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Singh Is King
ओम भूर भुवः स्वाहा तत्सवितुर्वरेंयं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न प्रचोदयात् अघोरी
अघोरी
read morePrakhar pandey
क्यू व्यर्थ चिन्ता करु मै इस जाहन मे। आखिर एक रोज तो जाना ही है, शम्शान मे। ©Prakhar pandey अघोरी #Lohri
अघोरी #Lohri
read morekaushik
'त्रिजटा' त्रिजटा रामभक्त विभीषणजी की पुत्री थी। इनकी माता का नाम शरमा था। वह रावण की भ्रातृजा थी। राक्षसी उसका वंशगुण है और रामभक्ति उसका पैतृक गुण । लंका की अशोक वाटिका में सीताजी के पहरेपर अथवा सहचरी के रूपमें रावणद्वारा जिस स्त्री-दल की नियुक्ति होती है, त्रिजटा उसमें से एक थी। #गुगल_पिक्चर #रामायण #त्रिजटा #लंका
#गुगल_पिक्चर #रामायण #त्रिजटा #लंका
read moreashi
रुद्र हुँ महाकाल हूँ , म्रत्यु रूप विकराल हूँ, नित्य हूँ निरन्तर हूँ, शान्ति रूप मे शंकर हुँ।। #अघोरी #mahakal #shiva #रुद्राय
SumitGaurav2005
अमावस की काली रातों में अमावस की काली रातों में जब चारों ओर सन्नाटा पसर जाता है तब आज भी अघोरी अपनी मैली विद्या को सिद्ध करने के लिए लोगों की बलि चढ़ाता है #Nomoon #mailikriya #mailividhya #अघोरी
#Nomoon #mailikriya #mailividhya #अघोरी #विचार
read moreNEERAJ SIINGH
संम्मान नही दे सकते हो तो कोई बात नही , कम से कम अपमान तो नही करो #neerajwrites शिव प्रेम , अघोरी शिवा
#neerajwrites शिव प्रेम , अघोरी शिवा
read moreNEERAJ SIINGH
जो इंसान सच बोलता है या सच के लिए लड़ता है शिव जी उसका साथ देतें रक्षा करतें हैं धर्मो रक्षति रक्षितः #neerajwrites अघोरी शिवा #शिवा #शिव #शिवप्रेम
#neerajwrites अघोरी शिवा #शिवा #शिव #शिवप्रेम
read moreRaju Raza
अगोरी बाबा Aghori Baba हिन्दू धर्म के अघोर समुदाय से संबंध रखते है जो शिवजी के पूजा करते हैं। ये समुदाय बहुत ही कम मात्रा में है लेकिन जो है वो अपनी अनोखे व्यवहार, एकान्तप्रियता व् रहस्मय कार्यों के कारण बहुत प्रचलित है अगोरी लोगो Aghori Baba को इंसानों से दूर श्मशान घाटों, जंगलो या निर्जन स्थानों पर रहना ज्यादा पसंद होता है। क्यूंकि जहा लोगो की जिंदगी खत्म हो जाती है वही से इन काली दुनिया के बादशाह अघोरी लोगो का जीवन शुरू होता है । ये लोग शव साधना को ही अपना मूल कर्तव्य मानते है अघोर संप्रदाय के साधक नर मुंडों की माला पहनते हैं और नर मुंडों को पात्र के तौर पर प्रयोग भी करते हैं । चिता के भस्म का शरीर पर लेपन और चिताग्नि पर भोजन पकाना इत्यादि सामान्य कार्य हैं। इनका असली रहस्य तो आज तक कोई नहीं जान पाया है। ये लोग मुर्दों में भगवान् पूजते है। ये लोग मदिरापान व् मृतुक के मांस के शौक़ीन होते है जिसे ये खोपड़ी की बने प्याले में खाते और पीता है। क्यूंकि अघोरी लोग इस तरह खोपड़ी में खान पीना अघोरी कर्म में आता है तथा ये सारे कर्म करने वाला ही सच्चा अघोरी कहलाता है । ये लोग इस खाने से श्री नहीं करते है। से लोग प्रद्धि दिन कृच्चा 'पाना ये सारे कर्म करने वाला ही सच्चा अघोरी कहलाता है। ये लोग कच्चा मांस खाने से भी पअर्हेज़ नहीं करते है । ये लोग प्रतिदिन जलती चिताओं से मृतक के अधजले हिस्सों को खाने का काम करते है । वाराणसी या काशी को भारत के सबसे प्रमुख अघोर स्थान के तौर पर मानते हैं। भगवान शिव की स्वयं की नगरी होने के कारण यहां विभिन्न अघोर साधकों ने तपस्या भी की है। यहां बाबा कीनाराम का स्थल एक महत्वपूर्ण तीर्थ भी है। काशी के अतिरिक्त गुजरात के जूनागढ़ का गिरनार पर्वत भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। जूनागढ़ को अवधूत भगवान दत्तात्रेय के तपस्या स्थल के रूप में जानते हैं। अगोर समुदाय को करीब से जानने के लिए आज तक ने ऐसी जगहों पे जाकर उनका लाइव फुटेज बनाया जो इनके लिए काफी कठिन कार्य था । अगोरी कहते है की हम आत्माओ से बात कर सकते है | इस तरह संसार में इस तरह के विविध प्रकार के लोग संसार में सिर्फ भारत में ही देखने को मिलता है। ©Raju Raza अघोरी साधुओं की रहस्यमयी दुनिया #Path