक श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित . . विधा श्री शिव रुद्राष्टकम् हिंदी अर्थ सहित श्लोक ३ .

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Praveen Jain "पल्लव"

#Likho अंतर्मन से कण कण,सबसे क्षमा क्षमा बोल रहा है #nojotohindi

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पल्लव की डायरी
राग द्वेष की परणति में
गोता हम सब रोज लगाते है
अहम इतने जीवन मे पलते
इनके वशीभूत होकर
कितने विकारों को गले लगाते है
कभी मीठा पन,कभी गुस्से में
अपने लाभ के लिये ठेस गैरो को पँहुचाते है
अनजाने कितने पाप बांध लिये
पीड़ा भव भव में झेलेंगे
अब मुझे भान हुआ है मन मेरा झकझोर रहा है
अन्तरकर्ण से कण कण सबसे
क्षमा क्षमा बोल रहा है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Likho अंतर्मन से कण कण,सबसे क्षमा क्षमा बोल रहा है
#nojotohindi

नीतू सिंह

सुप्रभात... आत्म.. प्रेम- परमात्म 🕉️🌷🙏🏻 विचारों से निर्विचार होना शिक्षा का सार...जीवन आधार... प्रेम प्रणाम... शुभ कल्याण 🌷 शिक्षा का सार.

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