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Shashi Bhushan Mishra
एक-एक कर चले गए, बारी बारी छले गए, दो पाटन के बीचों-बीच, जितने थे सब दले गये, गर्म तेल से भरी कराही, गिरे तो समझो तले गये, शोक और दुःख से यारों, फ़ुरसत लेकर भले गये, वक्त रेत सा फिसल गया, हाथ अंत में मले गये, अपनी आंखों के आगे, टूटा भ्रम दिलजले गये, संभल नहीं पाया 'गुंजन', दल-दल में मनचले गये, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #एक-एक कर चले गए#
बाबा ब्राऊनबियर्ड
दीवारों में जब तक कान थे तब तक सब सही था । वो सुनती थी। जब से दरारे हुई है ... मसला भी तब से हुआ है। ✍️ ©बाबा ब्राऊनबियर्ड खैर एक वक्त के बाद अब दरार भी पुरलुत्फ है।
खैर एक वक्त के बाद अब दरार भी पुरलुत्फ है। #Life
read morecute minu
White एक अरसे से मुझको कहीं नजर नहीं आये, बच्चे जबसे कमाने लगे कभी घर नहीं आये, मेरी हालत देख कर सोचता है वो परिंदा भी अच्छा हुआ कि मेरे बच्चों के पर नहीं आये. ©cute minu #sad_shayari एक अरसे से मुझको कहीं नजर नहीं आये, बच्चे जबसे कमाने लगे कभी घर नहीं आये, मेरी हालत देख कर सोचता है वो परिंदा भी अच्छा हुआ कि म
#sad_shayari एक अरसे से मुझको कहीं नजर नहीं आये, बच्चे जबसे कमाने लगे कभी घर नहीं आये, मेरी हालत देख कर सोचता है वो परिंदा भी अच्छा हुआ कि म
read mores गोल्डी
तुमने तो गिरा डाली., एक लम्हें में ये इमारत....!!# ~★~ अरसे लगेंगे हमको., अब ये मलबा हटाने में.....!!# ©s गोल्डी तुमने तो गिरा डाली., एक लम्हें में ये इमारत....!!# ~★~ अरसे लगेंगे हमको., अब ये मलबा हटाने में.....!!#
तुमने तो गिरा डाली., एक लम्हें में ये इमारत....!!# ~★~ अरसे लगेंगे हमको., अब ये मलबा हटाने में.....!!#
read moreJayesh gulati
White "जय", समझो, तुम्हारे बाद शायद वो खुश है बहुत । उनके बाद मुझे किसी बात की खुशी नहीं हुई ।। (Read in caption) ©Jayesh gulati मुझे यार कभी मोहब्बत नहीं हुई । हां। मतलब उनके अलावा किसी से नहीं हुई।। किया नहीं इज़हार इस हाल-ए-दिल का कभी । मिला लूं उनसे नज़रे ऐसी जुर्
मुझे यार कभी मोहब्बत नहीं हुई । हां। मतलब उनके अलावा किसी से नहीं हुई।। किया नहीं इज़हार इस हाल-ए-दिल का कभी । मिला लूं उनसे नज़रे ऐसी जुर् #GoodMorning #शायरी
read moreचारण गोविन्द
White कौन सुनता है भला अब आरज़ू, सो ख़ामोश है दिल। घुट रहा हूँ मैं बहुत पर क्या करूँ, सो ख़ामोश है दिल। सामने दिल के खड़ा है दिल को बेहद अज़ीज शख़्स, पर नहीं वो चाहता है गुफ़्तगू, सो ख़ामोश है दिल। रात में मैं देखता हूँ दूर उस को जाते हुए पर ख़्वाब में उसको भला मैं क्या कहूँ, सो ख़ामोश है दिल। शख़्स इक बेबाक सा जो दिख रहा है अब बेज़ुबां सा, हाल अपना देखता हूँ हू-ब-हू, सो ख़ामोश है दिल। चाहता है शेर कहना दिल मगर सुबह दफ्तर भी है, शौक जो टपका रहा है यूँ लहू, सो ख़ामोश है दिल। आज जो शायद मुझे झोंका समझ कर के गुजर जाए, कल वहीं होंगे तूफ़ां से रू-ब-रू, सो ख़ामोश है दिल। अब तलक गोविन्द तू उसके लिए ग़ज़ले कह रहा है, जो कहे है इश्क़ मेरा और तू! सो ख़ामोश है दिल। चारण गोविन्द मुद्दत बाद एक मुक़म्मल ग़ज़ल। #poeatry #Shayar #CharanGovindG #govindkesher #actual_poet #Love #gazal #Dil #Hindi #love_shayari
मुद्दत बाद एक मुक़म्मल ग़ज़ल। #poeatry #Shayar #CharanGovindG #govindkesher #actual_poet Love #gazal #Dil #Hindi #love_shayari #शायरी
read moreseema patidar
White मेरे जाने के बाद ............ बोलती और सोचती बहुत ज्यादा थी पर बातो में गहराई थी उसके जिद्दी तो बहुत ज्यादा थी पर दिल की साफ थी किसी रिश्ते के लिए इतनी खास तो नही थी पर रिश्ते निभाना बखूबी से जानती थी उसकी उदासी तो नही देख पाया कोई पर दूसरो को उदास देख परेशान हो जाती थी मासूमियत और सादगी भरा जीवन था उसका पर समझदार उससे ज्यादा थी उसके लिए तोहफे तो दूर खास दिन भी नहीं याद रखे गए पर सबके लिए उपहारों और खास दिन को हमेशा याद रखती थी perfect तो नही समझा गया उसे कभी पर parfect बनकर चली जरूर गई सबके जैसी थी पर सबसे न्यारी थी सच में वह स्त्री बहुत प्यारी थी। ©seema patidar मेरे जाने के बाद......
मेरे जाने के बाद...... #Life
read moreranjit Kumar rathour
आज़ से पचीस साल पूर्व ढेर सारी नसीहतो के साथ पापा ने मुझे पटना तब भेजा था ज़ब गांव का सामान्य आदमी शायद हीं हिम्मत जुटा पाता था पापा ने बस स्टैंड तक छोड़ा था और भाई भागलपुर स्टेशन तक हम दो भाइयों को ट्रेन मे छोड़ने बोला नहीं था कुछ लेकिन नजरो से एक वादा ले लिया था जाओ आप पापा के सपने बनाना मंझला था बोला हमें नहीं पढ़ना तब हम नहीं समझ पाए थे लगा ये शैतानी कर रहा है अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहा है आज ज़ब समझा तो लगा की हम बड़े होकर भी कितने छोटे हप गए और मेरा छोटा कितना बड़ा हप गया ठीक 25साल बाद वही नजारा सामने था बस स्टेशन दूसरा था मुझे नहीं मै छोड़ने आया था अपने दोनों बेटों को लेकिन इस बार नसीहत मेरे थे और उम्मीदों को बोझ बेटों पर उदास ट्रेन मे सवार पटना जाने के लिए एक तपस्या के लिए घर से दूर हा बेटे यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर ©ranjit Kumar rathour पचीस साल बाद
पचीस साल बाद #मोटिवेशनल
read moreNirankar Trivedi
समय एक ऐसा अनमोल खजाना है, जिसे गंवाने के बाद ही इसकी असली कीमत समझ में आती है। ©Nirankar Trivedi समय एक ऐसा अनमोल खजाना है, जिसे गंवाने के बाद ही इसकी असली कीमत समझ में आती है। #samay
समय एक ऐसा अनमोल खजाना है, जिसे गंवाने के बाद ही इसकी असली कीमत समझ में आती है। #samay
read moreMina Ji
White शीशा टूटने के बाद बिखर जाए वो ही बेहतर है, क्योंकि दरारे न जीने देती है और न ही मरने देती है. ©Mina Ji #sad_shayari टूटने के बाद
#sad_shayari टूटने के बाद #SAD
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