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Parasram Arora
White क्या मुनाफाझोरी के दम पर दौलतमद बन जाना कोई बुरी बात हैँ? और मेहनत न करके केवल भिक्षावृति करके पेट भर लेना कोई अच्छी बात हैँ? ©Parasram Arora क्या हैँ अच्छा क्या हैँ बुरा
क्या हैँ अच्छा क्या हैँ बुरा
read morechandeshwar sada
divyachandan (Chandan Kumar bihari
White सरपट भागती गाड़ियां लहलहाती झरियां पीछे छूटती अट्टालिकाएं, मुझे अच्छा लगता है। आसमान में विचरण करती काले बादल स्वागत में खरी पेरों की टोलियां उमस के बाद रिमझिम फुहारें में भींगना मुझे अच्छा लगता है। अपने स्वीटेस्ट को याद करना उसकी यादों में खोया रहना उसके साथ नित्य नए ख्वाबों को बुनना मुझे अच्छा लगता है। समीर के साथ नाचती तरु की टोलियां इठलाती नदियां मकर की अठखेलियां नौकायान करती साफरिक के अतिरिक्त तट पर जलक्रीरा करती हुई बच्चों की टोलियां मुझे अच्छा लगता है। ©divyachandan (Chandan Kumar bihari #Sad_Status मुझे अच्छा लगता है
#Sad_Status मुझे अच्छा लगता है
read moreParasram Arora
White बुरे लोगो के लिये भी अगर भलाई के काम किये जाय तो एक दिन वो बुरा आदमी भी अच्छाआदमी बन सकता है लेकिन मैंने आज तक न जाने कितने बुरे लोगो को अच्छा बंनाने का काम किया पर ज़माने ने मुझे कोई इनाम आज तक नही दिया ©Parasram Arora अच्छा बुरा
अच्छा बुरा
read moreRahul Ranjan
White हां अकेले रहना पसंद है मुझे, पर लोग इस मेरी ego समझ लेते हैं, अब क्या कहूं इन्हें मैं अकेले तो कोई रहना नहीं चाहता, पर जमाने की रुख़ ही ऐसा है कि अकेले रहना खुद-ब-खुद आ जाता है, कहने को तो यहां हर कोई साथ हैं लेकिन जिंदगी के हर मोड़ पर हमें चलना अकेले ही है, ये बात भी इस दुनिया ने ही सिखाई है कि, आप सबके जरूरत पर खड़े रहते हो, मगर आपको जरूरत पड़ने पर सब मुंह फेर लेते हैं, इसलिए मैं अपनी जरूरत खुद बनना चाहता हूं लोगों का क्या है, वो तो छोड़ जाते हैं बीच रास्तों पर अकेले. क्योंकि, उन्हें सिर्फ हक जताना आता है, रिश्ता निभाना नहीं. और फिर जब हर बार खुद को अपने साथ अकेले ही पाना है, हर रास्ते पर खुद को मुझे अकेले ही चलना है, तो क्यों ना अकेले ही रहा जाए. वैसे भी सबके करीब जाकर देख लिया है, मुझे, मुझसा सुकून कहीं नहीं मिला. हां, इन समझदारों की दुनियां में जहां रिश्ते सिर्फ मतलब से निभाये जातें हैं, वहां मैं अकेले ही ठीक हूं बेमतलब से. जिन्हें कोई वास्ता ही नहीं उनके साथ क्यूं रहूं मैं, कम से कम झूठे सहारे से तो अच्छा है मैं खुद के साथ अपने तरीके से जियूं. अब ऐसा नहीं है कि मुझे किसी से मिलना-जुलना, बातें करना, दोस्ती-यारी रखना पसंद नहीं है, पसंद सब है मुझे. मगर उन जैसे formality करके नहीं जुड़ना चाहता मैं किसी से, यही वजह है कि ओरों से ज्यादा खुद के साथ वक्त बिताता हूं. कुछ बातें खुद से कहना, खुद की सुनना, थोड़ा खुद को समझाना, थोड़ा खुद समझा लेना अच्छा लगता है मुझको. फर्क नहीं पड़ता कौन क्या कहता है मेरे बारे में, बस अपनी आवाज़ को सुन सकूं इसलिए दुनिया के शोर से दूर रहता हूं. क्योंकि नहीं चाहता उस भीड़ का हिस्सा बनना, जिस भीड़ में मैं ही खो जाऊं, फिर चाहे कोई मुझे समझे या ना समझे, इस बात की भी कोई उम्मीद नहीं रखता किसी से. क्योंकि अब सारी बातें खुद से ही होती है, और यही फायदा है अकेले रहने का की मेरे जैसे इंसान दिखावे का नहीं हक़ीक़त की जिंदगी जीता है. क्योंकि हमें खुद से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. ©Rahul Ranjan #Sad_Status अकेले रहना अच्छा लगता है
#Sad_Status अकेले रहना अच्छा लगता है
read moreAnita Agarwal
आसमान में सब तारे टिमटिमाते तो अच्छा होता अपनी रोशनी बिखेर फलक पर जगमगाते तो अच्छा होता क्यों है कुछ तारों की नसीब में गर्दिश में चले जाना चमकते चमकते सब अपना मुकाम पाते तो अच्छा होता कुछ क्रूर ग्रहों की छाया जो ना पङती उन पर जीवन में अपने सब सपने सच कर जाते तो अच्छा होता कहां नसीब हो पाती हैं हर शख्स को मनचाही मंजिलें मुकाम ही खुद रास्ते बनाते तो अच्छा होता कब तक अपनी पीड़ा को यूं ही शब्दों में बयां करेंगे *अनु* लफ्जों के तीर दिल के पार हो जाते तो अच्छा होता ©Anita Agarwal अच्छा होता
अच्छा होता
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