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बिमल तिवारी “आत्मबोध”
#OpenPoetry बुद्ध तुम घूमते रहे घर जिम्मेदारी छोड़कर खोजते रहे दुखों का निवारण वृक्ष के नीचे बैठकर पर सोचा होगा कभी भी एक पल क्या करती होगी यशोधरा जो लिए निशानी गोद मे तेरी कैसे बिताई होगी दिन अपना नही सोचे होंगे एक पल भी बुद्ध तुम तनिक भी उसके बारे में तुम्हें पता था ' ओ स्त्री हैं ' नही भागेगी घर से अपने बख़ूबी निभाएगी जिम्मेदारी अपनी जो छोड़ आये हो उसके सिर पर नही चाहती स्त्री कुछ भी सिवाय पति के वचन निभाती इसलिए हर स्त्री ब्रह्म हैं निर्वाण मोक्ष नही उसको चाहिए पुरुष कर्तब्य विमुख अधम एक जीव हैं वचन तोड़कर घर छोड़कर ईश्वर से मिलने का उसको लीला नाटक करना चाहिए ना पाया मोक्ष ना मिटाया दुःख ही पुरुष अपने नौटनकी से कर्तब्य निभाती स्त्री लगी है संसार को मोक्ष दिलाने में ।। बुद्ध और यशोधरा
बुद्ध और यशोधरा #OpenPoetry
read morevibhanshu bhashkar
एक असंतुलित "तराजू" !! जिसके एक पड़ले पर ...'युद्ध'... दूसरे पर 'शांति'... पहले पर मानवकृत बटखरे..जिसमे... इंसानो की चीख .. खून से लथपथ बदन.. मासूम बच्चो के कटे ,बिखरे अंग.. सुहागन की फटी साड़ी पर बिखरे.. उसके पति का कटा पाँव , सर, हाँथ आंखे.. एक अट्टहास ... प्रकृति का हम पे... हमारे विनाश पे... एक पड़ले पर शांति !! जिसके प्रकृति दत्त उपहार... बाप के कंधे पर बैठे.. मासूम चेहरों की मुस्कान.. हरी-भरी फसले, नदिया, वन, उपवन एक सुहागन का सिंदूर... विधवा माँ के गोदी में हँसता .. उसके..बच्चे का सर... शांति की वकालत करना..'पर्यावाची' है... बुजदिली ,कायरता और देशद्रोही का.. युद्ध की वकालत करना...'पर्यावाची' है... बहादुरी ,शौर्य और देशप्रेम का... कौन पड़ला भारी....? हजार लोग हजार मत... आपका भी मत होगा पुर्वत.. घिसी-पीटि भाषा मे.. दानव के साथ दानव... मानव के साथ मानव का .."व्यवहार" ... परंतु क्या यह... सम्पूर्ण ,और संतुष्टि भरा..उत्तर है...??? तलाश..... #NojotoQuote युद्ध और बुद्ध..
युद्ध और बुद्ध..
read moredilip khan anpadh
(बुद्ध और मोक्ष) ------------ जब निशा रात्रि ठन आया क्लान्त हुआ मन घबराया सुख-दुख और जनम-मरण क्या इतनी जीवन की माया? प्रश्न न्यून वो था नही उत्तर का कुछ पता नही शांत कँहा हुआ वो मन छोड़ चला जगमग जीवन। त्याग दिया वो अस्त्र-शस्त्र छोड़ दिया क्षत्रिय बस्त्र बंधन से मुख मोड़ गया पितृ धर्म भी छोड़ गया। था काल रात्रि वो सुनसान डग भरना न था आसान पग जो था कभी पुष्प समान चल चलकर हुआ लहूलुहान। बस्ती घूमा,जंगल घूमा पर्वत घूमा,दलदल घूमा कृशकाय हो,हुआ मौन आखिर ये उत्तर देगा कौन? कई बरस जब बीत गए जब वो खुद में रीत गए आत्मा तब वो हुआ शुद्ध वो कहलाए परम बुद्ध। भारत भू के वो भगवान कण-कण में सींचा दिव्य प्राण मिल गया उन्हें वो अभय ज्ञान मिलता जिससे है मोक्ष महान।। दिलीप कुमार खाँ अनपढ़ #बुद्ध और मोक्ष
Ratnesh Yadav
अंगुलिमाल और गौतम बुद्ध (कहानीअंगुलिमाल और गौतम बुद्ध कहानीstory #GautamBuddha #Angulimal #motivatation #प्रेरक
read moreNEERAJ SIINGH
ना जानें कौन सा स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हो जो मैं नही तुम्हारा तो , क्रुद्ध होना चाहते हो.. कब उठोगे तुम इस उहा पोह से कब उठोगे तुम इस उहा पोह से क्यों नही तुम , राम , कृष्ण और बुद्ध होना चाहते हो , #neerajwrites राम कृष्ण और बुद्ध
#neerajwrites राम कृष्ण और बुद्ध
read moreArora PR
याद आता हैँ मुझे कि पिछले जन्म मे मै भी था और ईश्वर भी था लेकिन इस जन्म मे मै तों हूं लेकिन ईश्वर मुझे कही दिखाई नहीं दिया मे मैतों हूं हो पर वो खुदा. कही नजर नहीं आता ©Arora PR ईश्वर और मै
ईश्वर और मै #कविता
read moreShashikant Meena
अभी वह प्रकट है भैया। उसे देखने की कला सीख। यह कला सीखेगा तो तेरा स्नेह... तेरा भीतर का रस जागेगा। भीतर का रस जागेगा तो प्राप्त परिस्थितियों का सदुपयोग करने की कला अपने आप आयेगी। जब तू सबमें उसको देखेगा, नहीं जानता है फिर भी वह सबमें है ऐसा तू विश्वास करेगा तो तेरे द्वारा अन्याय का व्यवहार कम हो जायेगा, तेरे द्वारा पक्षपात दूर होने लगेगा। तू बिलकुल आसानी से अपने चालू व्यवहार में परम पद का अनुभव करने लगेंगे। ©Shashikant Meena #ईश्वर की और
Parasram Arora
बताओ तो ज़रा मेरे खुदा से तेरा ईश्वर क्यों दूरी बनाये रखे..? कहीं ये कुलबुलाती नफरते इंसानियत को कुचलने की साज़िश तो नहीं हैँ कहीं दोज़ख की भेड़े जन्नत की दीवार मे सेंध लगाने की योजना तो नहीं बना रही हैँ ? खुदा और ईश्वर......
खुदा और ईश्वर......
read moreShishpal Chauhan
"मानव और ईश्वर" ईश्वर ने मानव को जन्म दिया, मानव ने फिर हिंदू मुसलमान किया। मानव ने ही झगड़े का रूप दिया, इंसानियत को शर्मशार किया। क्या हिंदू क्या मुसलमान क्या सिख क्या ईसाई, ये नफरत की दीवार क्यों बनाई। क्या राम क्या रहीम क्या अल्लाह क्या वाहेगुरु, सबको बनाने वाला एक ही गुरु। ये तेरा है यह मेरा है, ये सब मोह माया का फेरा है। ऊपर वाले ने कुछ सोचकर हमें भेजा है, पर नर का खराब हो गया भेजा है। हे मानव तू सबका सम्मान कर, उस मालिक से थोड़ा डर। अच्छे कर्म तू सदा कर, सब धर्मों का तू आदर कर। अपनी जवानी पर इतना क्यों इतराता है, दिन रात चैन न तू पाता है। एक दिन पछताएगा, जब शरीर साथ न दे पाएगा। कर ले मानव तू सबकी फिक्र, जन्म तेरा जाएगा सुधर। "एस.पी.चौहान " ©Shishpal Chauhan # मानव और ईश्वर
# मानव और ईश्वर #कविता
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