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नवनीत ठाकुर
White "जिंदगी भर की जद्दोजहद, बस एक सफर की बात है, अंत में सबके हिस्से में, एक ही कफ़न की बात है। राहों में कांटे चुनते रहे, फूलों की आस में, अंत में तो सबकी मंज़िल, वही श्मशान है। मिट्टी से उठे हैं, मिट्टी में मिल जाएंगे, जो सोने की ललक में थे, वो भी सो जाएंगे। इंसान था, खुदा बनने की ख्वाहिश रही, हसरतें थीं बुलंद, पर ज्यादा देर ठहर न सकी। जिस जिस्म को संजोया, वो भी खाक हो जाएगी, जिस दौलत पे फख्र था, वो यहीं रह जाएगी। खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे, ये जीवन का सफर, यूं ही खत्म हो जाएगा। रंग-बिरंगी दुनियादारी, वो शोहरत, वो शान, अंत में सब लुट जाएगा, रह जाएगा बस श्मशान। धुंआ बनके उड़ जाएगा सब, हवाओं में कहीं, वक्त की वो कड़वी सच्चाई, बस राख कहलाई जाएगी। छोड़ जाएंगे यहां अपने निशाँ जो हमने बनाए, लेकिन उन्हीं लहरों में वो भी मिट जाएंगे। अभी वक्त है संभल जाओ, ये दौलत-ओ-शौहरत झूठ है, अंत में बस प्यार का इक दिया, राह रौशन कर जाएगा।" ©नवनीत ठाकुर #कफ़न की बात
#कफ़न की बात
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी दखल अब महँगाई का सरेआम सता रहा है सिकुड़ती कमाई आमजन की सूनापन बर्तनों और कपो में छा रहा है छूट गयी मेजबानी लोगो की ,चाय की राशन दूध गैस पर अधिकार आमजन खोता जा रहा है घर घर की दुर्दशा करके मंत्र बटोगे तो कटोगे का दिया जा रहा है डीजल पेट्रोल जाने किसके हवाले है इसके मद से किसका विकास किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #chai छूट गयी लोगो की मेजबानी चाय की
#chai छूट गयी लोगो की मेजबानी चाय की
read moreJyotilata Parida
White मन की शांति यह जानने से आती है कि यह भी बीत जाएगा और अच्छी प्रगति अच्छी आदतों से होती है. खुशी, सच्चा सुख, एक आंतरिक गुण है, यह एक मानसिक अवस्था है. अगर आपका मन शांत है, तो आप खुश हैं. आंतरिक शांति से मनुष्य स्वयं के जितना करीब आता है, दिमाग भी उतना ही करीब आता है. ©Jyotilata Parida #love4ever💞# मन की शांति की लिए #True_line
love4ever💞# मन की शांति की लिए #True_line
read morepramod malakar
तुम कफन में लिपटे हो 000000000000 सनातन से दूर होकर तुम जिहादियों से पीटते हो, मेरी नजरों में तुम सदा कफन में लिपटे हो। कब तक मोहब्बत का नारा लगाते रहोगे, कब तक मोहब्बत में खुद को जलते रहोगे। निशा मिट रहा है तुम्हारा , मिट जाएगा, तुम्हारे भगवान का भजन फिर कौन गाएगा। मुसलमान तुम्हारा ना हुआ है ना होगा कभी, जो बिखरे हो टुकड़ों में एक हो जाओ अभी। कहीं सर तन से जुदा , कहीं बेटी घर से जुदा, इंसानों के हत्यारों का मालिक,वह कैसा है खुदा। धर्म ग्रंथो को पढ़कर अपना ताकत तुम बढ़ा लो, जिहादियों को अपने दिल से अभी तुम हटा लो। पूजा का थाली या पेट का हो दाना, हिंदुओं से कर लो तुम सौदा चाहे मकान हो बनाना। भाईचारा निभाने वालों तुम तो सिर्फ काफिर हो, कट्टर नहीं बने अगर तुम,तो कुछ पल के मुसाफिर हो। धर्म में नहीं जातिवाद में तुम सिमटे हो, मेरी नजरों में तुम सदा कफन में लिपटे हो।। ######################### प्रमोद मालाकार की कलम से...19.08.24 ©pramod malakar # तुम कफ़न में लिपटे हो
# तुम कफ़न में लिपटे हो
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