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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White सुकून दिल को मेरे-तेरे नाम से आया,ऐ दिलरुबा तु मेरे दिल को,इस कदर भा आया//१ न पूछ हाल मेरे दिल का ऐ दिल ए महबूब, तु आज फिर से,मेरी*जीस्त मे समा आया//२ मेरा सलीका ए उल्फत,भला तु क्या जाने, के इस चमन मे तु बन बागबा,मेरा आया//३ मेरी*सदाकत का अब भी, बोलबाला है,वो *फरेबी मेरी शोहरत को फिर दबा आया//४ मै*हालेजार ही जा बैठी तेरे पहलु मे,तु दिलरुबा बुझी"शमा"को फिर जला आया//५ #shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #love_shayari सुकून दिल को मेरे-तेरे नाम से आया,ऐ दिलरुबा तु मेरे दिल को,इस कदर भा आया//१ न पूछ हाल मेरे दिल का ऐ दिल ए महबूब,तु आज फिर से,
#love_shayari सुकून दिल को मेरे-तेरे नाम से आया,ऐ दिलरुबा तु मेरे दिल को,इस कदर भा आया//१ न पूछ हाल मेरे दिल का ऐ दिल ए महबूब,तु आज फिर से, #Live #Trending #Like #writersofindia #viral #shamawritesBebaak
read moreSethi Ji
White 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 💗 ज़माने की नैया , ज़माने का रुपैया 💗 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 डूब जाती हैं आशिक़ो के अरमानों की नैया जैसे ही लड़की मदद लेने के बाद बोलती है थैंक्यूँ मेरे भैया जब वोही लड़का ले कर आता रिश्ता बन कर उसका सैया तब लड़की कहती अब फ़स गयी ओ मेरी मैया दिल को कोई नहीं देखता आज कल की मोहब्बत में इंसान की ज़िन्दगी से ज़्यादा महंगा हो गया इंसान के ईमानो को खरीदने वाला रुपैया वफ़ा निभाने वाले रोज़ रोते हैं अपने कर्मों को और बेवफाई करने वाले हर रोज़ नयी हसीना के साथ करते थता थैया 🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷🩷 🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶🫶 ©Sethi Ji 💞💞 दिल सच्चा , चेहरा झूठा 💞💞 #GoodNight #Sethiji #4oct #Trending #ishq #Zindagi
💞💞 दिल सच्चा , चेहरा झूठा 💞💞 #GoodNight #Sethiji #4oct #Trending #ishq #Zindagi #Dil #kavita #nojotohindi #nojotoshayari #कोट्स
read moreDas Motivations
💞 झूठा प्यार और मतलबी यार | Best Powerful Motivational Quotes by Das Motivations #मोटिवेशनल
read moreDirector Shakti Tiwari
हिंदी फनी वीडियो हिंदी कॉमेडी 'कॉमेडी वीडियो' 'कॉमेडी जोक्स' शायरी चुटकुले झूठा प्यार 😁 Wait For End 🤣 #Directorshaktitiwari director_shak #Funny #foryou #EXPLORE #T #explorepage #Reels #Director_Shakti_Tiwari #eoryoupage
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा । आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।। बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे । आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।। करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार। सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।। झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने । और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।। दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता । क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।। यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात । अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।। बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके । दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।। यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा । एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।। ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
विधा कुण्डलिया :- तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष । जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।। उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा । #कविता
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*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी .... पूर्ण हुई वह खुशियाँ सारी , जो थी मन में चाह । खूब कमाकर पैसा सोचा , करूँ सुता का ब्याह ।। आज उन्हीं बच्चों ने बोला , क्यों करते हो काँव । जिनकी खातिर ठुकरा आया, मातु-पिता की ठाँव । आओ लौट चलें अब साथी ..... स्वार्थ रहित जीवन जीने से , मरना उच्च उपाय । सुख की चाह लिए भागा मैं, और बढ़ाऊँ आय ।। यह जीवन मिथ्या कर डाला , पाया संग तनाव । देख मनुज से पशु बन बैठा , डालो गले गराँव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... भूल गया मिट्टी के घर को , किया नहीं परवाह । मिला प्रेम था मातु-पिता से , लगा न पाया थाह ।। अच्छा रहना अच्छा खाना , मन में था ठहराव । सारा जीवन लगा दिया मैं , इन बच्चों पर दाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ..... झुकी कमर कहती है हमसे , मिटी हाथ की रेख । गर्दन भी ये अब न न करती ,लोग रहे सब देख ।। वो सब हँसते हम पछताते, इतने हैं बदलाव । मूर्ख बना हूँ छोड़ गाँव को , बदली जीवन नाँव ।। आओ लौट चलें साथी अब ... कभी लोभ में पड़कर भैय्या , छोड़ न जाना गाँव । एक प्रकृति ही देती हमको , शीतल-शीतल छाँव ।। और न कोई सगा धरा पर , झूठा सभी लगाव । अब यह जीवन है सुन दरिया , जाऊँ जिधर बहाव ।। आओ लौट चलें अब साथी.... आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ...
*विधा सरसी छन्द आधारित गीत* आओ लौट चलें अब साथी , सुंदर अपने गाँव । वहीं मिलेगी बरगद की सुन , शीतल हमको छाँव ।। आओ लौट चलें अब साथी ... #कविता
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