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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी चीख रही है मानवता वेदनाओं से कराहती है गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी भुखमरी सताती है कुछ आकाओ के चंगुल में विश्व जकड़ा है तबाही तबाही जग में दिखाती है डॉलर की चमक फीकी ना पड़ जाये कई देशों की अर्थव्यवस्था चट कर जाती है डर भय और पेटेंट के बल पर जग को निगलती जाती है शांति का आवरण ओड़ कर विश्व में आतंक फैलाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी
#International_Day_Of_Peace गैर बराबरी इतनी बढ़ गयी #कविता
read moreVandana Rana
White हो सकता है तुम्हारा भाग्य में न होना ही मेरा भाग्य हो। ©Vandana Rana हो सकता है तुम्हारा भाग्य में न होना ही मेरा भाग्य हो।
हो सकता है तुम्हारा भाग्य में न होना ही मेरा भाग्य हो। #wishes
read moreLong break
White न जाने क्यूं लग रहा है खुशियों पर अब पहरा हो रहा है। ज़ख्म भी नही है दिख रहा बस दर्द गहरा हो रहा है.....। ©M.k.kanaujiya #lन जाने क्यूं लग रहा है खुशियों पर अब पहरा हो रहा है। ज़ख्म भी नही है दिख रहा बस दर्द गहरा हो रहा है.....। ove_shayari
#lन जाने क्यूं लग रहा है खुशियों पर अब पहरा हो रहा है। ज़ख्म भी नही है दिख रहा बस दर्द गहरा हो रहा है.....। ove_shayari
read moreमहेन्द्र सिंह (माही)
White क्या करते हो ? कहाँ रहते हो ? कितना पड़े हो ? शहर में अपना घर है या कियारे में रहते हो ? कार है? तनख्वाह कितनी है ? हजार सवाल पूछते मिलने वाले कभी बस इतना पूछ ले खुश हो? ©महेन्द्र सिंह (माही) #sad_dp क्या करते हो ? कहाँ रहते हो ? कितना पड़े हो ? शहर में अपना घर है या कियारे में रहते हो ? कार है? तनख्वाह कितनी है ? हजार सवाल पूछते
Anuradha T Gautam 6280
Parul Sharma
White समाज की नजर वो तनाव है जो प्रत्यास्थता पर तब तक जारी रहती है जब तक उसे पूरी तरह से तोड़ न दे या उसकी मूल अवस्था को छिन्न-भिन्न ना कर दे ©Parul Sharma #wallpaper #प्रत्यास्थता =मानवीय गुणों का लचीलापन के लिये ली गयी है #समाज
#wallpaper #प्रत्यास्थता =मानवीय गुणों का लचीलापन के लिये ली गयी है #समाज #Life
read moreDR. LAVKESH GANDHI
दुआ कितनी भी कर लो दुआ तुम सब बेकार है यदि माता-पिता तुमसे नाराज हैं दुखा कर माता-पिता का दिल कितनी भी कर लो प्रार्थना तुम सब बेकार है ईश्वर भी नहीं सुनता कमीनों की बात जो दुखाता है दिल किसी इंसान का हर पल मरकर भी जीता है फिर से ऐसा इंसान फिर भी नामक हरामी करता रहता है ऐसा इंसान ©DR. LAVKESH GANDHI #नमकहराम# #दुआ भी बेकार हो जाती है#