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Stories related to मालिकों की छांव में

Rajiv Jiya Kumar

#दिल की बात। शायरी हिंदी में।

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Unsplash तुझे चाहा है जान
जान से ज्यादा,
जान माँँग लेना जान
जब कभी हो ईरादा।।
                  रा.जि.कुमार,
                 सासाराम।

©Rajiv Jiya Kumar #दिल की बात।   शायरी हिंदी में।

Rajiv Jiya Kumar

#दिल की बात। शायरी हिंदी में

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White तेरे हुश्न इश्क के नशे में
जानम पल पल झुका है सिर 
दिल और जां ने तुझे
अपना रहनुमा मान रखा है।।
                 ⚘️रा.जि.कुमार,
                       सासाराम।

©Rajiv Jiya Kumar #दिल की बात।  शायरी हिंदी में

Rajiv Jiya Kumar

#दिल की बात, शायरी हिंदी में।

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White  हुस्न की दमक तेरी
नूरानी हर स़ब को करती है
मेरी साँसें भी 
दामन मे सिमट तेरे
हर तवस्सुम से रूबरू हो लेती है।।
                    ⚘️रा.जि.कुमार,
                        सासाराम।

©Rajiv Jiya Kumar #दिल की बात,  शायरी हिंदी में।

Rajiv Jiya Kumar

#दिल की बात। शायरी हिंदी में

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Satish Kumar Meena

माता पिता की छांव

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Durga Gautam

#good_night फूल बार बार खिले पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव नदियों ने भी नहीं बनाए बांध अपने ऊपर सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी ना

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White फूल बार बार खिले 
पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव
नदियों ने भी नहीं बनाए  बांध अपने ऊपर 
सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी
ना ही बारिशें वापस लौटीं बादलों की ओर

प्रकृति में सुंदरता थी प्रेम की पराकाष्ठा की
प्रेम अपनी पराकाष्ठा में सबसे सुंदर था ।

©Durga Gautam #good_night फूल बार बार खिले 
पेड़ों ने नहीं रोकी अपनी छांव
नदियों ने भी नहीं बनाए  बांध अपने ऊपर 
सूरज सींचता रहा धरती को ऊष्मा से अपनी
ना

Shiv Narayan Saxena

#good_night वस्ल की रात में.....

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White ना अमां का समां और ये आसमां
तारे झलमल करें  देखता आसमां
मुस्कुराते हैं अब सब दीये प्यार में
मिल तो ले सनम वस्ल की रात में

©Shiv Narayan Saxena #good_night वस्ल की रात में.....

Shashi Bhushan Mishra

#जीने की तैय्यारी में#

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जीने की  तैय्यारी में,
कटती उम्र उधारी में, 

लेन-देन   कारोबारी,
गिनती हो संसारी में,

बँटे हुए कुनबे अपने, 
पाण्डे,मिश्र,तिवारी में,

हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं,
पैदल पाँव सवारी में, 

मजदूरी की है ताकत,
उड़िया,बंग,बिहारी में,

जोते बिना बुआई हो, 
ऊरद, मूँग,खेसारी में,

है मिसाल दोस्ती की,
कृष्ण सुदामा यारी में,

सुने पुकार द्रौपदी की, 
कृष्ण समाए साड़ी में,

भव बाधा काटे गुंजन, 
रखो आस बनवारी में,
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra #जीने की तैय्यारी में#
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