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Poetry with POOJAN
सुना है उन्हे नींद नही आती | जिन्हे अपनों ने तोड़ा हो || 🖤 ©Poetry with POOJAN सुना है उन्हे नींद नही आती #PoetrywithPoojan #WritingForYou
सुना है उन्हे नींद नही आती #Poetrywithpoojan #WritingForYou #शायरी
read moreRana Hijab
पढ़ा लिखा नहीं हूं "लॉकडाउन" का मतलब मैं नहीं जानता, मगर सुना है कि एक बीमारी आयी है , क्या देश क्या विदेश सब पर छाई है, झुग्गी में बैठा वह मज़दूर अपनी पत्नी से कह रहा था, उदास था परेशान था और फिर गरीबी का दर्द भी तो एक अरसे से सह रहा था, इस बड़े शहर में वैसे भी कहां उसका गुज़ारा हो पाता था, दिहाड़ी का पैसा तो दो वक़्त के खाने में ही चला जाता था, अब कल से जब काम बन्द हो जायेगा अपनी फ़िक्र नहीं है उसे उसका बच्चा क्या खायेगा? छोटी- छोटी बहुत सी झुग्गियों वाली इस बस्ती में, थे उस जैसे बहुत से मजबूर, भीड़-भाड़ वाले इस शहर से गांव भी थे उनके बहुत दूर, कहां जाए क्या करे , एक -एक पल था उस पर भारी, क्या पत्नी क्या बच्चे पूरे परिवार की थी उस पर ज़िम्मेदारी, सुन रही हो क्या! कल सामने वाली झुग्गी में दो लोग आये थे, कुछ राशन कुछ कैमरा लाये थे हां देखा था मैंने भी! ये जाहिल क्या समझेगें हम गरीबों की हताशा , बेबसी को कैमरे में कैद कर गरीबी का बना रहे हैं तमाशा, बन रहे हैं दयावान और महान,। नासमझों अच्छा होता पहले बन जाते अगर इंसान वापस जाएं तो कैसे? रास्ता लंबा है पैसा पास नहीं, खेत तो पहले ही बिक गया था कि गांव में भी गुज़ारे कि अास नहीं, दिहाड़ी की मज़दूरी में पैसा बचता नहीं था फिर भी बचा लेते थे, एक वक़्त की रोटी को दो वक़्त चला लेते थे, मज़दूर बच भी गए इस बीमारी से तो उन्हें गरीबी और भूख ले जायेगी, एक झुग्गी नहीं धीरे-धीरे बस्ती खाली हो जायेगी, मदद का पैसा बस्ती तक पहुंच ही नहीं पाता है , न जाने बीच में उसे क्या हो जाता है? कल तो भूखे सो गए थे , आज क्या खाएंगे इस चिंता में डूबे पति-पत्नी के मन में आशा की किरण दौड़ आयी जब बाहर से उनके बच्चे नें पुकार लगाई, मां! देख खाना लेकर तस्वीर खिंचवाने की हमारी झुग्गी की बारी आई है, सुना है कि एक बीमारी आयी है!! सुना है कि एक बीमारी आयी है!!
सुना है कि एक बीमारी आयी है!!
read moreNilesh kushwaha
सुना है लाखों में एक, तुझे सामान आँकता है,2 दुपट्टा मत सरकने देना,बतमिज आसमान झाँकता है। #NojotoQuote #सुना है लाखों में एक, तुझे सामान आँकता है,
#सुना है लाखों में एक, तुझे सामान आँकता है,
read moreAnuj Ray
किसी की एक नसीहत याद आती है" उम्र आहिस्ता आहिस्ता से जवानी की, घटती बढ़ती चली जाती है। और हम पे समय के साथ- साथ, बुराई की धूल चढ़ती चली जाती है। जहां से लौटना, नामुमकिन सा नज़र आता है, तब किसी की एक नसीहत याद आती है। ©Anuj Ray # किसी की एक नसीहत याद आती है"
# किसी की एक नसीहत याद आती है" #जानकारी
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