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Supriya Jha
विधाता ने बेेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है। पिता के लाड में पली बेटी की आज विदाई है।। जिस घर में हर पल की यादें,बचपन की लड़ाई है। आज उससे ही मुझको करनी पड़ रही जुदाई है।। बिछड़ने की किसने ये रस्म बनाई है। मां के आंचल में पली बेटी की आज विदाई है।। पिता भाई ने छुप छुप कर आंसू बहायें है। मां बहने आंखो में आंसू लिए विदाई की दस्तूर निभाई है।। कितनी निष्ठुरता से पिता ने कन्यादान निभाया है। मुझको किसी के हाथ सौंप कर जिम्मेदारी से मुक्ति पाया है।। आखिरी वचन कहकर मां ने बड़ी बात सिखाई है। पिता के पगड़ी की लाज तू रखना इसमें ही कुल की भलाई है।। विधाता ने बेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है। बचपन से ही क्युं बेटियां पराई धन कहलाई है।। ©Supriya Jha बेटी की विदाई
बेटी की विदाई
read moreਸੀਰਿਯਸ jatt
बाप की गांड फट गई है कमा कमा के! बेटी बहन की लोडी पड़ने के बहाने आती हैं Delhi और गांड मरवाती है!
read moreSatish Kumar Meena
बेटी मां के जिगर का टुकड़ा और पिता के मस्तक की पगड़ी होकर दूसरे की दहलीज पार कर घर को रोशन करें,वो बेटी एक पिता से लिपट कर बिछड़ी और माता के द्वारा पली बढ़ी विदा हुई अनजान के संग पराए धन की तरह खर्च हो वो बेटी ही है। ©Satish Kumar Meena बेटी
बेटी
read moreDev Rishi
विशिष्टता के लिए.. विभिन्न आयामों खुद के अंदर होनी चाहिए.. ( मेरे गुरु जी में है) इसी पंक्ति के साथ..सर जन्मदिन की हार्दिक बधाई 🥳🤗🙏 ©Dev Rishi #जन्मदिन
ranjit Kumar rathour
ऐसा पहली बार हुआ हैं 16-17 सालो मे लव कुश हर्ष हर्षित भोलू छोटू क्षितिज अक्षांश अलग अलग एक पटना दूसरा गोड्डा मे ©ranjit Kumar rathour जुदा जुदा जन्मदिन
जुदा जुदा जन्मदिन
read moreDev Rishi
White मिले.. शब्दों के अंदर से.... हाथों का स्पर्श, अपनत्व सा था.. रखें आशीर्वाद के उन शब्द में...... मातृत्व के... आंचल सा था....!! मेरे...एहसास की गंगा प्रफुल्लित सी हो गयी है मन के आंगन में आज.. झमाझम बारिश भी हो गयी है जलज के उपर पर दीप जलें है... झंझावातों के आगे.... क्यों कि.... हर्षुल सा वक्ष है उन का... सहारे की लाढी बने...भाई अल्पज्ञ खड़े.......!! तो, बताओं... चेहरों की... लालिमा पर.. संचित आशंका... आखिर क्यों भरे...? अरे, हक है कि लड़कपन ले आऊं उन में..., हक़ है कि, वसंत.. सावन... की गीत सुनीं उन से...!! समाहित मेरे शब्दों में अधुरापन भी है एक... याद आने की स्मृति..... नहीं है कोई एक ... बंद लिफाफे में... उन्हें भी कुछ कहना होगा... शिकायत शब्द रहेंगी, बस इतना ही कहना होगा...!! और मैं कुछ नहीं.. , आवाज और शब्दों का भूखा हूं बधाई हो राधे मां जन्मदिन की, बस यही मैं कहता हूं..!! ©Dev Rishi #राधेमां #जन्मदिन