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Nishchhal Neer
जब मिलना हो खुद से तो.. प्रकृति से मिल लेता हूँ.. मन की मटमैली यादों को.. पानी से धो लेता हूँ.. निश्छल "नीर" poetry #kavita shayari sha
read moreNeetesh kumar
White मुहब्बत, आशिकी और इबादत होती यदि मुझे तुम्हारी आंखों में उतर जाने की इजाजत होती... ©Neetesh kumar #Sad_Status कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
#Sad_Status कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
read moreSonu Kumar
नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं! रसोई में अन्नपूर्णा, बाहर ये काली है!! जिसने गलत नज़र है रखीं, उसकी आंख निकाली है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! महिषासुर को मरने वाली, रक्तबीज का खून पीने वाली है!! सब देवगन है इसके चरणों में, ये देवों पर भी भारी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! जिद्द पर आये तो काल से लड़े, तभी तो ये महाकाली है!! जिसने इसे कभी रूलाया, उसके लिए चंडी रानी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! सुंदर मुख चंचल नैन हैं इसके, नैनों से प्रेम सुधा बरसाती है!! इसके छाओं में सिष्टी पलता, इसिलिए सबकी दुलारी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! बिन नारी की धरती नही, ये ना हो तो कोई कहानी बनती नहीं, आओ मिलकर ये संकल्प दोहराये, बेटी पढ़ानी और बेटी बचानी है!! नारी है भाई ये नारी है, इसके सब आभारी हैं!! ©Sonu Kumar #navratri कविता कोश कविताएं कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी कविता
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read moreSinger Er Jk nigam
viral हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता
read moreAmol M. Bodke
समझ न सका कोई,ऐसा किरदार निभाता है, चाहे जितनी हो मुश्किलें,अकेले पार करता है, दिल के जख्मों पर ,मरहम लगातार लगाता है पर मेरे आँखों से कभी ,अश्क़ न बहने देता है.... | ©Amol M. Bodke प्रेम कविता मराठी कविता कुमार विश्वास की कविता देशभक्ति कविता Maa पर कविता
प्रेम कविता मराठी कविता कुमार विश्वास की कविता देशभक्ति कविता Maa पर कविता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ आप बिन तो इस जहाँ में कुछ नही है बात मिलकर ये बताना चाहता हूँ दो कदम जो साथ मेरे तुम चलो तो इक़ नई दुनिया दिखाना चाहता हूँ रोते-रोते रात सारी कट गई यह भोर तक तुमको हँसाना चाहता हूँ ख़्वाब में आकर करोगे तुम परेशां नींद पलको से हटाना चाहता हूँ बिन तुम्हारे जो गुजारी है यहाँ पर उसकी हर कीमत चुकाना चाहता हूँ भूलकर बातें पुरानी आज तुमको मैं गले अपने लगाना चाहता हूँ फिर न तोड़े कोई ये बंधन वफ़ा का इस तरह रिश्ते निभाना चाहता हूँ । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ आप बिन
ग़ज़ल :- माँग तेरी मैं सज़ाना चाहता हूँ हाँ तुझे अपना बनाना चाहता हूँ राह उल्फ़त की बनाना चाहता हूँ प्यार हर दिल में बसाना चाहता हूँ आप बिन
read moreRitika Vijay Shrivastava
शोभा हूॅं मैं घर आंगन की, क्यों मेरा तनिक भी मोल नहीं। बार बार तुम खींच रहे जो, अटूट बंधन है कच्ची डोर नहीं। पावन सुत्र के मोती धुमिल अब, समस्त यह गांठ ही रह जाएगी। एक दिन... चिड़िया उड़ जाएगी। ©Ritika Vijay Shrivastava #swiftbird कविता हिंदी कविता हिंदी कविता कुमार विश्वास की कविता कविता कोश
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