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imran Khan ashrafi
Tsbist Deep_26Nt sumit is Kumar Muhammad Aasif Santosh Narwar Aligarh (9058141336) #वीडियो
read moreRamji Tiwari
*जय सियाराम* हमें शौक नही लकीर का फकीर बनने का अपनी तो आदत खुद का रास्ता बनाने की। मानते हैं किसी को तो दिल से मानते हैं अपनी फितरत नहीं झूठा प्यार जताने की। हाथ की लकीर पर नहीं विश्वास कर्म पर है गगन को छूना, मेहनत अपनी चरम पर है, किसी धन्नासेठ के आगे झुके न सर अपना अपनी आदत राम के चरण सर झुकाने की।। स्वरचित मौलिक रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari सुप्रभात मित्रों जय सियाराम Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) santosh tiwari Sudha Tripathi deepshi bhadauria Raushni Tripathi भक
सुप्रभात मित्रों जय सियाराम Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) santosh tiwari Sudha Tripathi deepshi bhadauria Raushni Tripathi भक #भक्ति
read moreVINOD
motivational Santosh Narwar Aligarh sonu kumar babra (S.S) PATHAN ERFAN Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) #मोटिवेशनल
read moreMr_Writer_engineer
White जो आपको प्यार करेगा, वो सिर्फ आपसे नाराज होगा ना बात खतम करेगा, ना ही कभी रिश्ता खत्म करेगा ©Mr_Writer_engineer #good_night Adhuri Hayat Santosh Narwar Aligarh निज़ाम खान N.B.Mia kanhay Kumar
#good_night Adhuri Hayat Santosh Narwar Aligarh निज़ाम खान N.B.Mia kanhay Kumar #SAD
read moreRaj
White ताकतवर होकर भी झुक जाना श्रेष्ठ गुण है, श्रेष्ठ होकर भी सामान्य रहना सर्वश्रेष्ठ गुण है..!! ©Raj #Lion #Nojoto Raksha Singh writer Ramu kumar Rajdeep Santosh Narwar Aligarh Rakesh Kumar Das
#Lion Raksha Singh writer Ramu kumar Rajdeep Santosh Narwar Aligarh Rakesh Kumar Das #Motivational
read moreRaj
White मैं हर किसी से रिश्ते निभा कर यह जान लिया है , की मां बाप के सिवा कोई अपना नहीं होता..!! ©Raj #life_quotes #Nojoto MR VIVEK KUMAR PANDEY Adarsh Suraj Sharma Santosh Narwar Aligarh writer Ramu kumar
#life_quotes MR VIVEK KUMAR PANDEY Adarsh Suraj Sharma Santosh Narwar Aligarh writer Ramu kumar #Life
read moreRaj
सुंदरता तो केवल मन को आकर्षित करती है, लेकिन अच्छा चरित्र हृदय जीत लेता है..!! ©Raj #dhoop #Nojoto MR VIVEK KUMAR PANDEY Anshu writer Santosh Narwar Aligarh writer Ramu kumar Rakesh Kumar Das
Priya Kumari Niharika
White बांट दो सबको, संतुलन बना रहेगा पर संतुलन तो बराबरी हुई ना? जिसमें समन्वय सहयोग और समानता हो , यदि सामानता हुई तो ज्ञात होगा कभी? प्रजा कौन है,और राजा कौन? फर्क और हैसियत के बीच की पतली सी रेखा सबको ज्ञात होनी चाहिए कि तिलकधारी कभी झुकते नहीं, और क्षत्रिय भी कभी रुकते नहीं, व्यापारियों के बढ़ते प्यास ने बनाया जनता को एनीमिया का मरीज किसने निर्मित कि ये खाई, ऊंचे हैं स्वर्ण और शूद्र है नीच? स्वयं को उच्च गिनाने में व्यस्त है संसार, सुखन मोची ने कल ही बताया, धोबी से बड़ा है सर चमार दबाने और दबने से बचने के लिए, की जाती है चढ़ाई मिट्टी के टीलों पर, जिससे फिसलते मिट्टी के बड़े टुकड़े छोटे टुकड़ों को कुचलकर बढ़ना चाहते हैं आगे अभाव, असुरक्षा और अमानवीयता से बिलखते तड़पते जिस्मो के और कितने टुकड़े नोचें जाएंगे? जल जंगल जमीन से जुड़े हाशिये पर खड़े असभ्य लोग कब तक कहलाएंगे माओवादी? देश को स्वच्छ रखने वाले कब तक बने रहेंगे देश की गंदगी? कब मिलेगा इन्हें इनका हक और जीने के लिए जिंदगी? दलित आदिवासी कृषक,मजदूर और बेटियां व्यथित हैं,सभ्य समाज का ताना-बाना बुनने वाले लोगों की धारणा और व्यवहार से आतंकित है ये उसे दहशत से जिसकी आग बरसों पहले लगाई गई आधुनिक उदार विचार वाले सभ्य समाज के विचार तब तर्कसंगत नहीं लगते, जब अंतरजातीय विवाह के जिक्र मात्र से शुरू होता है आंतरिक द्वंद्व और बाहरी विवाद, तब यह विचार निष्पक्ष नहीं लगता जब अन्नदाता की भुखमरी उसकी मृत्यु का कारण बनती है, तब यह विचार प्रासंगिक नहीं लगते, जब गरीब मजदूर डेढ़ रुपए मजदूरी बढ़ाने के लिए देता है धरना और रोकना पड़ता है विरोध, मात्र 25 रुपए मासिक वृद्धि पर तब एक प्रश्न विचलित करता है, कि आखिर क्या मिलता होगा डेढ़ रुपए में यह विचार तक चुभने लगता है जब देश की प्रगति के नाम पर विस्थापित किए जाते हैं आदिवासी अपने ही घर से यह सोच तब तड़पाती है जब स्त्रियों की राय न पूछी जाती है न समझी पद की प्रतिष्ठा के सिवाय सामान्य स्तर पर मानवीय सम्मान की दृष्टि से उसके अस्तित्व को आज भी प्राथमिकता नहीं मिली क्या इन श्रेणियों में विभाजित जन.... जन गण मन का जन नहीं? क्या सम्मान केवल उच्च वर्ग के लिए आरक्षित है? या है उसे पर इनका भी हक यह सबरी केवट का देश है तो गली से इनका स्वागत क्यों? ये एकलव्य या कर्ण का देश है तो बोली से इनको आहत क्यों? जब जब ईश्वर भी अवतरित हुए, तो उच्च घराने चुन लिये अभिप्राय भला क्या समझूं मैं, भगवन भी के इनके सगे नहीं याचना नहीं तू रण करना, क्यों आखिर अब तक जगे नहीं अमानवता फैली हो, और तुम संतुलित रहे तो समझ लेना तो आतताई के पक्ष में हो ©Priya Kumari Niharika #Nojoto Satyaprem Upadhyay Author Shivam kumar Mishra Sudha Tripathi Omi Sharma santosh tiwari
Satyaprem Upadhyay Author Shivam kumar Mishra Sudha Tripathi Omi Sharma santosh tiwari #Poetry
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