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N S Yadav GoldMine
सांप और मेढकों की कहानी :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🃏 एक बार एक कुएं में गंगदत्त नाम का एक मेंढक रहा करता था। वह उसी कुए में मौजूद अपने रिश्तेदारों से बहुत परेशान था। इसलिए वह एक दिन कुए से बाहर आ गया और सोचने लगा कि अपने रिश्तेदारों से अपने अपमान का बदला किस प्रकारलिया जाये। तभी उसे चलतेचलते एक सांप का बिल दीखता है। 🃏 मेंढक ने सोचा कि मैं इस बिल में रहने सांप को अपना मित्र बनाकर अपने रिश्तेदारों का नाश करवा दूंगा। यह सोचकर वह सांप के बिल के आगे खड़े होकर जोर जोर से कहने लगा- मित्र मैं तेरे द्वार पर तेरा मित्र बनाने आया हूँ सांप ने यह सुन सोचा कि अवश्य ही मुझे फासने के लिए कोई मुझे आवाज लगा रहा है। 🃏 डर के मारे सांप अंदर से ही कहता है-मुझे विश्वास नहीं होता कि एक सांप और किसी दूसरे जिव की मित्रता भी हो सकती है। यहाँ सुनकर गंगदत्त कहता है-तुम्हारा कहना सही है तू मेरा दुश्मन जरूर है, परन्तु मैं अपने रिश्तेदारों से परेशान होकर तुम्हारा मित्र बनने आया हूँ ताकि तुम मेरे साथ रहकर मेरे रिश्तेदारों को खा कर खत्म कर दे। 🃏 यह सुनकर सांप सोचता है कि इसमें मेरा ही फायदा है मैं बिना मेहनत करके मेंढको को खाता रहूँगा। यह सोचकर सांप मेढक से पूछता है- तू कहाँ रहता है? गंगदत्त कहता है- मैं कुए में रहता हूँ तू भी उसी में रहना। 🃏 सांप कहता है-तू तो ऊँची ऊँची झलांग लगा कर कुए में घुस जाता है पर मैं तो बिना पैरों का रेंगने वाला जिव हूँ, मैं कुए में कैसे घुसूंगा? मेढक कहता है-तू इसकी चिंता मत कर मैं किसी तरह तुझे उसमे घुसा दूंगा और धीरे-धीरे तू सभी मेंढकों को खा लेना। 🃏 मेंढक ने किसी तरह सांप को कुए में घुसाया और सांप धीरे-धीरे गंगदत्त के सभी रिश्तेदारों को खा गया। लेकिन सांप सभी मेंढक खाने के बाद गंगदत्त से कहता है- मित्र मैंने तेरे सभी रिश्तेदारों को खा लिया है पर अब मैं कैसे अपना पेट भरूंगा। मेंढक ने कहा-मैं तुम्हारे लिए दूसरे मेंढकों का इंतजाम करता हूँ। 🃏 गंगदत्त मेंढक किसी तरह मेढकों का इंतजाम करके सांप को खिला देता है अगले दिन सांप फिर गंगदत्त को कहता है- अरे मित्र ये मेंढक भी समाप्त हो गए इसलिए तुम और मेंढको का इंतजाम करो। अगले दिन जब गंगदत्त को सांप के लिए भोजन नहीं मिला तो सांप ने उसके पुत्र को ही खा डाला। 🃏 गंगदत्त सांप को अपना मित्र बनाकर बहुत पछताया और अपने पुत्र के मरने का शोक करने लगा। सांप ने कहा–मित्र आज तो मेरी भूक मिट गई तू कल मेरे लिए दूसरे मेंढकों का इंतजाम करना। मेंढक ने सोचा कि एक दिन ऐसा आएगा जब सारे मेंढक समाप्त हो जायेंगे और ये मुझे खा जायेगा। 🃏 यह सोचकर मेढक ने सांप से छुटकारा पाने का एक उपाय सोचा और मेढकने सांप से कहा–तू चिंता मत कर मैं अभी कुए से बाहर जाकर कल के लिए मेढकों का इंतजाम करके लाता हूँ। यह कहकर मेंढक अपनी जान बचाकर वहां से चला जाता है और कभी भी उस कुए में वापिस नहीं आता। कहानी की शिक्षा :-🃏 जो अपने से बलवान शत्रु को अपना मित्र बनाता है उसका अपना ही नुकसान होता है जैसे मेढक ने सांप को अपना मित्र बनाया और सांप उसके पुत्र को ही खा गया। ©N S Yadav GoldMine सांप और मेढकों की कहानी :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 🃏 एक बार एक कुएं में गंगदत्त नाम का एक मेंढक रहा करता था। वह उसी कुए में मौजूद अपने रिश्
Rakhi Raj
प्यारे मेंढक जितना यह "प्यारे "शब्द प्यारा है तुम उससे भी ज्यादा प्यारे हो, पहले तुम मुझे तुम्हारे नाम के वजह से प्यारे लगते थे पर अब जो जानने लगी हूँ कुछ कुछ तुम्हें तो लगता है के होता कोइ और नाम तुम्हारा तब भी तुम इतने ही प्यारे होते |तुम खुद को खुली किताब बताते हो और लगते भी वैसे ही हो, एक आईने की तरह लगते हो तुम जो पारदर्शी होते हुए भी, खामियाँ और खूबियां दोनों बताता है | मेट्रो में मैंने सफर किया है पर तुम्हारे साथ वो कल्पनाओं का सफर हमेशा याद रहेगा | अपने- अपने शहर में बैठे तुम और मैं घूम आये है काल्पनिक दुनियां बना कर दिल्ली और मथुरा | तुमसे बात करना मुझे बहोत पसंद है,तुम उन लोगों में से हो जो की दूसरों को खास महसूस कराते है, तुम्हारी नजरों से ज़ब देखती हूँ खुद को तो खुद को बहोत खूबसूरत सी लगती हूँ मै,तुम कहते हो मै रहती हूँ सीरियस, पर जबसे दोस्त बने है हम तो थोड़ा ज्यादा हसने लगी हूँ मैं | तुम जो लिखते हो शायराना अंदाज में मेरे लिए कभी कभी उनमे से कुछ को मैं अपनी डायरी मे लिख लिया करतीं हूँ, बाकी जो निशा के लिए लिखते हो उन्हें मैं डिलीट कर दिया करतीं हूँ | निशा को बस तुम और मैं जानते है, वो कभी मिले तुम्हें तो उससे कहना तुम्हें मेंढक न बुलाये इस नाम पर मेरा कॉपीराइट हैं | जीवन में कुछ लोग हमें मिलते है जो बेवजह ही अच्छे लगते है, कोइ निजी स्वार्थ न होते हुए भी तुम मुझे अच्छे लगते हो पर ज़ब वजह सोचती हूँ मैं अब तो नाम भूल जाती हूँ तुम्हारा और जबकि तुम मुझे तुम्हारे नाम के वजह से ही प्यारे लगे थे | तुम ऐसे ही रहना हमेशा पारदर्शी बनकर और बताना सबको थोड़ा ज्यादा मुस्कुराना......... मेंढकी #मेंढक
तकदीर
[01/02, 1:02 pm] Rishi तपस्या: एक बार मेढकों ने दौड़ प्रतियोगिता करने का फैसला किया। इसमें सभी को एक ऊंची टावर पर चढ़ना था। मेंढको की इस दौड़ को लेकर लोगों में गजब का उत्साह था। इसलिए दौड़ देखने के लिए टावर के चारों ओर भारी भीड़ जमा हो गई थी। तय समय के मुताबिक दौड़ शुरू हुई। भीड़ मे किसी को भी इस बात का भरोसा नहीं हो रहा था कि मेंढक टावर पर चढ़ जाएंगे। कोई कहता, “अरे, यह तो बहुत ही मुश्किल है। ये तो वहां पहुंच ही नहीं सकते। कही से आवाज आई, “अरे टावर कितना ऊंचा है कि ये वहां कभी नहीं पहुंचेंगे।” इसी बीच कई मेंढक चढ़ने में गिरने लगे। कुछ थक गए और दौड़ छोड़कर बाहर आ गए। सिर्फ वही मेंढक ऊपर की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं थे, जिन्होंने इस दौड़ को जीतने की ठान ली थी और किसी की नहीं सुन रहे थे। इसी बीच भीड़ में लोगों का चिल्लाना जारी था। लोगों को लगा रहा था कि कई मेंढक तो गिरकर मर चुके हैं और जो चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे। लेकिन एक छोटा सा मेंढक बिना किसी परवाह किए टावर की ओर चढ़ता जा रहा था, और आखिरकार वह अपने लक्ष्य तक पहुंच ही गया। [01/02, 1:02 pm] Rishi तपस्या: इसके बाद दूसरे मेंढको में यह उत्सुकता जागी कि आखिर इतना छोटा-सा मेंढक कैसे अपने लक्ष्य तक पहुंच गया। दौड़ में हिस्सा लेनेवाले एक मेढक ने उससे पूछा, “अरे भाई! तुम कैसे वहां तक पहुंच गए?” लेकिन किसी को यह नहीं पता था कि जीतनेवाला मेंढक सुन नहीं सकता था। वह बहरा था। इसलिए उसने लोगों की बातें नहीं सुनी और अपना काम करता हुआ आगे बढ़ता रहा, और अंत में विजय हुआ। इसीलिए कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग क्या कह रहे हैं। लोगों की नकारात्मक सोच और बात पर कभी भी ध्यान नहीं देना चाहिए। जो लोग ऐसी किसी भी बात को नहीं सुनते है और सकारात्मक रूप से अपने काम में लगे रहते हैं, वे हमेशा अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब होते हैं। ©Rishi Ruku # कहानी मेंढक की
# कहानी मेंढक की #कविता
read moreMadan Gangwar
Positive Thinking जिंदगी मेंढक की तरह मत जियो ©Madan Gangwar एक मेंढक की कहानी #WorldThinkingDay
एक मेंढक की कहानी #WorldThinkingDay
read moreNaveen Mahajan
'मेंढक भी अण्डे सेते हैं' सीधे से सैल्फी लेते हैं उल्टे से सेवा देते हैं क्या तुमको मालूम नहीं मेंढक भी अण्डे सेते हैं। हाँ, अब तुम ये बोलोगे मेंढक कब अण्डे सेता है तो भाई मेरे तू भी सुन ले सैल्फी भी वो कब लेता है? अण्डे सेते भी दिख जायेगा स्मार्ट फोन जब ले आयेगा मत समय गंवा, ला दे- दे भीख फेंक चवन्नी, फ़ोटो खींच। #NaveenMahajan मेंढक भी अण्डे सेते हैं
मेंढक भी अण्डे सेते हैं #poem #NaveenMahajan
read moreआकाश तंवर
ये क्या है घोड़ा या मेंढक। ©yaaro ये क्या है घोड़ा या मेंढक।
ये क्या है घोड़ा या मेंढक। #erotica
read moreSK Poetic
मन की आखों से देखों क्योंकि कुएं में एक मेढ़क रहता था, उसने सिर्फ यही दुनिया देखी थी। आकाश भी उतना ही देखा था,जितना कुए के अंदर से दिखाई देता है, इसलिए उसकी सोच का दायरा छोटा था तभी अचानक नीचे पानी के रास्ते से वहां समुद्र की एक छोटी सी मछली आ पहुंची तो उन दोनों की बातचीत हुई ।मछली ने पूछा कि तुम्हें पता है समुद्र कितना बड़ा है?मेंढक ने एक छलांग लगाई और बोला इतना होगा मछली बोली नहीं,कि बहुत बड़ा है। मेढ़क ने फिर एक किनारे से आधे हिस्से तक छलांग लगाई बोला उतना होगा फिर मछली बोली कि नहीं।अबकी बार मेंढक ने अपना पूरा जोर लगाते हुए एक सिरे से दूसरे सिरे तक छलांग लगाई और बोला इससे बड़ा हो ही नहीं सकता,मछली बोली नहीं समुद्र इससे बहुत बड़ा है। मेढ़क को विश्वास ही नहीं हुआ,उसको लगा कि मछली झूठ बोल रही है। दोनों ही अपनी -अपनी जगह सही थे अंतर था तो उनकी सोच में मेंढक की सोच थी जिस वातावरण में रहता था ठीक वैसी ही थी।जिस माहौल में हम रहते है ,हमको लगता है,यही जीवन की सच्चाई है,लेकिन हम गलत हैं।हमें अपनी सोच का दायरा बढ़ाना होगा और मछली की बात से सीखना होगा।हम जीवन में उतारते हैं तो यकीनन हमारी सोच का दायरा बढ़ने के साथ-साथ हम भी आगे बढ़ते रहेंगे। ©S Talks with Shubham Kumar मछली और मेंढक की सोच #AdhureVakya
मछली और मेंढक की सोच #AdhureVakya #विचार
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