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Stories related to अजन्ता वाच

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Badnaam Chhora

full वाच #Quotes

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#Gaurav #Shukla

https://youtu.be/Mp29LP-88ko प्लीज वाच एंड सब्सक्राइब

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#Gaurav #Shukla

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Sanjeev gupta

#BeautifulMoment लाइफ में कभी भी दस्तक दे सकते हैं, वेट एंड वाच #विचार

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इंतज़ार मुझे उस घड़ी का
जब वक्त मेरे हाथों में
और कामयाबी मेरे कदमों तले
तबतक मेरे दिल की धक-धक 
घड़ी की टिक-टिक
से तेज चलेगी #BeautifulMoment लाइफ में कभी भी दस्तक दे सकते हैं, वेट एंड वाच

Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी

#love_shayari गजब दौर चल रहा है, कौवा भी ग्यान दे रहा है, दोगला गीता वाच रहे, रामायण शैतान पढ़ रहा है। #कलमसत्यकी ✍️©️ #शायरी

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Babbu Singh Dhiman

पढ़िए आपका फायदा है दोस्तो 5 Questions in 60 sec. हर exam में आपको यह प्रशन जरूर मिलेंगे। तो मौका न गवाये must वाच share with your friends wh

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पढ़िए आपका फायदा है दोस्तो 5 Questions in 60 sec. हर exam में आपको यह प्रशन जरूर मिलेंगे। तो मौका न गवाये must वाच share with your friends wh

yogesh atmaram ambawale

शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो कसे आहात? आताचा विषय आहे शोध कवितेत... #शोधकवितेत चला तर मग लिहूया. #Collab #yqtaai #YourQuoteAndMine

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शोध कवितेत माझ्या,तुझ्यासाठी असलेल्या भावना,
जरी न बोललो,वाचून समज काय आहे माझ्या मना.
सांगता न आले जे,ते सर्व शब्दात मांडले,
प्रेम माझे तुझ्यावरचे,कवितेत उतरविले.
संबोधतो काय तुला,तुझ्यासाठी काय मनात असते,
वाच कवितेत माझ्या,मला तुझी किती गरज भासते.
तसे पाहता तू नेहमीच माझ्या हृदयी असते,
इतकी सुंदर तू,की परी बनून माझ्या कवितेत वसते.— % & शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो
कसे आहात?
आताचा विषय आहे
शोध कवितेत...
#शोधकवितेत

चला तर मग लिहूया.
#collab #yqtaai

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर , दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।। राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे #कविता

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मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे ,
दोनो की ये प्रीति भली , कभी न बिसारिये ।।

रूप  ये बदल आये , देख निधिवन आये ,
मिले कभी समय तो , उधर निहारिये ।।

कट जाये जीवन यूँ , राधे-राधे जपते यूँ ,
शरण बिहारी के यूँ , जीवन गुजारिये ।।१


पटरी की रेल है ये , जीवन का खेल है ये ,
तेरा मेरा मेल है ये ,  प्रीति ये बढ़ाइये ।

चाँद जैसी सूरत है , अजन्ता की मूरत है ,
सुन चुके आप हैं तो , घुंघट उठाइये ।।

नहीं हूर नूर देखो , पीछे हैं लंगूर देखो ,
जैसे भी हूँ अब मिली , जीवन गुजारिये ।।

आई हूँ तू ब्याह कर , नहीं ज्यादा चाह कर ,
मुझे और नखरे न , आप तो दिखाइये ।।२

२९/०२/२०२४        -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-

राधे राधे जप कर , बुलाते हैं गिरधर ,
दौड़े-दौड़े चले आते , मन से पुकारिये ।।

राधा में ही श्याम दिखे , श्याम को ही राधा लखे

Prabhakar Tiwari✌

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये, तुम एम ए फ़र्स्ट डिवीज़न हो, मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये, मुश्किल है अपना मेल प्रिय

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मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम एम ए फ़र्स्ट डिवीज़न हो, मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये, 
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये, 

तुम फ़ौजी अफ़सर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ,
तुम राबड़ी खीर मलाई हो, मैं तो सत्तू सप्रेटा हूँ,
तुम ए. सी. घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,
तुम नई मारुति लगती हो, मैं स्कूटेर लंबरेटा हूँ,
इस कदर अगर हम चुप-चुप कर आपस मे प्रेम बढ़ाएँगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जाएँगे,
सब हड्डी पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये, 
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं शनी-देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कन्चन काया हो,
मैं तन से मन से कांशी राम, तुम महा चंचला माया हो,
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ,
तुम राज घाट का शांति मार्च, मैं हिंदू-मुस्लिम दंगा हूँ,
तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफ़ा अजन्ता की,
तुम हो वरदान विधता का, मैं ग़लती हूँ भगवांता की,
तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम-ठेल प्रिये, 
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम एम ए फ़र्स्ट डिवीज़न हो, मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये, 
मुश्किल है अपना मेल प्रिय

रजनीश "स्वच्छंद"

हे ईश उठो।। हे ईश उठो अब जागो भी, कब तक ममता ये रोयेगी। तुम प्राण भरो तुम त्राण करो, कब तक जनता ये सोएगी। जो लघु रहा वो दीर्घ हुआ, #kavita #कविता #nojotophoto

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 हे ईश उठो।।

हे ईश उठो अब जागो भी,
कब तक ममता ये रोयेगी।
तुम प्राण भरो तुम त्राण करो,
कब तक जनता ये सोएगी।

जो लघु रहा वो दीर्घ हुआ,
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