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Stories related to वसवसे रेख़्ता

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

तेरी सीरत को मै अपनी सीरत बनाकर देखूँ,आ बैठ मेरे पास तुझे दिल मे बसाकर देखूँ//१ तु ख्वाबों मे नहीं हकीकत मे मिला है मुझको,ये मेरी दिली हसरत

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White तेरी सीरत को मै अपनी सीरत बनाकर देखूँ,
आ बैठ मेरे पास तुझे दिल मे बसाकर देखूँ//१

तु ख्वाबों मे नहीं हकीकत मे मिला है मुझको,ये
मेरी दिलीहसरत है के मै तुझे हाथ लगाकर देखूँ//२

इतने रंजोगम सह्ने के बाद मिला है मुझको,
मेरे महबूब तुझे अपनी आगोश मे समाकर देखूँ/३

मुस्व्वीर खुद परेशान है के ये तस्वीर किसकी है,
सोचती हुँ दिल ए दयार मे यही तस्वीर सजाकर देखूँ//३

लोग कहते है तु हसीन माह- जबीन माहताब है बहुत,
तुझे चांदनी शब मे-मै दबेपांव आकर देखूँ//४

वसवसे आते है तेरे बारे मे बहुत से मुझको,सोचती हुं
के इन बद  ख्यालों को अपने ज़हन से भुलाकर देखूँ//५
 
"शमा"की सीरत से भी बहुत मिलती है सीरत तेरी,
मै अब ये चाहती हुं तुझे दुनियां को दिखाकर देखूँ//६
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर तेरी सीरत को मै अपनी सीरत बनाकर देखूँ,आ बैठ मेरे पास तुझे दिल मे बसाकर देखूँ//१

तु ख्वाबों मे नहीं हकीकत मे मिला है मुझको,ये मेरी दिली
हसरत

Fuck off nojoto

नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके

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नादानगी में कैसे,   ख़ुद को बहका रहे हैं
नही  है  नही  है,     इश्क़  झुठला  रहे  है..

दिल  जलाने  में  उनको, मज़े  आ  रहे  है
जिगर  चाक  करके,  वो  चले  जा  रहे  है..

हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े
अभी  से  ये  तारे,  जिस्म  पिघला  रहे  हैं..

गले से लगा लो,   या मुझको मार डालो
वसवसे तन्हाइयों के,   दिल दहला रहे हैं..

किया ये अहद है,   फिर ना होगी मुहब्बत
लाचारगी तो देखो,   ख़ुद को बहला रहे हैं..

लगाते है वो मोल,   उदासियों का मिरी
हूँ  परेशां  बे-मतलब,  ये  दोहरा  रहे  हैं..

आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें
रहमत ये किस ख़ुशी में,  वो बरसा रहे हैं..

इक शराब ही है,  ग़म-ए-फुरक़त समझती
मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं..

वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की
हम  भी  हैं  इंसा,  हम  भी  पछता  रहे  हैं..

तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया
कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं..

दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से
बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है..

किनारे  लग  गए  हैं,    मिरे  ख़्वाब  सारे
देखकर  मिरा  हस्र,  ये  भी  घबरा  रहे  है..

मेरा अज़ीब होना,  ही  है  मेरी  जरूरत
छोटे मोटे ग़म तो,  आने को शरमा रहे है..

©Arshu.... नादानगी में कैसे,   ख़ुद को बहका रहे हैं
नही  है  नही  है,     इश्क़  झुठला  रहे  है..

दिल  जलाने  में  उनको, मज़े  आ  रहे  है
जिगर  चाक  करके
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