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R Komal SAINI
तलाश मेरी थी और भटक रहा था वो, दिल मेरा था और धड़क रहा था वो। प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है, आंसू मेरे थे और सिसक रहा था वो। Extraterre
read moreAnant Nag Chandan
White हमारा मसअ्ला ये है कि एक शक्स से हम, कई तरह का ताल्लुक़ बनाना चाहते हैं। अब्बास ताबिश ©Anant Nag Chandan #love_shayari हमारा मसअ्ला ये है कि एक शक्स से हम, कई तरह का ताल्लुक़ बनाना चाहते हैं। अब्बास ताबिश
#love_shayari हमारा मसअ्ला ये है कि एक शक्स से हम, कई तरह का ताल्लुक़ बनाना चाहते हैं। अब्बास ताबिश
read moreMohanbhai आनंद
White अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु फिसलते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,से,फिर क्यूं बिखरते हो बैताब इस दिलमे, बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ? फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हाल ए दिल हक़ीक़त में फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद #good_night अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़
#good_night अपना कहकर आप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात में, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे , हिसाब मांगती है अश्कों का, गोरे गाल पर रोज़
read moreMohanbhai आनंद
White अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकात हे, फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फिर क्यु बरसते हो खुले आसमान में,चांद से मिलाकर आंखें, हुस्नकी नज़ाकत,फिर क्यूं चुराया करते हो बैताब इस दिलमे बहुत तमन्नाएं बसी है, उम्मीदों का बाजार खुला फिर क्यूं रखते हो खाक और मीट्टीमे, कुछ भी फर्क कहां है? फिक्र ज़िंदगीमे बेफिजूल ,फिर क्यूं करते हैं आसान कहां है ?फरमाएं इश्क़ मिज़ाज, हकीकी मैं हाल ए दिल फिर क्यूं मचलते हो ©Mohanbhai आनंद #GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि
#GoodMorning अपना कहकरआप,फिर ग़ैर समझते हो गैराना ताल्लुकातमे फिर क्यु उलझते हौ बेहाल आखे हिसाब मांगती है अश्कों का गोरे गाल पर रोज़ फि
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१ मै गम ए शनास तेरे अदब मे*अज़ीयत सहती रही अब मुझमे तेरी*ताजीम की कोई *नीयत भी नहीं है//२ मुझे दर _बदर करने के तुने कई मन्सुबे घड़ तो लिए, के अब इसमे बची तिरि कुछ हकीकत भी नहीं है//३ तर्के ताल्लुक से मिरी बर्बादी तो तिरे सरपे होगी,तूने हैरान किया इतना,अब मिल्लत की जरूरत भी नहीं है//४ गर चुप रही तेरे तशद्दूद पे तो मुझे मिरि अना मार देगी, अब अदल करने मे रत्तीभर तिरि हिम्मत भी नहीं है//५ मेरे एह्बाब् ने विरसे का करके किस्सा तमाम,अब् मुझे कहते है विरासत मे तिरी कोई शिर्कत भी नहीं है//६ आदत बदल लेगा तु बदसलुकी की,इस आस मे उम्र तमाम की, तुझमे दिखती *हुस्नेसलूक की वो पहली सी झलक भी नहीं है//७ "शमा"साथ रह्ते हुए,जब हो जाए खत्म,एहसासे कुर्बत, तो अब मान ही लो के ऐसी कुर्बत मे उल्फत भी नहीं है//८ #shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #love_shayari तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१*पास मै गम ए शनास तेरे अदब म
#love_shayari तु मिरि कुर्बत मे होकर मिरी *कुर्बत मे नहीं है,अब ऐसे साथ मे तिरि वो पहली सी उल्फत भी नहीं है//१*पास मै गम ए शनास तेरे अदब म
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