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Sachin Surbra
हां मनै पसंद है तू हां मनै पसंद है तू, मनै पसंद हैं तेरे खुले बाल, तेरी मोरनी सी चाल, तेरा हाँस के बतलाना, तेरा मुड के लखाणा, तेरा खुद में खोया रहना, तेरा आच्छा ने आच्छा, माड़ा ने माड़ा कहणा.... हां मनै पसंद है तू, मनै पसंद है तेरी मिट्ठी कोयल बरगी आवाज, तेरी झील सी आंख, तेरी मीडियम सी हाइट, तेरे शूट सलवार की फिटिंग टाइट तेरा थोड़ा सांवला सा रंग, तेरा सबते न्यारा ढंग, साच्ची दिल तै कहूं, हां मनै पसंद है तू...... लाइब्रेरी के लोवै धौरै, होइ सै तेरे तै मुलाकात, अपणा Busy schedule में तै टेम काढ कै बैठै मेरे धोरै, चाय पीण के बहाने करांगे मीठी-मीठी बात चाय पीण के बहाने करांगे मीठी-मीठी बात सचिन सुरबरा 14/03/2022 ©Sachin Surbra #sachinsurbra #शायरी #हरयाणवी #MusicLove #haryanvipoetry #Masala
sachinsurbra शायरी हरयाणवी MusicLove haryanvipoetry Masala
read moreMr.Rana
जुत्ती दामण पैर के चालै जब तू लहर कै छोरी कोन्या लागती लागै कटी ज़हर सै ©Mr.Rana #Couple #हरयाणवी शायरी
Ankitjaat96
बिखरा हूँ सूखे पत्तो कि तरहा ,,, कोई समेटने आया है तो सिर्फ जलाने के लिऐ ©Ankitjaat96 #शायरी #जाट #हरयाणवी #findyourself
शायरी जाट हरयाणवी findyourself
read moreAnand Kumar Ashodhiya
खेतड़ मैं खेतड़ तूँ मेम साहब, याहड़े जुगत लगे ना तेरी। तेरे सिम्पल बाणे नै, छोरे ज्यान काढ़ ली मेरी।। मैं सरकारी में पढ़ रहया, तेरे कॉलेज का रंग चढ़ रहया। मेरा रंग भी काला पड़ रहया, तूँ भूरी भक्क सुनेहरी।। बस तेरे तै प्यार करूँगी, ना कुँए जोहड़ पडूँगी बिन आई मौत मरुँगी जै बात सुणे ना मेरी।। म्हारे घर मे छप्पर ढारा, तेरे खड्या महल चौबारा मैं सोनीपत ते आ रहया, तूँ दिल्ली के रँग ले रही।। आनन्द तेरी बात सुणुगी , तेरे आँगन बीच रहूँगी। तेरी गेल्या कष्ट सहूँगी, तूँ सुणले बिनती मेरी।। गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया ©Anand Kumar Ashodhiya हरयाणवी #हरयाणवी
Anand Kumar Ashodhiya
किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 6 वृत्तांत : सुंदरा दे की अर्ज गुरु गोरखनाथ से गुरु गोरख मैं तेरी शरण में, कहया मानल्यो मेरा । मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ।। मैं सतमासी, निरणाबासी, पूरणमासी आज सै ब्राह्मण न्यौतु, व्रत करूँ, धर्म पुन्न का काज सै सारा डेरा, आवै तेरा, भोजन मेरे घर आज सै सारे बाबा, ल्यावै छाबा, भिक्षा खातिर नाज सै मैं ब्रह्मकुमारी, अर्ज लगारही, चढ़ता आवै सवेरा ।। मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा | | जितने साधु, सारे न्यौतूं, त्यार धरे हैं सत पकवान कल की बरती, भक्ति करती, मेरा रखल्यो आदर मान गाणा बजाणा, न्हाणा खाणा, और साथ में हो जलपान सूती ताणा, भगवाँ बाणा, सबतै बाँटूँ, एक एक थान व्रत मैं खोलूँ, खुशी में डोलूं, देखकै उसका चेहरा ।। मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा || करल्यो तावळ, मीठे चावळ, ठण्डी होती थाळी गरम मसाले, सारे डाले, लाल मिर्च और काळी नमकीन पापड़, बढिया सापड़, दही आगरे आळी घी-बूरा और मोतीचूरा, लाडुवाँ की अदा निराळी जल्दी चालो, भोजन खाल्यो, चिन्ता में जी मेरा ।। मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा || नौकर चाकर, दास और दासी सारे सेवा में तैयार पैर पकड़ती, अर्ज मै करती, सेवा में खड़ी ताबेदार बारम्बार, करूँ गुहार, मेरी सुणल्यो अर्ज पुकार मैं राधा वो कान्हा सादा, दर्शन दे दो कृष्ण मुरार आनन्द शाहपूर वाले नै किसा रुप का जादू फेरा ।। मेरी ईच्छा पूरी होज्या तै आबाद रहो थारा डेरा ।। गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21 #हरयाणवी
Anand Kumar Ashodhiya
किस्सा रसकपूर तर्ज : यह पर्दा हटा दो, ज़रा मुखड़ा दिखा दो ओ नसीबन बाई, तू महफ़िल में गाणे आई तनै अक्कल कोन्या आई, कैसा गाणा चाहिए । महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।। ओ नसीबन बाई..... गुरु मानसिंह नेत्रहीन थे, ज्ञान का पेडा लागे उसकी मेवा तोड़ तोड़ कै, बड़े बड़े साँगी खागे ना छाप काटके गाइए, रंग नया छाँट के ल्याईए कोए ऐसा राग सुनाइये के रंग छाणा चाहिए। महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।। ओ नसीबन बाई..... गीत भजन और राग रागणी, नाटक या नौटंकी जितनी कर दयूं, उतनी ए थोड़ी, प्रशंसा लख्मीचंद की ढंग की लय भी ठाई जा सै, बेसुरी बुरी बताई जा सै इज्जत की खाई जा सै, ना के पाप कमाणा चाहिए। महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।। ओ नसीबन बाई..... मायने के महँ श्री दयाचन्द नए नए छंद बणावे नई रागनी, नई तर्ज, इसी लय सुर में वो गावै चाहवै सै सारा जमाना, प्रसिद्ध कर दिया जग में मायना इसा मारे तीर रक्काना, के मन भाणा चाहिए। महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।। ओ नसीबन बाई..... करके याद गुरु अपणे ने, नई रागणी त्यार करै मांगेराम पाणची आळा, लय सुर की इसी मार करै पार करै गंगा जी माई, वार करी ना कथा बणाई, इसी शब्दाँ की करी घड़ाई, मन हर्षाणा चाहिए। महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।। ओ नसीबन बाई..... जाट मेहरसिंह फौज में होके, देश के ऊपर मरग्या देशभक्ति और वीर रस ने, नस नस के महँ भरग्या करग्या ऊँचा नाम बरोणा, दुश्मन ते कदे डरो ना बिन आई मौत मरो ना, हँगा लाणा चाहिए। महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए।। ओ नसीबन बाई..... आज बाजे भक्त और धनपत सिंह ना चन्दरबादी साथ में श्री राजकिशन गए शीश निवा, ब्राहमण जगननाथ ने बात ने गलत नहीँ बोलेगा, आनन्द नरजे में तोलेगा इन्हकी चरण रज ले लेगा, शीश निवाणा चाहिए। महफ़िल में गाणे वाळा भी कोए स्याणा चाहिए ओ नसीबन बाई..... गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21 #हरयाणवी
Anand Kumar Ashodhiya
भात - हरयाणवी रागनी हे रै चाची ताई अगड पड़ोसन शुभ गीत गवावण लागी सासु ननद दौरानी जिठाणी सब भाती लिवावण लागी मेरे भतीजे चाँद सितारे, सूरज सा मेरा भाई तोरण ऊपर खड़ी बराबर मेरी माँ की जाई आगे आगे बैंड बाजता, नाचे लोग लुगाई टैम पे आग्या माँ का जाया, मेरी होगी मान बड़ाई धो के बारणा चौक पूर दिया फेर पटड़ा बिछावण लागी गज की छाती करके भाई, पटड़े ऊपर खड्या हुया लोटे नेग गेरने नै वो मेरी नणदी तै भिड़्या हुया मेरे सर पै चुन्दड़, गल में माला, सोने का कंठा घड्या हूया तोरण ऊपर धर दिया चुन्दड, हीरे मोती जडया हुया नणदी प्यारी लड़ लड़ कै नै, नेग धरावण लागी माथे चावल लाती जा, मेरा थर थर हिरदा हिलता देख देख कै भाई भतीजे मेरा मन आनन्द में खिलता बिन मांगे जब सब मिल ज्यावे, ना मांगे कुछ भी मिलता धी बेटी तै दान करा हुआ दूगना चुगणा फलता बड़ी बूढी सब कट्ठी हो के दान का धर्म बतावण लागी देइ मान बराबर दौराणी जिठाणी, मेरी ऊँची गर्दन करदी हज़ार, पाँच सौ, सौ दो सौ के नोटों ते थाली भर दी सबके गल में हार घाल दिए सर पे चूंदड़ धर दी आनन्द का यो देख नज़ारा मेरी झर झर अँखियाँ झरती खाण्ड कसार और घी बूरा ते फेर भाती जिमावण लागी गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया © 2020-21 #हरयाणवी
Manish Choudhary
कोए मन्दिर की सीढिया प घिसड़दा रहया किसी न वो बिना मांगे मिलगी 😟 (वाह र ऊपरआले 👍 #मनीष #हरयाणवी