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Raz Nawadwi
जीने को तन्हा उम्र ये वीरान दे गए हमने तो दिल दिया, वो मगर जान दे गए //१ शादी से मेरीे मेरे ससुर ही थे सबसे ख़ुश परचून की जो उनकी थी दूकान दे गए //२ माथा पकड़ के बैठा था मैं सुब्ह शादी के मेरी ख़ता थी क्या जो ये भगवान दे गए //३ भगवान है ससुर जी ही का नाम क्या कहें दीवाना था मैं, सोने को दीवान दे गए //४ मेरे ससुर थे वाक़ई चालक सेल्समैन कह के हवा का झोंका वो तूफ़ान दे गए //५ अब क्या कहूँ ससुर थे मेरे सो ज़हेज़ में लड़ने को सारी उम्र पहलवान दे गए //६ अच्छा चलो कि 'राज़' करो सब्र सोचकर जो दे गए सो दे गए, भगवान दे गए //७ ~राज़ नवादवी माँ पे, माशूक़ पे सबने लिखा है, मैंने ससुर जी पे लिखा है। पेशे ख़िदमत है ये मज़ाहिया ग़ज़ल।
माँ पे, माशूक़ पे सबने लिखा है, मैंने ससुर जी पे लिखा है। पेशे ख़िदमत है ये मज़ाहिया ग़ज़ल।
read moreAgastya Namdev,,darpan
World Poetry Day 21 March नसीब को छोडो ,,मेरे दिल पर लिखा था उसका नाम पर मुझे पता ही नहीं चला, के कब धुल, गया अश्को से उसका नाम मेरे दिल पे लिखा था उसका नाम
मेरे दिल पे लिखा था उसका नाम
read moreMr md.hasnain badsah
परिंदा। वो खुद ही तय करते हैं मंज़िल आसमानों की परिंदा को नहीं दी जाती तलीम उड़ानों की रखते हैं जो होंसला आसमान छुने का उनको प्रवाह नहीं कभी गिर जाने की ©Mr mdhasnain badsah आसमानों की उड़ान
आसमानों की उड़ान #कविता
read moreinder Dhaliwal
उड़े कितना भी परिंदा आसमानों मे। एक दिन उसको अपनी उड़ान को भुलाना पड़ता है। आखिर एक दिन थक हार कर ज़मीन पर आना पड़ता है। ©inder Dhaliwal परिंदा आसमानों में।
परिंदा आसमानों में। #शायरी
read more"Kumar शायर"
मत परख ऐ आस्मा तेरी ऊँचाईयो से ज्यादा, मुझ में हौसला अभी बाकी है, अपनी कलम की दम पर तुझ जैसे सैकड़ो आसमानों को तो, कागज के पन्नो पर श्याही से रंग रंग कर तेरी औकात दुनिया के हाथों में थमा दी है, बादल की गरज और कवि की अरज ने तो, टिप टिप करती बूंदों को कागज पर लिख लिख कर, सावन में मल्हार गीतों संग सबको सुना दी है, कलम की आवाज कागज पे हो, या फिर पिंजरे में कैद शेर की दहाड़ो में, ये तो अच्छे अच्छो का सिंहासन हिला देती है.✍️✍️✍️ Written:- By Umesh kumar #औकात आसमानों की
#औकात आसमानों की
read moreVivek
आसमान में छाए बादल क्या कहते हैं । कुछ दिन में तो कुछ रात में बहते रहते हैं । इनसे जब बूंदे निकल कर हम पे गिरते हैं । तब हम भी बादल बन के बस तन्हा फिरते हैं । ©Vivek #आसमानों के बादल
MANOHAR MAHANT
ले चल मुझे दूर आसमानों में कहीं,,। पिंजरे में रह कर मेरा दम घुटने लगा था,,।। आसमानों में कहीं,,,।
आसमानों में कहीं,,,।
read moreMR VIVEK KUMAR PANDEY
Writer Mr Vivek Kumar pandey "उड़ान भरेगे हम उचे आसमानों में सपना मेरा साकार है जल्द ही उडूंगा में मेरा हौसला मेरा अवतार है".। #उड़ानभरेंगे ऊचे आसमानों में
#उड़ानभरेंगे ऊचे आसमानों में
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