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Mohan Sardarshahari
White काम करना तो वही है जो करते हैं हम शौक से बाकी तो बस चलता है जिम्मेदारियों के खौफ से।। ©Mohan Sardarshahari # शौक और खौफ
# शौक और खौफ
read moreParasram Arora
White अब सुख और सुकून की नींद कहा नसीब होती हैँ आज के इंसान को आदमी दिन भर व्यस्त रहता हैँ रोज़ी रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे उसे सुकून और सुख की फ़िक्र करने.का वक़्त ही कहा मिलता हैँ? ©Parasram Arora सुख और सुकून
सुख और सुकून
read moredivya Sharma
White चाहे वह हम उम्र हो या फिर छोटे या बड़े बच्चे मोहल्ले में सभी एक समान थे,सब के साथ bhaeeyapa था... बात करूंगी पिकनिक की हमारी पिकनिक ,😁 दिवाली के बाद की पिकनिक ,💞अब ये दिवाली के बाद पिकनिक क्यों,??😁 क्योंकि हमें कुछ मिट्टी के बर्तन मिल जाते थे और हम उसमें बड़े चाव से अपनी छोटी सी पिकनिक मनाते, न न,कोई ताम झाम नहीं बस कोई दाल ले आया और कोई चावल कोई अपने घर से दो आलू चुरा के ले आता और हम अधिनिर्णीत बने मकान में लकड़ी और ईंटों का जुगाड़ कर एक चूल्हा बना देते और इसी चूल्हे में अधपके चावल, दाल और आलू का चोखा खाकर हम बड़े खुश हो जाते पास पड़े पत्ते ही हमारा थाल बनते♥️ वो बचपन... उफ्फ🥺 ©divya Sharma #संस्मरण
Satish Kumar Meena
White इंसान का चिंतन और मनन वातावरण पर निर्भर करता है वो भी स्वयं के। ©Satish Kumar Meena चिंतन और मनन
चिंतन और मनन
read moreAshok Verma "Hamdard"
White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard" #गांव और शहर
#गांव और शहर
read moreSatish Kumar Meena
White पक्षियों की उड़ान स्वतंत्र हैं और इंसानों को बंदिशों के दायरे में काम करना पड़ता है क्योंकि एक दूसरे की सरहद पार करना बहुत बड़ा गुनाह है। ©Satish Kumar Meena स्वतंत्रता और बंदिश
स्वतंत्रता और बंदिश
read moreseema patidar
White कुछ वक्त और ठहर जाओ तो अच्छा होगा जैसे हर पतझड़ के बाद बाग दुबारा खिल उठता है हवा अपना मुख मोड़कर दुबारा उन्ही पेड़ों से लिपट जाती है हर रोज अंधेरे के बाद सूरज की पहली किरण रोशनी ले आती है तुम भी दुबारा उन्ही लम्हों से गुजर जाओ तो अच्छा होगा खुशियों का समुंद्र भर लाओ सुकून के कुछ पल साथ बिता जाओ कितना खोया कितना पाया खुद बता जाओ चले जाते है सब लोग जिंदगी में साथ छोड़कर तुम उम्र भर साथ निभा पाओ तो अच्छा होगा ©seema patidar कुछ वक्त और ......
कुछ वक्त और ......
read morePankaj Pahwa
खाते हैं ये मूंगफली और पादते बादाम हैं, हैं यहां कुछ लोग जिनकी आदतें बदनाम हैं, खुद पे इनपे साइकल भी ना हैं बताते मर्सिडीज, बनते खुद में तुर्रमखान और दुज्जे को समझें खबीज, बात करने से ही इनके दिखते हैं ये बदतमीज, फिर भी दूज्जे को सिखाते हर कदम पे ये तमीज, खाते हैं ये मूंगफली और पादते बादाम हैं, हैं यहां कुछ लोग जिनकी आदतें बदनाम हैं, खुद ये चाहें हर कदम पे मिल जाए कोई शॉर्टकट, दूसरे को दे के धक्का बोलें चल तू पीछे हट, कर के मेहनत सामने कोई इनके हो जाए सफल, उसके हर एक काम में ये देंगे जा के यूं दखल, इसको ऐसे क्यूं किया, इसको ऐसे करना था, पहले जो बताते तुम तो मैने सब कुछ करना था, खाते हैं ये मूंगफली और पादते बादाम हैं, हैं यहां कुछ लोग जिनकी आदतें बदनाम हैं, गर कहीं जरूरत में तुम मांग लो इनसे मदद, मान लो ये तुमने किया काम है बहुत गलत, ये करेंगे इक नहीं पर हैं गिनाते इक हजार, जिंदगी भर एहसानों की ये गिनाते हैं मीनार, बेहतरी इसी में है इनसे बना लो दूरियां, मुंह में है बस राम इनके और बगल में छुरियां, खाते हैं ये मूंगफली और पादते बादाम हैं, हैं यहां कुछ लोग जिनकी आदतें बदनाम हैं, ©Pankaj Pahwa #मूंगफली और बादाम
#मूंगफली और बादाम
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