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नवनीत ठाकुर
"इंसान में इंसानियत होती गर बाकी, मंदिर-मस्जिद की साजिशें होती शायद नाकाम।। पंडित भुला माला, नमाज़ी भुला ईमान। दिल से दिल जोड़ने का नाम होता मज़हब, खुदा मिलता हर दिल में, हर चेहरे में राम।।" ©नवनीत ठाकुर # "इंसान में इंसानियत होती गर बाकी, मंदिर-मस्जिद की साजिशें होती शायद नाकाम। पंडित भुला माला, नमाज़ी भुला ईमान, दिल से दिल जोड़ने का नाम होत
# "इंसान में इंसानियत होती गर बाकी, मंदिर-मस्जिद की साजिशें होती शायद नाकाम। पंडित भुला माला, नमाज़ी भुला ईमान, दिल से दिल जोड़ने का नाम होत
read moreशुभम मिश्र बेलौरा
White किया सदा ही शिक्षा का आह्वान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने । किया नुकसान पन्डितों, किया नुकसान पन्डितों ने। देश की आजादी में भी ये कदम से कदम मिलाए, पड़ी जरूरत जब भी सबसे पहले नजर ये आए। गोरे अंग्रेजों को पहले गोली जिसने मारी, इसमें भी हैं मंगल पांडे चंद्रशेखर तीवारी। फिर भी नहीं कहता कि किया अहसान पन्डितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने। हाथ में जब भी देश मिला तब की देखो खुद्दारी, पंडित नेहरू लालबहादुर या हों अटल बिहारी, घोटाले चोरी में इनका नाम कभी न आया, परमाणु सम्पन्न तिरंगा दुनिया में लहराया। अपने दम पर दुनिया में कमाया,नामोनिशान पंडितों ने, मत बोलो कि बांटा हिन्दुस्तान पन्डितों ने, किया नुकसान पन्डितों ने.......2 ©Shubham Mishra #GoodNight पंडित जी
#GoodNight पंडित जी
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब । जो रहकर भी साथ में , छोड़े मेरा हाथ अब ।। जीवन के हर मोड़ पर , चलना हमको साथ है । याद रहे इतना पिया , थामा तेरा हाथ है ।। अब तो तेरे संग ही , इन साँसो की डोर है । ले जाओ अब तुम जिधर , चलना अब उस ओर है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।
उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।
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विधा कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।। भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा । कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।। राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप । मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।। जीवन के संताप , हरे सब राधा माई । यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।। सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा । उसके ही दुख दूर , करे माँ मेरी राधा ।। राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ । सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।। खेलें उनके साथ , निकट यमुना के तट पर । आया जो आनंद , सुनायें सखियां कहकर ।। उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा । सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध
विधा कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध
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