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Vijay Vidrohi
M.K Meet
खुशनुमा शाम- ठंडी-ठंडी हवाएं -और लांग ड्राइव मजा आ जाता हैं साहब और प्यार हो जाता है इसकी खुबसूरती से 🥰🥰 यह नवाबों का शहर है - लखनऊ पर हम न
read moreSatish Kumar Meena
माता पिता की छांव में पले बच्चे वयस्क रूप धारण कर लेते हैं जो परिवार के वातावरण से संस्कार ग्रहण करते हैं कुछ अच्छे संस्कार तो कोई बुरे, अच्छे संस्कार वाले माता पिता को धन्य कर देते हैं और बुरे वाला जीवन को हमेशा ही कोसता रहता है। ©Satish Kumar Meena माता पिता की छांव
माता पिता की छांव
read moreDurga Gautam
White फूल बार बार खिले पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव नदियों ने भी नहीं बनाए बांध अपने ऊपर सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी ना ही बारिशें वापस लौटीं बादलों की ओर प्रकृति में सुंदरता थी प्रेम की पराकाष्ठा की प्रेम अपनी पराकाष्ठा में सबसे सुंदर था । ©Durga Gautam #good_night फूल बार बार खिले पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव नदियों ने भी नहीं बनाए बांध अपने ऊपर सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी ना
#good_night फूल बार बार खिले पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव नदियों ने भी नहीं बनाए बांध अपने ऊपर सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी ना
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar #मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
#मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
read morePrakash writer05
मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर को आम की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में
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