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Rohit Rm
Train का आविष्कार किसने किया और कब? जाने दुनिया में प्रतिवर्ष अरबों लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए ट्रेन का इस्तेमाल करते हैं। आज यह तेज गति और लंबी या छोटी यात्रा में लगने वाले सस्ते भाड़े कारण यातायात का एक महत्वपूर्ण साधन बन चुका है। लेकिन क्या आपको पता है, यात्रियों व वस्तुओं को ढोने वाली विश्व की पहली train ka avishkar kisne kiya और कब? तो बता दे, विश्व की पहली सफल ट्रेन 27 सितंबर, 1825 को जार्ज स्टीफेन्सन (George Stephenson) द्वारा बनाई गई थी। उस ट्रेन का नाम ‘लोकोमोशन’ था। सन् 1829 में जब लिवरपूल-मैनचेस्टर लाइन का कार्य पूरा होने वाला था तभी इंगलैंड में एक लोकोमोटिव प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था, जिसमें स्टीफेन्सन ने भी अपने दूसरे रेल इंजन ‘रॉकेट’ के साथ भाग लिया था। स्टीफेन्सन ने रॉकेट को 58 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाकर उस प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया था। उन्होंने उस स्टीम रेल इंजन को अपने बेटे राॅबर्ट के साथ मिलकर बनाया ©Rohit Rm train ki khoj kisne ki thi #PARENTS
train ki khoj kisne ki thi #PARENTS #पौराणिककथा
read moreRajib Singh
खजाना खोजने के लिए साहसिक। उपयोगकर्ता लघु कथा एक बार की बात है, जैक नाम का एक युवा लड़का था जो एक पहाड़ की तलहटी में एक छोटे से गाँव में रहता था। जैक को रोमांच पसंद था और वह अपना अधिकांश दिन अपने गांव के आसपास के जंगल की खोज में बिताता था। एक दिन, जैक ने यह देखने के लिए पहाड़ पर चढ़ने का फैसला किया कि दूसरी तरफ क्या है। उसने भोजन और पानी के साथ एक बैग पैक किया और सुबह-सुबह निकल गया। चढ़ाई कठिन थी, और जैक को कई बार आराम करने के लिए रुकना पड़ा, लेकिन वह चलता रहा। जैसे ही वह शीर्ष के पास पहुंचा, जैक ने दूरी में एक शानदार महल देखा। यह किसी भी चीज़ के विपरीत था जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था, और वह जानता था कि उसे जाकर इसका अन्वेषण करना होगा। उसने महल की ओर अपना रास्ता बनाया और अंततः प्रवेश द्वार पर पहुँच गया। दरवाजा बंद था, लेकिन जैक अंदर जाने का रास्ता खोजने में कामयाब रहा। उसने महल के हर कमरे का पता लगाया, सभी की भव्यता पर अचंभा किया। जैसे ही उसने महल के माध्यम से अपना रास्ता बनाया, वह केंद्र में एक बड़ी छाती वाले कमरे में ठोकर खाई। जैक ने संदूक खोला, और अंदर उसे एक नक्शा मिला। इसने पहाड़ के दूसरी ओर छिपे हुए खजाने का स्थान दिखाया। जैक को अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं हो रहा था और उसने बाहर निकलने और खजाने को खोजने का फैसला किया। यात्रा लंबी और विश्वासघाती थी, लेकिन जैक दृढ़ निश्चयी था। अंत में उसे खजाना मिल गया, और यह उससे कहीं अधिक था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। वह एक अमीर और खुशमिजाज लड़के के साथ घर लौटा, रोमांच की एक नई भावना और आश्चर्य से भरा दिल। उस दिन से, जैक ने अपने आसपास की दुनिया का पता लगाना जारी रखा, हमेशा नए रोमांच और खोज के लिए खजाने की तलाश में रहा। और उनकी कहानी उनके गांव में एक किंवदंती बन गई, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है। ©Rajib Singh #khajana ki khoj
Nirmala Paul
aise kyun bite ja rhi ho jindagi thoda ruko thoda suno na ..... meri ye dhadkan kya kah rhi hai..... kyun ye itni tez chal rhi hai.... akhir huaa kya hai ise .... shyad ye kuchh dhundh rhi hai ..... thoda ruko thoda time to do ise... ki shayd ise iski wo khushi mil jaye jise ye dhundh rhi hai...... ©Nirmala Paul #dhadkan ki Khoj
Thaneshvar Patel
दुनिया की भीड में ढूंढ रहा हूँ खुद को ।। मिल जाऊं तो बताऊ खुद को की कौन हूं और कहां हूं ये बताऊं खुद को । #khud ki khoj...
#Khud ki khoj...
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